लखनऊ: यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजभवन से चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा आयोजित जलवायु परिवर्तन एवं कृषि वानिकी प्रभाव, निहितार्थ एवं रणनीति विषयक राष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित किया. इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए हम सभी को जल, जमीन, जंगल और जानवरों के प्रति संवेदनशीलता एवं संतुलन बनाए रखना होगा.
राज्यपाल ने कहा कि अनियोजित विकास और मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस प्रकार से प्रकृति का शोषण एवं दोहन किया है, उसी छेड़छाड़ का नतीजा है कि कोरोना महामारी विश्व के सामने है. पर्यावरण की समस्या आज पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. इस समस्या से मानव जीवन प्रभावित हो रहा है. साथ ही ये वायरस पशु-पक्षी, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, जंगल, पहाड़ोंं और नदियों सभी के अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो रहा है.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि जीवन पर्यावरण से अलग नहीं है. पर्यावरण और जीवन एक-दूसरे पर आश्रित होते हैंं. शुद्ध पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों एवं जीव-जंतुओं का होना अत्यंत ही आवश्यक है. वृक्ष मानव के स्वास्थ्य का सबसे बड़ा रक्षा कवच हैं. वृक्ष के आस-पास रहने से जीवन में मानसिक संतुलन और संतुष्टि मिलती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर जैव विविधता की थीम दी है, जो कि आज के परिप्रेक्ष्य में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हमारी जैव विविधता जितनी समृद्ध होगी, उतना ही सुव्यवस्थित और संतुलित हमारा वातावरण होगा. अलग-अलग प्रकार के पशु-पक्षी, जीव जंतु और पेड़-पौधे ही मिलकर मनुष्य की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में सहायता करते हैं. हम सभी को इन सभी के प्रति स्नेह और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए.
हमें जीवनशैली बदलनी होगी
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान नदियों के जल एवं वायु मंडल में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिले हैं. आगे भी यह स्थिति बनी रहे, इसको लेकर हमें काम करना होगा. जीवनशैली उसी के अनुरूप बदलनी होगी. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कोरोना के संकटकाल ने मानव के समक्ष विकराल चुनौतियों को उत्पन्न किया है. इन सभी चुनौतियों पर सामूहिक संकल्प से शीघ्र ही विजय पाई जा सकती है. यदि मानव सभ्यता को बचाना है तो वर्तमान कृषि प्रणाली में कृषि वानिकी, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन सभी को अपनी खेती में बराबर-बराबर का स्थान देना होगा.
वेबीनार के माध्यम से आयोजित संगोष्ठी में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि सृष्टि की रचना के समय मानव जीवन का पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध रहा है. पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक शांति की प्रार्थना की गई है. प्रकृति के अति दोहन के कारण ही सभी मानव एवं जीव-जंतु प्रभावित हुए हैं. जीवनशैली में परिवर्तन लाकर हम पर्यावरण को बचा सकते हैं. इस वेबीनार संगोष्ठी में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ. डीआर सिंह और विभिन्न संस्थानों के निदेशक कृषि वैज्ञानिक व शोधार्थी और छात्र-छात्राएं भी ऑनलाइन जुड़े थे.