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लाखों स्टांप वेंडर्स को हाई कोर्ट से झटका, याचिका खारिज - Uttar Pradesh news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ई-स्टांप रूल्स 2013 के तहत अथराइज्ड कलेक्शन सेंटर (एसीसी) बनाने पर रोक लगाने और स्टांप छापना बंद किए जाने की आशंका को लेकर आल यूपी स्टांप वेंडर्स एसोसिएशन की याचिका खारिज कर दी है

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Apr 14, 2021, 7:55 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ई-स्टांप रूल्स 2013 के तहत अथराइज्ड कलेक्शन सेंटर (एसीसी) बनाने पर रोक लगाने और स्टांप छापना बंद किए जाने की आशंका को लेकर आल यूपी स्टांप वेंडर्स एसोसिएशन की याचिका खारिज कर दी है. यह फैसला प्रदेश के लाखों स्टांप वेंडर्स के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ के बीच मतभिन्नता के बाद फैसला लेने के लिए गठित तीसरे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने दिया है.

वेंडर्स एसोसिएशन ने यह याचिका इस आशंका में दायर की थी कि सरकार स्टांप छापना बंद कर देगी, इससे लाखों लोगों की आजीविका छिन जाएगी. कोर्ट ने कहा कि स्टांप घोटाले को रोकने के लिए बनी ई -स्टांप नियमावली 13 के उपबंध याचियों के व्यापार और व्यवसाय सहित जीविकोपार्जन के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं करते. ई-स्टैैंपिंग करार रूल्स के तहत ही है. रूल्स की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है. नए रूल्स से याचियों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता. ऐसा कोई आदेश नहीं है जिसमें सरकार ने स्टांप छापने पर रोक लगाई हो। कोर्ट सरकार को स्टांप छापने का आदेश नीतिगत मसला होने के नाते नहीं दे सकती.

न्यायमूर्ति वर्मा ने न्यायमूर्ति केशरवानी के अभिमत का समर्थन किया है. न्यायमूर्ति भनोट ने आजीविका और व्यापार के अधिकार के मुद्दे को विचारणीय मानते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार से जवाब मांगा था, जबकि न्यायमूर्ति केशरवानी ने याचियों के किसी अधिकार का उल्लंघन न होने के कारण याचिका खारिज कर दी थी. मालूम हो कि प्रदेश में यूपी स्टांप रूल्स 1942 के तहत स्टांप बिक्री लाइसेंसी वेंडर्स द्वारा कमीशन पर की जाती है. जिलाधिकारियों द्वारा लाखों वेंडर्स नियुक्त किए गए हैैं और कार्य कर रहे हैं.

तेलगी स्टांप घोटाले के मद्देनजर केंद्र सरकार ने ई-स्टैैंपिंग पर विचार किया था और 2013 में रूल्स बनाए थे. इसके तहत स्टाक होल्डिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया (सेंट्रल रिकार्ड कीपिंग एजेंसी)को अथराइज्ड कलेक्शन सेंटर नियुक्त कर ई-स्टांप बिक्री की जिम्मेदारी दी गई. एसोसिएशन की आशंका है कि सरकार स्टांप छापना बंद कर देगी और उनके सदस्य बेरोजगार हो जाएंगे. ऐसा करना अनुच्छेद 19(1)जी, अनुच्छेद 21व अनुच्छेद 38का उल्लंघन है. सरकार का कहना था कि वेंडर्स लाइसेंस की शर्तो के अधीन कार्य करते हैं. स्टांप छापने पर भी रोक नहीं लगाई है. वेंडर्स भी एसीसी नियुक्त हो सकते हैं. देश में इस समय तीन हजार अथराइज्ड कलेक्शन सेन्टर (एसीसी) हैं. यह व्यवस्था घोटाला रोकने के लिए जनहित मे लागू की गई. इससे याची के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता.

इसे भी पढे़ं- सुलतानपुर: प्रसव पीड़ा पर रोकी गई हमसफर एक्सप्रेस

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ई-स्टांप रूल्स 2013 के तहत अथराइज्ड कलेक्शन सेंटर (एसीसी) बनाने पर रोक लगाने और स्टांप छापना बंद किए जाने की आशंका को लेकर आल यूपी स्टांप वेंडर्स एसोसिएशन की याचिका खारिज कर दी है. यह फैसला प्रदेश के लाखों स्टांप वेंडर्स के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ के बीच मतभिन्नता के बाद फैसला लेने के लिए गठित तीसरे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने दिया है.

वेंडर्स एसोसिएशन ने यह याचिका इस आशंका में दायर की थी कि सरकार स्टांप छापना बंद कर देगी, इससे लाखों लोगों की आजीविका छिन जाएगी. कोर्ट ने कहा कि स्टांप घोटाले को रोकने के लिए बनी ई -स्टांप नियमावली 13 के उपबंध याचियों के व्यापार और व्यवसाय सहित जीविकोपार्जन के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं करते. ई-स्टैैंपिंग करार रूल्स के तहत ही है. रूल्स की वैधता को चुनौती नहीं दी गई है. नए रूल्स से याचियों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता. ऐसा कोई आदेश नहीं है जिसमें सरकार ने स्टांप छापने पर रोक लगाई हो। कोर्ट सरकार को स्टांप छापने का आदेश नीतिगत मसला होने के नाते नहीं दे सकती.

न्यायमूर्ति वर्मा ने न्यायमूर्ति केशरवानी के अभिमत का समर्थन किया है. न्यायमूर्ति भनोट ने आजीविका और व्यापार के अधिकार के मुद्दे को विचारणीय मानते हुए केंद्र तथा राज्य सरकार से जवाब मांगा था, जबकि न्यायमूर्ति केशरवानी ने याचियों के किसी अधिकार का उल्लंघन न होने के कारण याचिका खारिज कर दी थी. मालूम हो कि प्रदेश में यूपी स्टांप रूल्स 1942 के तहत स्टांप बिक्री लाइसेंसी वेंडर्स द्वारा कमीशन पर की जाती है. जिलाधिकारियों द्वारा लाखों वेंडर्स नियुक्त किए गए हैैं और कार्य कर रहे हैं.

तेलगी स्टांप घोटाले के मद्देनजर केंद्र सरकार ने ई-स्टैैंपिंग पर विचार किया था और 2013 में रूल्स बनाए थे. इसके तहत स्टाक होल्डिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया (सेंट्रल रिकार्ड कीपिंग एजेंसी)को अथराइज्ड कलेक्शन सेंटर नियुक्त कर ई-स्टांप बिक्री की जिम्मेदारी दी गई. एसोसिएशन की आशंका है कि सरकार स्टांप छापना बंद कर देगी और उनके सदस्य बेरोजगार हो जाएंगे. ऐसा करना अनुच्छेद 19(1)जी, अनुच्छेद 21व अनुच्छेद 38का उल्लंघन है. सरकार का कहना था कि वेंडर्स लाइसेंस की शर्तो के अधीन कार्य करते हैं. स्टांप छापने पर भी रोक नहीं लगाई है. वेंडर्स भी एसीसी नियुक्त हो सकते हैं. देश में इस समय तीन हजार अथराइज्ड कलेक्शन सेन्टर (एसीसी) हैं. यह व्यवस्था घोटाला रोकने के लिए जनहित मे लागू की गई. इससे याची के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता.

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