लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने भाजपा सरकार पर चुनाव ड्यूटी के दौरान मृत शिक्षकों, कर्मचारियों और चिकित्सकों के आश्रितों को मुआवजा देने में लगाई जा रही तकनीकी आपत्तियों की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि सरकार अपना तानाशाही और अहंकारी रवैया छोड़कर कोरोना जैसी महामारी में अपने प्राण गवाने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों और चिकित्सकों के आश्रितों का साथ दे.
मौत में तकनीकी कमियां न खोजे सरकार
पार्टी की तरफ से जारी बयान में अनिल दुबे ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की अधिसूचना उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार ने 25 मार्च को जारी की थी. जब पंचायत चुनाव हुए तब से प्रदेश में महामारी अधिनियम लागू है. संक्रामक रोग कोरोना जैसी राष्ट्रीय समस्या के समय चुनाव ड्यूटी करने के कारण मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारी, शिक्षक और चिकित्सक आदि ने लोकतंत्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों की मृत्यु में तकनीकी खामियां ढूंढने वालों को ये पता होना चाहिए कि कोरोना के संक्रमण से मृत्यु तत्काल होने के बजाय कुछ समय बाद हो रही हैं और आपदा के माहौल में चुनाव कराने का फैसला शिक्षकों और कर्मचारियों पर थोपे जाने की तरह था. क्योंकि सरकार को मालूम था कि चुनाव में कोविड प्रोटोकॉल का पालन संभव नहीं है. ऐसे में चुनाव की ड्यूटी में संक्रमित हुए शिक्षक और कर्मचारियों ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा का पालन किया और राज्य सरकार को भी उनकी मृत्यु में तकनीकी कमियां खोजने के बजाय महामारी अधिनियम और कोविड प्रोटोकॉल के दायरे में शिक्षकों और कर्मचारियों की मृत्यु को देखना चाहिए.
50 लाख रुपए मुआवजा दे सरकार
राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के शिक्षकों और कर्मचारी संगठनों की तरफ से दी गई सूची के मुताबिक लगभग 2000 शिक्षकों और कर्मचारियों के आश्रितों को तत्काल 50-50 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा करे. उन्होंने कहा जो सरकार संकट के समय जनता का साथ छोड़ देती है, जनता भी उसे छोड़ देती है.
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