लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए किसी भी अवैध निर्माण को नियमित करने की शमन योजना 2020 को सही नहीं माना है. कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से इस योजना को लागू करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने राज्य सरकार सहित और विकास प्राधिकरणों को इस नई योजना पर अमल न करने का निर्देश दिया है. कोर्ट का यह आदेश नियम के विपरीत निर्माण कराने के बाद में शमन शुल्क देकर उसे वैध कराने वाले बिल्डरों और भवन स्वामियों के लिए बड़ा झटका है. लखनऊ विकास प्राधिकरण में अभी तक 183 आवेदन जमा हुए हैं. इनमें से 93 से शमन शुल्क लेकर शमनीय मानचित्र जारी भी कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने ज्यादा से ज्यादा अवैध निर्माण को वैध कराने के लिए 21 जुलाई से यह योजना शुरू की थी. इस योजना का लाभ अभी तक 300 वर्ग मीटर वाले भवनों के अवैध निर्माण को वैध कराने के लिए किया गया है. दूसरे विभागों से अनापत्ति की शर्त ने बड़े बिल्डरों को परेशानी में डाल दिया था. मगर अब उनके लिए समस्या हो सकती है. शमन योजना पर रोक लगने पर अवैध निर्माण को गिराना होगा.
20 अक्टूबर के बाद साफ होगी स्थिति
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह योजना प्रथम दृष्टया अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अवैध निर्माणों को नियमित करने के उद्देश्य से बनाई गई है. यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने शाहजहांपुर के मेहर खान अंसारी की याचिका पर दिया है. हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव शहरी विकास से इस मामले में 20 अक्टूबर तक हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों से अपेक्षा की है कि अवैध निर्माणों को रोकेंगे, न कि उन्हें बढ़ावा देंगे. कोर्ट ने कहा कि ऐसी योजनाएं उन ईमानदार लोगों को हताश करने वाली हैं जो नियमों का पालन कर निर्माण की अनुमति लेकर कानून के तहत भवन बनवाते हैं. ऐसे लोगों को नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य भी किया जाता है, जबकि भवन निर्माण कानून का उल्लंघन कर बिल्डिंग बनाने वालों को और अधिक अवैध निर्माण की छूट दी जा रही है.
अवैध निर्माणों की यह है स्थिति
कुल चिह्नित अवैध निर्माण : 340681
ध्वस्तीकरण के आदेश पारित : 152175
अवैध निर्माणों पर लंबित कार्रवाई : 188506