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पशुओं को पहले ही हो जाता है सूर्य ग्रहण का आभास, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सूर्य ग्रहण हो या फिर चंद्र ग्रहण जानवरों को इसका आभास पहले से ही हो जाता है. आइये बताते हैं कि आखिरकार जानवरों को कैसे पता चलता है सूर्य ग्रहण का समय और उन्हें इससे किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

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Published : Oct 25, 2022, 5:17 PM IST

लखनऊ: सूर्य ग्रहण हो या फिर चंद्र ग्रहण, वैज्ञानिक इसकी तारीख और दिन दोनों काफी समय पहले ही बता देते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जानवरों को ग्रहण का आभास पहले से ही हो जाता है. आइये बताते हैं कि आखिरकार जानवरों को कैसे पता चलता है सूर्य ग्रहण का समय और उन्हें इससे किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

25 अक्टूबर को यानी मंगलवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा. भारतीय समयानुसार, यह सूर्य ग्रहण शाम 4 बजकर 22 मिनट से शुरू हो जाएगा, 5:42 मिनट पर समाप्त होगा. इस सूर्य ग्रहण की समय अवधि 1 घंटे 19 मिनट की होगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है, जिसका नकरात्मक प्रभाव इंसानों पर पड़ता है. हालांकि इस ग्रहण का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों पर भी पड़ता है. इस वजह से ग्रहण के दौरान पशु-पक्षी अजीब हरकतें करने लगते हैं.


वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह बताते हैं कि जिस तरह इंसानों पर सूर्य ग्रहण का नकरात्मक प्रभाव पड़ता है, वैसे ही जानवरों के लिये भी नुकसानदायक होता है. खासतौर पर वो जानवर जो गर्भ से होते हैं. सूर्य ग्रहण के समय निकलने वाली हानिकारक किरणें आंखों के रेटिना को नुकसान पहुंचाती हैं. इतना ही नहीं इन हानिकारक किरणों के कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है या फिर कई बार अंधापन की स्थिति भी पैदा हो जाती है.



डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला बताते हैं कि जानवर प्राकृतिक समय चक्र के अनुसार चलते हैं. सूर्य ग्रहण के समय जब उसे चंद्रमा ढकता है तो उससे कुछ समय पहले ही जानवरों को उसका आभास होता है. ऐसा होने पर सामूहिक समूहों में डॉल्फ़िन और व्हेल मछली समुद्र की सतह पर नजर आती हैं, मकड़ियां अपने जाले तोड़ देती हैं, चमगादड़ अंधेरा देख बाहर निकल आते हैं, रात में जागने वाले जानवर जाग जाते हैं और इधर-उधर घूमने लगते हैं. मेंढक और झुं‍गुर तेज ध्‍वनी निकालते हैं और कुछ शोर मचाने वाले जानवर चुप हो जाते हैं. पंछी वापस अपने घरों की ओर चल देते हैं. वह कहते हैं कि हालांकि इसके पीछे दो तर्क दिए जाते हैं. पहला सूर्य ग्रहण की पूरी प्रक्रिया के दौरान अंधेरा हो जाता है, जिसके चलते जानवरों और पक्षियों में इस चीज को लेकर बेचैनी हो जाती है कि उस दौरान रात है या फिर दिन. इसके चलते वह लोग अपने गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान कर लेते हैं. वहीं दूसरा तर्क भी दिया जाता है कि ऐसे जानवरों को या पहले से ही आभास हो जाता है कि सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है. उससे होने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए वह अपने सुरक्षित स्थान पर जाने लगते हैं.


डॉक्टर उत्कर्ष बताते हैं कि यही हाल सभी चिड़ियाघरों में होता है. लगभग सभी जानवर अपने अपने बाड़े में चले जाते हैं. हालांकि हमारी कोशिश होती है कि जितने भी गर्भवती जानवर हैं उन्हें सूर्य ग्रहण के वक्त बाहर रहने से बचाया जा सके. हालांकि ज्यादातर जानवर अपने आप पहले ही बाड़े के अंदर चले जाते हैं. डॉक्टर उत्कर्ष बताते हैं कि आज यह देखना रोचक होगा कि सूर्य ग्रहण के दौरान पशुओं का व्यवहार कैसा होगा.

यह भी पढ़ें : डेढ़ घंटे से ज्यादा ठप रहने के बाद व्हाट्सएप सेवाएं बहाल

लखनऊ: सूर्य ग्रहण हो या फिर चंद्र ग्रहण, वैज्ञानिक इसकी तारीख और दिन दोनों काफी समय पहले ही बता देते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जानवरों को ग्रहण का आभास पहले से ही हो जाता है. आइये बताते हैं कि आखिरकार जानवरों को कैसे पता चलता है सूर्य ग्रहण का समय और उन्हें इससे किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

25 अक्टूबर को यानी मंगलवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा. भारतीय समयानुसार, यह सूर्य ग्रहण शाम 4 बजकर 22 मिनट से शुरू हो जाएगा, 5:42 मिनट पर समाप्त होगा. इस सूर्य ग्रहण की समय अवधि 1 घंटे 19 मिनट की होगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण को अशुभ घटना के रूप में देखा जाता है, जिसका नकरात्मक प्रभाव इंसानों पर पड़ता है. हालांकि इस ग्रहण का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों पर भी पड़ता है. इस वजह से ग्रहण के दौरान पशु-पक्षी अजीब हरकतें करने लगते हैं.


वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह बताते हैं कि जिस तरह इंसानों पर सूर्य ग्रहण का नकरात्मक प्रभाव पड़ता है, वैसे ही जानवरों के लिये भी नुकसानदायक होता है. खासतौर पर वो जानवर जो गर्भ से होते हैं. सूर्य ग्रहण के समय निकलने वाली हानिकारक किरणें आंखों के रेटिना को नुकसान पहुंचाती हैं. इतना ही नहीं इन हानिकारक किरणों के कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है या फिर कई बार अंधापन की स्थिति भी पैदा हो जाती है.



डॉक्टर उत्कर्ष शुक्ला बताते हैं कि जानवर प्राकृतिक समय चक्र के अनुसार चलते हैं. सूर्य ग्रहण के समय जब उसे चंद्रमा ढकता है तो उससे कुछ समय पहले ही जानवरों को उसका आभास होता है. ऐसा होने पर सामूहिक समूहों में डॉल्फ़िन और व्हेल मछली समुद्र की सतह पर नजर आती हैं, मकड़ियां अपने जाले तोड़ देती हैं, चमगादड़ अंधेरा देख बाहर निकल आते हैं, रात में जागने वाले जानवर जाग जाते हैं और इधर-उधर घूमने लगते हैं. मेंढक और झुं‍गुर तेज ध्‍वनी निकालते हैं और कुछ शोर मचाने वाले जानवर चुप हो जाते हैं. पंछी वापस अपने घरों की ओर चल देते हैं. वह कहते हैं कि हालांकि इसके पीछे दो तर्क दिए जाते हैं. पहला सूर्य ग्रहण की पूरी प्रक्रिया के दौरान अंधेरा हो जाता है, जिसके चलते जानवरों और पक्षियों में इस चीज को लेकर बेचैनी हो जाती है कि उस दौरान रात है या फिर दिन. इसके चलते वह लोग अपने गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान कर लेते हैं. वहीं दूसरा तर्क भी दिया जाता है कि ऐसे जानवरों को या पहले से ही आभास हो जाता है कि सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है. उससे होने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए वह अपने सुरक्षित स्थान पर जाने लगते हैं.


डॉक्टर उत्कर्ष बताते हैं कि यही हाल सभी चिड़ियाघरों में होता है. लगभग सभी जानवर अपने अपने बाड़े में चले जाते हैं. हालांकि हमारी कोशिश होती है कि जितने भी गर्भवती जानवर हैं उन्हें सूर्य ग्रहण के वक्त बाहर रहने से बचाया जा सके. हालांकि ज्यादातर जानवर अपने आप पहले ही बाड़े के अंदर चले जाते हैं. डॉक्टर उत्कर्ष बताते हैं कि आज यह देखना रोचक होगा कि सूर्य ग्रहण के दौरान पशुओं का व्यवहार कैसा होगा.

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