लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों (buses of UPSRTC) में अब चालक परिचालकों की मनमानी नहीं चलेगी. बसों में जिन श्रेणियों के यात्रियों को आरक्षित सीटों की सुविधा मिली हुई है उन पर चालक-परिचालक चाहकर भी अपने मन से किसी भी यात्री को नहीं बिठा पाएंगे. परिवहन निगम इन सभी सीटों को पहले ही ब्लॉक कर देगा, जिससे ऑनलाइन इन सीटों की बुकिंग भी नहीं कराई जा सकेगी. कंडक्टर बस के अंदर आरक्षित सीटों की श्रेणियों के लोगों के अलावा अन्य किसी यात्री को सफर नहीं करा पाएंगे.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों (buses of UPSRTC) में यात्रा के लिए सांसद, पूर्व विधायक, मान्यता प्राप्त पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोकतंत्र रक्षक सेनानी, दिव्यांगजन, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कृत शिक्षक के लिए सीटें रिजर्व होती हैं. लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को समस्त श्रेणियों में सीट की उपलब्धता नहीं होती है. वोल्वो और प्लैटिनम लाइन बसों में उन्हें सीट अनुमन्य नहीं होती है. इसके अलावा दिव्यांगजन साधारण श्रेणी में सफर कर सकते हैं. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कृत शिक्षक भी साधारण श्रेणी की बस में आरक्षित सीट पर यात्रा कर सकते हैं, लेकिन सांसद, पूर्व विधायक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए सभी श्रेणियों की बसों में सीट आरक्षित होती हैं. बसों में कुल पांच सीटें आरक्षित होती हैं. इसी श्रेणी के लोग इन सीटों पर सफर कर सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन इन सीटों के ओपन होने के चलते बुकिंग हो जाती है. कोई भी घर बैठे सीट बुक करा सकता है. ऐसे में यात्रा के दौरान जब आरक्षित श्रेणी के लोग सफर के लिए बस के अंदर पहुंचते हैं तो झगड़े की नौबत आ जाती है. इस तरह की दिक्कत न हो इसके लिए परिवहन निगम बस के अंदर आरक्षित सीटों को ब्लॉक कर देगा. इसके बाद इन सीटों की ऑनलाइन बुकिंग ही नहीं कराई जा सकेगी. कंडक्टर भी इन सीटों की बुकिंग नहीं कर सकेंगे.
लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों को सभी श्रेणी की बसों में सफर करने पर किलोमीटर की कोई बाध्यता नहीं है. एक सहवर्ती भी साथ में सफर कर सकता है. इसी तरह विधानसभा और विधान परिषद के भूतपूर्व सदस्य भी सभी श्रेणी में एक सहवर्ती के साथ यात्रा कर सकते हैं, किलोमीटर की कोई बाध्यता नहीं है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक साथी के साथ बिना सीमा की बाध्यता के यात्रा कर सकते हैं. मान्यता प्राप्त पत्रकार भी समस्त श्रेणी की बसों में यात्रा तो कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए 5000 किलोमीटर की सीमा निर्धारित है. जनपद स्तर के पत्रकार सिर्फ 2500 किलोमीटर का सफर कर सकते हैं. दिव्यांगजन के लिए साधारण श्रेणी की बसों में यात्रा में किलोमीटर की कोई सीमा नहीं है. लोकतंत्र रक्षक सेनानी भी बसों में एक सहवर्ती के साथ फ्री में यात्रा कर सकते हैं. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कृत शिक्षक साधारण श्रेणी की बस में 4000 किलोमीटर प्रतिवर्ष सफर कर सकते हैं.
लखनऊ रीजन के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर (Regional Manager of Lucknow Region Manoj Kumar Pundir) बताते हैं कि बसों में आरक्षित श्रेणी की सीटों को पहले ही ब्लॉक कर दिया जाएगा, जिससे इनकी ऑनलाइन बुकिंग न हो सके. अक्सर यह शिकायत आती है कि जब आरक्षित श्रेणी के यात्री बस में सफर करने जाते हैं तो पहले से ही उसी सीट पर बुकिंग कर यात्री सफर करने के लिए बैठ जाता है, तब झगड़े की नौबत आ जाती है. सीट ब्लॉक होने के बाद इस तरह की समस्या नहीं आएगी.
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