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कम उम्र के युवाओं को हो रही खून की कमी, इन बातों का रखें ध्यान - युवाओं को हो रही खून की कमी

वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ रंजना खरे ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 20 से 25 ऐसी गर्भवती महिलाएं आती हैं जिनका हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम होता है. उन्हे प्रेग्नेंसी के समय काफी दिक्कत परेशानी हो सकती है.

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Published : Dec 12, 2022, 1:07 PM IST

Updated : Dec 12, 2022, 1:14 PM IST

लखनऊ : कम उम्र के युवक-युवतियों में हीमोग्लोबिन की कमी देखने को मिल रही है, वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक एनीमिया की शिकार हो रही हैं. वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ रंजना खरे ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 20 से 25 ऐसी गर्भवती महिलाएं आती हैं जिनका हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम होता है. उन्हे प्रेग्नेंसी के समय काफी दिक्कत परेशानी हो सकती है. ऐसे समय पर ब्लड चढ़ाने की भी नौबत आ सकती है, इसलिए खानपान पर विशेष ध्यान रखें.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

डॉ रंजना ने बताया कि बीते मंगलवार को एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल लाया गया. जिसका हीमोग्लोबिन काफी कम था. ऐसे में गर्भवती महिला को बचा पाना काफी मुश्किल था. उसका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था. रिश्तेदार में किसी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव न होने के कारण काफी दिक्कत हुई. परिजनों ने केजीएमयू ब्लड बैंक से खून की व्यवस्था भी कर ली, लेकिन गर्भवती महिला को बचाया नहीं जा सका. हीमोग्लोबिन कम होने की वजह से गर्भवती महिला की जान चली जाती है, जबकि डॉक्टरों की टीम अपने स्तर से पूरी कोशिश करती है कि खून चढ़ाकर किसी तरह जच्चा-बच्चा को बचाया जा सके.



लोहिया अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि कम उम्र के युवा एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. खानपान ठीक तरीके से नहीं होने के कारण शरीर में ब्लड बनना रूक जाता है. ब्लड ट्रांसफ्यूज़न का मतलब होता है एक नस के माध्यम से शरीर में रक्त चढ़ाना. आपके शरीर की ज़रूरत के हिसाब से डॉक्टर खून चढ़ाने का फैसला ले सकते हैं. डॉक्टर चंद्रा ने कहा कि मौजूदा समय में ज्यादातर जो युवा फास्ट फूड खाना पसंद करते हैं, यही कारण है कि आज प्रदेश के 50 फ़ीसदी लोग एनीमिया के शिकार हैं. युवाओं को चाहिए कि वह अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखें.

लक्षण
- त्वचा का सफेद दिखना.
- जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी.
- कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट.
- चक्कर आना-विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में.
- बेहोश होना.
- सांस फूलना.
- हृदयगति का तेज होना.
- चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना.

कारण
- सबसे प्रमुख कारण आयरन वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना.
- मलेरिया के बाद लाल रक्त कर्ण नष्ट हो जाते हैं.
- किसी भी कारण रक्त में कमी.

बचाव

- विटामिन 'ए' एवं 'सी' युक्त खाद्य पदार्थ खाएं.
- गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की एक गोली रोज रात को खाने के बाद लेनी चाहिए.
- जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए.
- भोजन के बाद चाय के सेवन से बचें, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्‍ट करती है.
- काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें.
- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करें.
- स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें.
- खाना लोहे की कढ़ाई में पकाएं.

यह भी पढ़ें : प्रदेश में 30 फीसदी महिलाएं एसटीडी से पीड़ित, ऐसे रहें सुरक्षित

लखनऊ : कम उम्र के युवक-युवतियों में हीमोग्लोबिन की कमी देखने को मिल रही है, वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक एनीमिया की शिकार हो रही हैं. वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ रंजना खरे ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 20 से 25 ऐसी गर्भवती महिलाएं आती हैं जिनका हीमोग्लोबिन लेवल काफी कम होता है. उन्हे प्रेग्नेंसी के समय काफी दिक्कत परेशानी हो सकती है. ऐसे समय पर ब्लड चढ़ाने की भी नौबत आ सकती है, इसलिए खानपान पर विशेष ध्यान रखें.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

डॉ रंजना ने बताया कि बीते मंगलवार को एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल लाया गया. जिसका हीमोग्लोबिन काफी कम था. ऐसे में गर्भवती महिला को बचा पाना काफी मुश्किल था. उसका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था. रिश्तेदार में किसी का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव न होने के कारण काफी दिक्कत हुई. परिजनों ने केजीएमयू ब्लड बैंक से खून की व्यवस्था भी कर ली, लेकिन गर्भवती महिला को बचाया नहीं जा सका. हीमोग्लोबिन कम होने की वजह से गर्भवती महिला की जान चली जाती है, जबकि डॉक्टरों की टीम अपने स्तर से पूरी कोशिश करती है कि खून चढ़ाकर किसी तरह जच्चा-बच्चा को बचाया जा सके.



लोहिया अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुब्रत चंद्रा ने बताया कि कम उम्र के युवा एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. खानपान ठीक तरीके से नहीं होने के कारण शरीर में ब्लड बनना रूक जाता है. ब्लड ट्रांसफ्यूज़न का मतलब होता है एक नस के माध्यम से शरीर में रक्त चढ़ाना. आपके शरीर की ज़रूरत के हिसाब से डॉक्टर खून चढ़ाने का फैसला ले सकते हैं. डॉक्टर चंद्रा ने कहा कि मौजूदा समय में ज्यादातर जो युवा फास्ट फूड खाना पसंद करते हैं, यही कारण है कि आज प्रदेश के 50 फ़ीसदी लोग एनीमिया के शिकार हैं. युवाओं को चाहिए कि वह अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखें.

लक्षण
- त्वचा का सफेद दिखना.
- जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी.
- कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट.
- चक्कर आना-विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में.
- बेहोश होना.
- सांस फूलना.
- हृदयगति का तेज होना.
- चेहरे एवं पैरों पर सूजन दिखाई देना.

कारण
- सबसे प्रमुख कारण आयरन वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना.
- मलेरिया के बाद लाल रक्त कर्ण नष्ट हो जाते हैं.
- किसी भी कारण रक्त में कमी.

बचाव

- विटामिन 'ए' एवं 'सी' युक्त खाद्य पदार्थ खाएं.
- गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों को नियमित रूप से 100 दिन तक लौह तत्व व फॉलिक एसिड की एक गोली रोज रात को खाने के बाद लेनी चाहिए.
- जल्दी-जल्दी गर्भधारण से बचना चाहिए.
- भोजन के बाद चाय के सेवन से बचें, क्योंकि चाय भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों को नष्‍ट करती है.
- काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें.
- संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करें.
- स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें.
- खाना लोहे की कढ़ाई में पकाएं.

यह भी पढ़ें : प्रदेश में 30 फीसदी महिलाएं एसटीडी से पीड़ित, ऐसे रहें सुरक्षित

Last Updated : Dec 12, 2022, 1:14 PM IST
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