लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ एक अहम निर्णय लेते हुए कहा है कि आउटसोर्सिंग से नियुक्त कर्मचारी की ओर से दाखिल रिट याचिका पोषणीय नहीं हो सकती है.यह फैसला जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने आउटसोर्सिंग के जरिये नियुक्ति पाये एक कर्मचारी की ओर से दाखिल रिट याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.
याची बेसिक शिक्षा अधिकारी उन्नाव के कार्यालय में आउटसेार्सिंग के जरिये बतौर जिला कोआर्डिनेटर कार्यरत था. उसकी नियुक्ति इस्टीम प्लेसमेंट एण्ड कन्सल्टेंसी सर्विसेस नाम की आउटसोर्सिंग एजेंसी ने बीएसए कार्यालय में किया था. याची को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने वित्तीय अनियमितता के आरोप में 11 नंवबर 2021 केा सेवा से हटा दिया था. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सर्विस प्रोवाइडर एजेंसी को भी साफ बता दिया था कि मामले की गंभीरता की जांच के बाद हीं उसका कांट्रेक्ट बढ़ाया जायेगा.
याची ने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि उसे बिना किसी जांच के ही हटा दिया गया है जो कि सरासर गलत है. यह भी कहा गया कि बीएसए का आदेश सुनवायी का मौका देने के सिद्धांत के खिलाफ है, अतः जिला शिक्षा बेसिक अधिकारी का आदेश रद कर उसे बहाल किया जायेगा. राज्य सरकार की ओर से पेश अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता पंकज खरे और बीएसए के अधिवक्ता राजीव सिंह चौहान ने याचिका का विरेाध करते हुए कहा कि याचिका पेाषणीय नहीं है.
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इस आदेश में कहा गया कि आउटसोर्सिंग से नियुक्त कर्मचारी केा कभी भी हटाया जा सकता है, क्येांकि उसके साथ सरकार का सीधे कोई अनुबंध नहीं होता अपितु उसे सर्विस प्रोवाइटर एजेंसी अपनी शर्तों पर सरकार के लिए नियुक्त करती हैं. ऐसे में याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने याची को सर्विस प्रोवाइडर के खिलाफ उचित फोरम पर मुकदमा करने का सुझाव दिया है.
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