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जनेश्वर मिश्र पार्क के टिकट बिक्री निजीकरण में घोटाले का आरोप - ticket sales privatization of janeshwar mishra park

अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट जनेश्वर मिश्र पार्क के टिकट बिक्री निजीकरण में घोटाले का आरोप लगा है. इस बारे में लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की है.

जनेश्वर मिश्र पार्क
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Published : Nov 3, 2021, 9:39 PM IST

लखनऊ : सपा प्रमुख अखिलेश यादव जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब जनेश्वर मिश्र पार्क उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था. मगर भाजपा के समय में अब टिकट बिक्री के निजीकरण में बड़ा खेल हुआ है. पिछले साल यहां टिकट बिक्री के जरिये जितनी कमाई हुई थी, उससे 20 लाख रुपये कम पर साल भर टिकट बेचने का टेंडर कर दिया गया है. इसमें न केवल टिकटों की बिक्री का काम मिला है बल्कि 12 दुकानों का संचालन भी एलडीए ठेकेदार को दे रहा है. इससे ठेकेदार का लाभ कई गुना बढ़ा है. इस मामले में एलडीए के अफसरों ने चुप्पी साध ली है और वे कुछ भी नहीं बोल रहे हैं.


लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है. समिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि जनेश्वर मिश्र पार्क गोमती नगर विस्तार में टिकट वसूली के नाम पर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इसकी शिकायत की गयी है. कोविड काल में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लगभग 96 लाख रुपये 6 महीने में वसूली करके प्राधिकरण के कोष में जमा किया था, लेकिन अब मात्र 76 लाख रुपये में एक साल का ठेका दे दिया गया है. इसमें 12 दुकानें भी शामिल हैं. इस प्रकार अगर देखा जाए तो 12 दुकानों को शामिल करके एलडीए यदि इन्हें संचालित करता तो लगभग 2.5 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता. जबकि वर्तमान में दिए गए ठेके से मात्र 76 लाख रुपये का ही राजस्व प्राप्त होगा. इस प्रकार लगभग 1.75 करोड़ रुपये साल का प्राधिकरण को राजस्व का नुकसान हो रहा है. साथ ही जो पहले सर्दियों में टिकट वसूली का समय सुबह 8:30 से 5 था और गर्मियों में सुबह 8:30 से 7 बजे था, जिसे संशोधित करके सर्दियों में 8:30 से 1 घंटा समय बढ़ा कर 6 बजे और गर्मियों में 8:30 से 8 बजे कर दिया गया है.

उमाशंकर दुबे ने बताया कि यह कहीं न कहीं जनता के साथ भी धोखा है. साथ में लखनऊ विकास प्राधिकरण के राजस्व के साथ भ्रष्टाचार है. इतना ही नहीं, मौके पर ठेकेदार द्वारा प्राधिकरण के कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से मनमाने तरीके से सारे नियम-कानून को ताक पर रखकर निवासियों के साथ बदसलूकी करके सिर्फ वसूली अभियान ही चलाया जा रहा है.


इस बारे में एलडीए के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है. प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिशासी अभियंता एके सिंह से जब इस बारे में पूछा गया कि टेंडर का यह पूरा खेल कैसे हुआ तो उन्होंने बताया कि वह अभी लखनऊ के बाहर हैं और इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकते. लखनऊ आने के बाद ही वह अपना पक्ष देंगे.

इसे भी पढ़ें - सीएम योगी का बड़ा एलान : अब होली तक मिलेगा मुफ्त राशन, एक किलो तेल, दाल व नमक भी देगी सरकार

लखनऊ : सपा प्रमुख अखिलेश यादव जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब जनेश्वर मिश्र पार्क उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था. मगर भाजपा के समय में अब टिकट बिक्री के निजीकरण में बड़ा खेल हुआ है. पिछले साल यहां टिकट बिक्री के जरिये जितनी कमाई हुई थी, उससे 20 लाख रुपये कम पर साल भर टिकट बेचने का टेंडर कर दिया गया है. इसमें न केवल टिकटों की बिक्री का काम मिला है बल्कि 12 दुकानों का संचालन भी एलडीए ठेकेदार को दे रहा है. इससे ठेकेदार का लाभ कई गुना बढ़ा है. इस मामले में एलडीए के अफसरों ने चुप्पी साध ली है और वे कुछ भी नहीं बोल रहे हैं.


लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है. समिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि जनेश्वर मिश्र पार्क गोमती नगर विस्तार में टिकट वसूली के नाम पर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इसकी शिकायत की गयी है. कोविड काल में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने लगभग 96 लाख रुपये 6 महीने में वसूली करके प्राधिकरण के कोष में जमा किया था, लेकिन अब मात्र 76 लाख रुपये में एक साल का ठेका दे दिया गया है. इसमें 12 दुकानें भी शामिल हैं. इस प्रकार अगर देखा जाए तो 12 दुकानों को शामिल करके एलडीए यदि इन्हें संचालित करता तो लगभग 2.5 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता. जबकि वर्तमान में दिए गए ठेके से मात्र 76 लाख रुपये का ही राजस्व प्राप्त होगा. इस प्रकार लगभग 1.75 करोड़ रुपये साल का प्राधिकरण को राजस्व का नुकसान हो रहा है. साथ ही जो पहले सर्दियों में टिकट वसूली का समय सुबह 8:30 से 5 था और गर्मियों में सुबह 8:30 से 7 बजे था, जिसे संशोधित करके सर्दियों में 8:30 से 1 घंटा समय बढ़ा कर 6 बजे और गर्मियों में 8:30 से 8 बजे कर दिया गया है.

उमाशंकर दुबे ने बताया कि यह कहीं न कहीं जनता के साथ भी धोखा है. साथ में लखनऊ विकास प्राधिकरण के राजस्व के साथ भ्रष्टाचार है. इतना ही नहीं, मौके पर ठेकेदार द्वारा प्राधिकरण के कुछ बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से मनमाने तरीके से सारे नियम-कानून को ताक पर रखकर निवासियों के साथ बदसलूकी करके सिर्फ वसूली अभियान ही चलाया जा रहा है.


इस बारे में एलडीए के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है. प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिशासी अभियंता एके सिंह से जब इस बारे में पूछा गया कि टेंडर का यह पूरा खेल कैसे हुआ तो उन्होंने बताया कि वह अभी लखनऊ के बाहर हैं और इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकते. लखनऊ आने के बाद ही वह अपना पक्ष देंगे.

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