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एनेस्थीसिया से चिकित्सा क्षेत्र में हुआ व्यापक बदलाव, घुटना प्रत्यारोपण और बाईपास सर्जरी में मिल रही सहूलियत

एनेस्थीसिया (Anesthesia) ने बहुत सारी सर्जरी (surgery) को आसान बना दिया है. घुटना प्रत्यारोपण और बाईपास सर्जरी में एनेस्थीसिया की नई तकनीकि से काफी सहूलियत हो रही है. पहले बहुत ही अलग तरीके से मरीज को बेहोश किया जाता था. जो मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ कहा जाता था. वर्तमान में सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया का महत्वपूर्ण योगदान है.

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Published : Oct 18, 2022, 5:59 PM IST

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लखनऊ : एनेस्थीसिया (Anesthesia) ने बहुत सारी सर्जरी (surgery) को आसान बना दिया है. घुटना प्रत्यारोपण और बाईपास सर्जरी में एनेस्थीसिया की नई तकनीकि से काफी सहूलियत हो रही है. पहले बहुत ही अलग तरीके से मरीज को बेहोश किया जाता था. जो मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ कहा जाता था. वर्तमान में सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया का महत्वपूर्ण योगदान है.

सिविल अस्पताल के सीएमएस व वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरपी सिंह (CMS Dr RP singh) ने बताया कि सर्जरी में हमेशा से एनेस्थीसिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के लिए टीम ओटी में मौजूद होती है और सर्जरी इसी टीम की निगरानी में होती है. यह टीम ओटी में आए हुए मरीजों की पूरी जांच करने के बाद एनेस्थीसिया देते हैं.

जानकारी देते सिविल अस्पताल के सीएमएस व वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरपी सिंह

उन्होंने बताया कि आज बड़ी से बड़ी सर्जरी आसानी से कुछ घंटों में हो जाती है. जितनी तकनीक का आविष्कार सर्जरी के लिए हुआ है उससे अधिक एनेस्थीसिया की भी नई तकनीक आई है. पहले मरीज को बेहोश करने की प्रक्रिया को मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ कहा था. वर्तमान में एक से बढ़कर एक एनेस्थीसिया इंजेक्शन है जो घुटना प्रत्यारोपण से लेकर बाईपास सर्जरी तक आसानी से होती हैं.


एनेस्थीसिया की शुरुआत : 16 अक्टूबर, 1846 को अमेरिका के डेंटिस्ट विलियम टीजी मोर्टन ने एनेस्थीसिया का सबसे पहले प्रयोग किया था. यह प्रयोग और प्रयास सफल रहा था. वर्ल्ड फेडरेशन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (डब्ल्यूएफएसए) की तरफ से हर साल दुनियाभर के देशों में विश्व एनेस्थीसिया दिवस के मौके पर लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

एनेस्थीसिया के प्रकार : मुख्य तौर पर तीन एनेस्थीसिया के तरीके होते हैं. पहला लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल शरीर के किसी खास हिस्से में मामूली सर्जरी के लिए किया जाता है और इसकी अवधि भी अपेक्षाकृत कम होती है. दूसरा जनरल एनेस्थीसिया जो मांसपेशियों को बेहोश कर देता है. तीसरा रीजनल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल पेट जैसे शरीर के बड़े हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है.

यह भी पढ़ें : स्वास्थ्य विभाग डेंगू के गलत आंकड़े कर रहा जारी, वाट्सएप पर आता है डाटा

लखनऊ : एनेस्थीसिया (Anesthesia) ने बहुत सारी सर्जरी (surgery) को आसान बना दिया है. घुटना प्रत्यारोपण और बाईपास सर्जरी में एनेस्थीसिया की नई तकनीकि से काफी सहूलियत हो रही है. पहले बहुत ही अलग तरीके से मरीज को बेहोश किया जाता था. जो मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ कहा जाता था. वर्तमान में सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया का महत्वपूर्ण योगदान है.

सिविल अस्पताल के सीएमएस व वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरपी सिंह (CMS Dr RP singh) ने बताया कि सर्जरी में हमेशा से एनेस्थीसिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के लिए टीम ओटी में मौजूद होती है और सर्जरी इसी टीम की निगरानी में होती है. यह टीम ओटी में आए हुए मरीजों की पूरी जांच करने के बाद एनेस्थीसिया देते हैं.

जानकारी देते सिविल अस्पताल के सीएमएस व वरिष्ठ सर्जन डॉ. आरपी सिंह

उन्होंने बताया कि आज बड़ी से बड़ी सर्जरी आसानी से कुछ घंटों में हो जाती है. जितनी तकनीक का आविष्कार सर्जरी के लिए हुआ है उससे अधिक एनेस्थीसिया की भी नई तकनीक आई है. पहले मरीज को बेहोश करने की प्रक्रिया को मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ कहा था. वर्तमान में एक से बढ़कर एक एनेस्थीसिया इंजेक्शन है जो घुटना प्रत्यारोपण से लेकर बाईपास सर्जरी तक आसानी से होती हैं.


एनेस्थीसिया की शुरुआत : 16 अक्टूबर, 1846 को अमेरिका के डेंटिस्ट विलियम टीजी मोर्टन ने एनेस्थीसिया का सबसे पहले प्रयोग किया था. यह प्रयोग और प्रयास सफल रहा था. वर्ल्ड फेडरेशन सोसाइटी ऑफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट (डब्ल्यूएफएसए) की तरफ से हर साल दुनियाभर के देशों में विश्व एनेस्थीसिया दिवस के मौके पर लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

एनेस्थीसिया के प्रकार : मुख्य तौर पर तीन एनेस्थीसिया के तरीके होते हैं. पहला लोकल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल शरीर के किसी खास हिस्से में मामूली सर्जरी के लिए किया जाता है और इसकी अवधि भी अपेक्षाकृत कम होती है. दूसरा जनरल एनेस्थीसिया जो मांसपेशियों को बेहोश कर देता है. तीसरा रीजनल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल पेट जैसे शरीर के बड़े हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है.

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