ETV Bharat / state

कौशांबी के जिलाधिकारी के ड्राइवर की नियुक्ति का मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब - डीएम के ड्राइवर्स पद को नियमित करने का मामला

कौशांबी जिलाधिकारी के ड्राइवर पद पर नियमित करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने जवाब के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है.

कॉन्सेप्ट इमेज.
कॉन्सेप्ट इमेज.
author img

By

Published : Sep 19, 2020, 2:13 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी के जिलाधिकारी के ड्राइवर पद पर जून 1997 से कार्यरत कर्मचारियों की सेवा नियमित करने के मामले में राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने भगवान दीन व धर्मराज की विशेष अपील पर दिया है.

मालूम हो कि 11 जून 1997 को कौशाम्बी जिला बना था. सरकार ने जिलाधिकारी को अंबेसडर कार व दो ड्राइवर की स्वीकृति दी थी. याचीगण को 12 सौ रूपये प्रतिमाह पर ड्राइवर रखा गया. 2002 में सेवा नियमित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसे नहीं माना गया और साल 2003 में भर्ती निकाली गई.

इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सौ फीसदी आरक्षण देने के कारण रोक लगा दी थी. दोबारा से 2007 में पद भरने के लिए विज्ञापन जारी किया गया. एक पद ओबीसी व दूसरा एससी के लिए आरक्षित था, जिसे चुनौती दी गयी. तर्क दिया गया कि दोनों पद आरक्षित नहीं किया जा सकता. पहले पद विज्ञापित नहीं हुआ था, इसीलिए बैकलॉग नहीं मान सकते. लंबे समय से कार्यरत याचियों को नियमित किया जाए.

हालांकि इसी विज्ञापन से धर्मराज ड्राइवर नियुक्त किया गया है. भगवान दीन को संग्रह अमीन का चपरासी नियुक्त किया गया. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सौ फीसदी आरक्षण देने के कारण वर्ष 2003 व वर्ष 2007 की भर्ती रद्द कर दी. इससे एक याची की भी नियुक्ति निरस्त हो गयी.

एकलपीठ के इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गयी है. याची अधिवक्ता का कहना है कि सेवा नियमित करने की नियमावली की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी केस में अस्थायी कर्मी की सेवा नियमित करने की छूट दी है. इस पर एकलपीठ के आदेश में विचार नहीं किया गया. अपील की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी के जिलाधिकारी के ड्राइवर पद पर जून 1997 से कार्यरत कर्मचारियों की सेवा नियमित करने के मामले में राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने भगवान दीन व धर्मराज की विशेष अपील पर दिया है.

मालूम हो कि 11 जून 1997 को कौशाम्बी जिला बना था. सरकार ने जिलाधिकारी को अंबेसडर कार व दो ड्राइवर की स्वीकृति दी थी. याचीगण को 12 सौ रूपये प्रतिमाह पर ड्राइवर रखा गया. 2002 में सेवा नियमित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसे नहीं माना गया और साल 2003 में भर्ती निकाली गई.

इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सौ फीसदी आरक्षण देने के कारण रोक लगा दी थी. दोबारा से 2007 में पद भरने के लिए विज्ञापन जारी किया गया. एक पद ओबीसी व दूसरा एससी के लिए आरक्षित था, जिसे चुनौती दी गयी. तर्क दिया गया कि दोनों पद आरक्षित नहीं किया जा सकता. पहले पद विज्ञापित नहीं हुआ था, इसीलिए बैकलॉग नहीं मान सकते. लंबे समय से कार्यरत याचियों को नियमित किया जाए.

हालांकि इसी विज्ञापन से धर्मराज ड्राइवर नियुक्त किया गया है. भगवान दीन को संग्रह अमीन का चपरासी नियुक्त किया गया. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सौ फीसदी आरक्षण देने के कारण वर्ष 2003 व वर्ष 2007 की भर्ती रद्द कर दी. इससे एक याची की भी नियुक्ति निरस्त हो गयी.

एकलपीठ के इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी गयी है. याची अधिवक्ता का कहना है कि सेवा नियमित करने की नियमावली की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी केस में अस्थायी कर्मी की सेवा नियमित करने की छूट दी है. इस पर एकलपीठ के आदेश में विचार नहीं किया गया. अपील की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.