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अयोध्या में दीपोत्सव के क्या हैं सियासी मायने, क्या योगी आदित्यनाथ को मिलेगा राजनीतिक लाभ...

अयोध्या एक बार फिर से विश्व रिकॉर्ड बनाने को लेकर तैयार है. पौराणिक नगरी छोटी दीपावली के दिन दुल्हन की तरह सजाया गया है. योगी सरकार अपने भगवान राम पर खास ध्यान दे रही है. राजनीतिक विश्लेषक पी.एन. द्विवेदी ने बताया कि योगी आदित्यनाथ इसमें राजनीति भले ही न कर रहे हों, लेकिन यह बात भी सही है कि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ जरूर मिलेगा.

योगी आदित्यनाथ
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Published : Oct 26, 2019, 6:57 PM IST

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने भगवान राम के नाम के सहारे ही अपना राजनीतीक झंड़ा बुलंद किया है. 2017 से उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद योगी अयोध्या का बहुत ही ध्यान दे रहे हैं. 2017 में कुर्सी संभालते ही अयोध्या की दीवाली भव्य तरीके से मनाई गई. सरकार की तरफ से अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन किया गया. इस बार भी अयोध्या में दीपोत्सव बड़े ही भव्यता के साथ मनाया गया.

अयोध्या में दीपोत्सव का योगी आदित्यनाथ को मिलेगा राजनीतिक लाभ.
अपने ही रिकार्ड को तोड़ेगी अयोध्याअयोध्या एक बार फिर से विश्व रिकॉर्ड बनाने को लेकर तैयार है. पौराणिक नगरी को छोटी दीपावली के दिन दुल्हन की तरह सजाया गया है.यहां सौंदर्य की एक झलक पाने के लिए मुख्य उत्सव से पहले ही लोगों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गया है. शनिवार को समूचे अयोध्या और सभी घाटों पर पांच लाख 51 हजार दीये जलाए गए.

क्या है राजनीतीक मायने
भाजपा हमेशा हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ा है. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा की पहचान हिंदुत्व और भगवान राम से है. भाजपा का राम से इतना गहरा नारा है कि चाहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हों या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी विभिन्न मंचों से जय श्रीराम का नारा लगाते रहे हैं. यही वजह है कि योगी सरकार अपने राम का खास ध्यान दे रही है.

इसे भी पढ़ें - अयोध्या में दीपोत्सव बनाएगा विश्व रिकॉर्ड, जानिए क्या है खास तैयारी

योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम को लगातार बढ़ा रही है. योगी सरकार प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को भगवान राम, उनके विचार, अयोध्या, राम लीला व भारतीय संस्कृति के बारे में बताना चाह रही है. योगी सरकार ने दीपोत्सव कार्यक्रम को राज्य मेला का दर्जा दिया है. पिछली कैबिनेट बैठक में दीपोत्सव मेले के प्रांतीय मेला का दर्जा दिए जाने को मंजूरी मिल गयी है. प्रांतीय मेला घोषित करने से अब आगे इस पर होने वाला खर्च सरकार वहन करेगी. सरकार कोई भी हो अब मेले का आयोजन होता रहेगा.

त्रेता युग में जिस पर्व को मनाया गया, उसे आज उत्तर प्रदेश की सरकार मना रही है. दीपावली का असली उद्गम स्थल अयोध्या ही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति स्पष्ट है. वह इसे सांस्कृतिक विरासत के रूप में ले रहे हैं. उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. वह इसमें राजनीति भले ही न कर रहे हों, लेकिन यह बात भी सही है कि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ जरूर मिलेगा.
- पी.एन. द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने भगवान राम के नाम के सहारे ही अपना राजनीतीक झंड़ा बुलंद किया है. 2017 से उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद योगी अयोध्या का बहुत ही ध्यान दे रहे हैं. 2017 में कुर्सी संभालते ही अयोध्या की दीवाली भव्य तरीके से मनाई गई. सरकार की तरफ से अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन किया गया. इस बार भी अयोध्या में दीपोत्सव बड़े ही भव्यता के साथ मनाया गया.

अयोध्या में दीपोत्सव का योगी आदित्यनाथ को मिलेगा राजनीतिक लाभ.
अपने ही रिकार्ड को तोड़ेगी अयोध्याअयोध्या एक बार फिर से विश्व रिकॉर्ड बनाने को लेकर तैयार है. पौराणिक नगरी को छोटी दीपावली के दिन दुल्हन की तरह सजाया गया है.यहां सौंदर्य की एक झलक पाने के लिए मुख्य उत्सव से पहले ही लोगों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गया है. शनिवार को समूचे अयोध्या और सभी घाटों पर पांच लाख 51 हजार दीये जलाए गए.

क्या है राजनीतीक मायने
भाजपा हमेशा हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर आगे बढ़ा है. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा की पहचान हिंदुत्व और भगवान राम से है. भाजपा का राम से इतना गहरा नारा है कि चाहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हों या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी विभिन्न मंचों से जय श्रीराम का नारा लगाते रहे हैं. यही वजह है कि योगी सरकार अपने राम का खास ध्यान दे रही है.

इसे भी पढ़ें - अयोध्या में दीपोत्सव बनाएगा विश्व रिकॉर्ड, जानिए क्या है खास तैयारी

योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम को लगातार बढ़ा रही है. योगी सरकार प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को भगवान राम, उनके विचार, अयोध्या, राम लीला व भारतीय संस्कृति के बारे में बताना चाह रही है. योगी सरकार ने दीपोत्सव कार्यक्रम को राज्य मेला का दर्जा दिया है. पिछली कैबिनेट बैठक में दीपोत्सव मेले के प्रांतीय मेला का दर्जा दिए जाने को मंजूरी मिल गयी है. प्रांतीय मेला घोषित करने से अब आगे इस पर होने वाला खर्च सरकार वहन करेगी. सरकार कोई भी हो अब मेले का आयोजन होता रहेगा.

त्रेता युग में जिस पर्व को मनाया गया, उसे आज उत्तर प्रदेश की सरकार मना रही है. दीपावली का असली उद्गम स्थल अयोध्या ही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति स्पष्ट है. वह इसे सांस्कृतिक विरासत के रूप में ले रहे हैं. उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. वह इसमें राजनीति भले ही न कर रहे हों, लेकिन यह बात भी सही है कि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ जरूर मिलेगा.
- पी.एन. द्विवेदी, राजनीतिक विश्लेषक

Intro:लखनऊ: अयोध्या में दीपोत्सव के क्या हैं सियासी मायने, योगी आदित्यनाथ को मिलेगा राजनीतिक लाभ !

लखनऊ। त्रेता युग में भगवान राम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे तो पूरे अवध ने उनके स्वागत में दीप प्रज्ज्वलित किया। हर्षोल्लास से दीपावली मनाई गई। योगी आदित्यनाथ ने 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही कहा कि क्यों ना भगवान राम के आगमन पर आयोजित होने वाली इस दीपावली को भव्यता दिया जाए। सरकार की तरफ से अयोध्या में दीपोत्सव का पहली बार 2017 में आयोजन किया गया। अयोध्या आज तीसरी बार दीपावली के अवसर पर पांच लाख 51 हजार दीप प्रज्वलित कर अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए विश्व कीर्तिमान स्थापित करेगी। त्रेता युग में भगवान राम के सत्ता संभालने का अवसर था। इस वक्त कलयुग में सीधे तो सत्ता की बात नहीं है लेकिन इसे सत्ता और उसके लिए सियासत से नकारा भी नहीं जा सकता।




Body:भारतीय जनता पार्टी ने भारत के राजनीतिक इतिहास में भगवान राम के नाम के सहारे ही झंडा बुलंद किया है। यह किसी से छिपा नहीं है। यह बात अलग है कि मौजूदा नेतृत्व राम के स्थान पर राम राज्य यानी कि विकास को साधा है। लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा की पहचान हिंदुत्व और भगवान राम से है। इससे किनारा करते ही सियासत की मुख्य धारा में बने रहना भाजपा के लिए चुनौती बन जाता है। यही वजह है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हों या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विभिन्न मंचों से जय श्रीराम का नारा लगाते रहे हैं। हिंदुत्व और विकास को समानांतर ले चलने की पार्टी की स्पष्ट नीति है। यही वजह है कि योगी सरकार दीपोत्सव को भव्य रूप दे रहे हैं।

योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम को लगातार बढ़ा रही है। योगी सरकार प्रदेश और देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोगों को भगवान राम, उनके विचार, अयोध्या, राम लीला व भारतीय संस्कृति के बारे में बताना चाह रही है। योगी सरकार ने दीपोत्सव कार्यक्रम को राज्य मेला का दर्जा दिया है। पिछली कैबिनेट बैठक में दीपोत्सव मेले के प्रांतीय मेला का दर्जा दिए जाने को मंजूरी मिल गयी है। प्रांतीय मेला घोषित करने से अब आगे इस पर होने वाला खर्च सरकार वहन करेगी। सरकार कोई भी हो। मेले का आयोजन होता रहेगा। इस मेले को योगी आदित्यनाथ लोगों तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वह चाहते हैं कि प्रदेश की जनता समझे कि उनकी सरकार विकास के साथ साथ सामाजिक सांस्कृतिक चीजों को भी आगे बढ़ा रही है।

बाईट- धर्म के जानकार व राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का कहना है कि त्रेता युग में जिस पर्व को मनाया गया उसे आज उत्तर प्रदेश की सरकार मना रही है। यह अच्छी बात है। दीपावली का असली उद्गम स्थल अयोध्या ही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति स्पष्ट है। वह इसे सांस्कृतिक विरासत के रूप में ले रहे हैं। उसे आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। वह इसमें राजनीति भले ही नहीं कर रहे हैं लेकिन यह बात भी सही है कि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ जरूर मिलेगा।

दिलीप शुक्ला-9450663213


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