लखनऊः यूपी सरकार की महत्वाकांक्षी एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस सेवा (एएलएस) अब नई कंपनी को हैंडओवर होगी. वहीं गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए जिस कंपनी का राज्य के अफसरों ने चयन किया है. वो मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस को झटका दे रही है. ये कंपनी राजस्थान में जहां सीबीआई जांच का सामना कर रही है. वहीं अपनी कार्यशैली से मध्य प्रदेश में भी दागी हो चुकी है. ऐसे में यूपी संग कंपनी का करार कई सवाल खड़े कर रहा है.
ये है पूरा मामला
यूपी में वेंटीलेटर युक्त एएलएस एम्बुलेंस सेवा को 14 अप्रैल 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यभार संभालते ही शुरू किया था. पहले चरण में 150 जीवन रक्षक वाहनों को हरी झंडी दिखाई. इसके बाद 100 एम्बुलेंस का बेड़ा और बढ़ाया गया. अभी तक सेवा का संचालन जीवीकेईएमआरआई कंपनी कर रही थी. वहीं 21 जनवरी 2021 को एएलएस सेवा के संचालन के लिए टेंडर निकाला गया. इसमें वर्तमान में संचालन करने वाली कंपनी जीवीकेईएमआरआई ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके अलावा केएचजी हेल्थ केयर, जीबीवीजी, जिगित्सा हेल्थ केयर, जय अंबे कंपनी ने टेंडर में भाग लिया. इस दौरान ऐशबाग कॉलोनी निवासी गौरव ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक और शासन के अन्य अफसरों के पत्र लिखकर जिगित्सा हेल्थ केयर की शिकायत की. इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश में एम्बुलेंस संचालन में गड़बड़ियां संबंधी पत्र भी भेजे. वहीं 22 मई को एम्बुलेंस संचालन के लिये फाइनेंशियल बिड खुली. इसमें भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली यूपी सरकार की नीति को झटका लगा. हाल ये रहा कि अफसरों ने राजस्थान में सीबीआई जांच का सामना कर रही और मध्यप्रदेश में कारनामों से दागी जिगित्सा कंपनी को एम्बुलेन्स संचालन के लिए चयन कर लिया. वहीं सात जून को कंपनी ने भी बिना वक्त गवाएं एम्बुलेंस संचालन के लिये आवश्यक स्टॉफ की भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया. अब अखबार में विज्ञापन जारी होते ही सत्ता के गलियारों तक चर्चाएं तेज हो गयीं.
राजस्थान में जांच के घेरे में आए बड़े रसूखदार
राजस्थान में कांग्रेस राज में 108 एम्बुलेंस में घोटाले का मसला उठा. ऐसे में वसुंधरा सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मंजूरी मिलने के बाद इस मामले की फाइल गृह विभाग के पास भेजी गई. मामले पर सीबीआई ने जांच शुरू की. सीबीआई ने जिगित्सा हेल्थकेयर के तत्कालीन निदेशकों और सरकारी अफसरों पर 420, 467, 468, 471 और 120 B के तहत मुकदमा दर्ज़ किया है.
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इसके साथ ही 108 एंबुलेंस घोटाले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई थी. इसमें वर्तमान सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्तिक चिदंबरम सहित कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं और उनके बेटों के नाम भी शामिल किए गए थे. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी जिगित्सा हेल्थ केयर पर मरीजों की फर्जी केस आईडी बनाना समेत तमाम गड़बड़ियों के आरोप हैं.
राजस्थान और मध्य प्रदेश में गड़बड़ी करने वाली कंपनी को यूपी में काम देने पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से फोन पर बात की गई. उन्होंने तत्काल पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि ये सब विभाग के एसीएस और एनएचएम निदेशक से पूछो. खुद कोई पक्ष रखने से इंकार किया. वहीं एसीएस स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने कॉल रिसीव नहीं की. जबकि एनएमएम निदेशक अपर्णा यू के नम्बर पर कॉल की गई तो उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में व्यस्त बताया गया. इधर पक्ष जानने के लिए भर्ती विज्ञापन में जिज्ञासा कंपनी द्वारा जारी नम्बर पर कॉल की गई, तो रिसीव नहीं हुए.