लखनऊः पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी समाज सेविका नूतन ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर कहा है कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर रासुका (NSA) लगाने की सजा IPS जसवीर सिंह को मिली है. बिना सूचना छुट्टी पर जाने के आरोप में जसवीर को 14 फरवरी 2019 को निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद उनकी बहाली पर सरकार ने विचार नहीं किया. अमिताभ ठाकुर जसवीर की बहाली की मांग करते हुए उन्होंने लिखा है कि सरकार ने बदले की भावना से यह कार्रवाई की है.
बता दें कि 1992 बैच के IPS जसवीर सिंह निलंबन के समय ADG रूल्स एंड मैन्युअल के पद पर तैनात थे. सरकार जसवीर के निलंबन की वजह बिना बताए छुट्टी पर जाने का जरूर बता रही है, लेकिन जसवीर के निलंबन की कहानी कुछ और ही है. दरअसल, जसवीर के निलंबन की वजह एक वेबसाइट पर प्रसारित उनका इंटरव्यू है. इसमें उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को लेकर विवादित टिप्पणी की थी. इसके साथ ही जसवीर सिंह 2002 में एसपी महाराजगंज रहते समय योगी के विरुद्ध रासुका लगाया था.
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अमिताभ ठाकुर ने उठाए सवाल
पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा है कि जसवीर सिंह 2002 में एसपी महाराजगंज रहते समय योगी के विरुद्ध रासुका लगाया था, जिसमें तमाम दवाब पड़ने के बाद भी वह अपने फैसले पर अडिग रहे. इसी कारण उन्हें निलंबित किया गया. जसवीर सिंह पिछले ढाई वर्षों से निलंबित हैं. नियमानुसार, आईपीएस अफसरों के खिलाफ सामान्य मामलों में अधिकतम एक साल के निलंबन का प्रावधान है. भ्रष्टाचार के आरोप में भी दो साल तक ही उन्हें निलंबित रखा जा सकता है. निलंबन का समय किन्हीं खास स्थितियों में ही बढ़ाया जा सकता है. जसवीर सिंह पर लगाये आरोप किसी भी प्रकार से भ्रष्टाचार से संबंधित नहीं हैं और न उनके द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ की कोई संभावना है. उन्हें नियमों के अनुसार पूरा वेतन भी दिया जा रहा है.
होशियारपुर में परिवार के साथ रह रहे जसवीर
वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में जसवीर ने बताया था कि 2002 में एसपी महराजगंज रहते हुए उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर रासुका लगाने की संस्तुति की थी. जिसका खामियाजा उन्हें लंबे समय तक भुगतना पड़ा. इस इंटरव्यू के बाद ही जसवीर को निलंबित कर दिया गया था. निलंबन के बाद से वह पंजाब के होशियारपुर में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं. पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर की मानें तो इन्टरव्यू को हटाने के लिए बाद में उन पर तमाम दबाव पड़े, लेकिन वह पीछे नहीं हटे.
बीएसपी सरकार में राजा भैया को भेजा जेल
बसपा सरकार में मुख्यमंत्री मायावती ने अपराध पर लगाम कसने के लिए ईमानदार और तेजतर्रार आईपीएस अफसर जसवीर सिंह को मिशन में लगाया था. 1997 में बसपा सरकार में जसवीर सिंह ने प्रतापगढ़ के बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. अपनी सर्विस में सबसे ज्यादा तबादलों की मार झेलने वाले IPS जसवीर सिंह मायावती के भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे थे, जिसको लेकर वह सुर्खियों में भी रहे हैं. लेकिन सरकार जाते ही जसवीर मुसीबतों में फंसते चले गए. नई सरकार बनते ही उनके तबादलों की झड़ी लग गई और आरोप लगाकर उनकी प्रमोशन की फाइल तक रोक दी गयी थी. काफी दिनों तक वह यह सब झेलते रहे फिर भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही उन्हें निलंबन झेलना पड़ा.
निलंबन के बाद 5 आईपीएस अफसरों के खिलाफ दी थी तहरीर
सरकार से दो साल से प्रताड़ित IPS जसवीर सिंह ने निलंबन से करीब एक साल बाद जून 2020 में भ्रष्टाचार के खिलाफ तत्कालीन एसएसपी नोएडा वैभव कृष्णा ने एक रिपोर्ट दी थी. जिसमें पांच आईपीएस अफसरों के खिलाफ ट्रांसफर, पोस्टिंग में रिश्वत लेने के साक्ष्य थे. उनकी रिपोर्ट को अधिकारियों ने दबाने का प्रयास किया. इस पर निलंबित जसवीर सिंह ने खुद पांचों अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए थाने में तहरीर दी थी. उन्होंने कहा था कि जिलों में तैनाती के लिए पैसे और अन्य प्रकार का प्रलोभन प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम 1988 की धाराओं के तहत एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. हालांकि उनकी तहरीर पर भी केस दर्ज नहीं किया और न ही जांच कराई गई. पुलिस को दी गई तहरीर जसवीर ने मांग थी कि जिन पुलिस अफसरों के भ्रष्टचार करने के तथ्य सार्वजनिक हुए हैं उनके द्वारा साक्ष्यों को नष्ट किए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे अफसरों को निलंबित करते हुए वर्तमान पदों से हटाया जाए. लेकिन उनकी ये सिफ़रिश भी नहीं मानी गई.