लखनऊ: लॉकडाउन के चलते बिजली की मांग में भारी कमी को देखते हुए ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर मांग की है कि बिजली खरीद करार के अपरिहार्य परिस्थितियों (फोर्स मेंजयूर) क्लाज का उपयोग करते हुए निजी बिजली उत्पादन घरों को नोटिस दिया जाए.
नोटिस में जिक्र किया जाए कि जरूरत न होने पर बिजली न खरीदने की स्थिति में उन्हें फिक्स चार्ज नहीं दिए जाएंगे. फेडरेशन ने कहा कि विद्युत वितरण कम्पनियां इसकी नोटिस निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को तत्काल दें.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने सभी प्रांतो व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजा है. इस भेजे पत्र में उन्होंने लिखा है कि राज्यों की बिजली वितरण कम्पनियां पहले ही गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है. ऐसे में बिजली की मांग न होने पर बिना बिजली खरीदे उन्हें निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादन घरों को पीपीए के अनुसार फिक्स चार्ज देना पड़ता है. जिससे वितरण कंपनियों पर और आर्थिक बोझ आ रहा है.
फेडरेशन ने पत्र में लिखा कि जब तक लॉकडाउन चल रहा है और बिजली की मांग नहीं है तब तक वितरण कंपनियां बिजली खरीद करार में ही निहित फोर्स मेंज्यूर क्लाज का प्रयोग करते हुए निजी कंपनियों को नोटिस जारी कर बता दें कि चूंकि उनसे अभी बिजली नहीं खरीदनी है इसलिए लॉकडाउन रहने तक उन्हें फिक्स चार्जेस नहीं दिए जायेंगे.
शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि लॉकडाउन को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने औद्योगिक उपभोक्ताओं को लॉकडाउन के दौरान बिजली का फिक्स चार्ज देने से छूट दे दी है. यही स्थिति विद्युत् वितरण कंपनियों की भी है, इसलिए उन्हें भी निजी क्षेत्र की बिजली उत्पादन कंपनियों को फिक्स चार्ज देने से छूट मिलनी चाहिए.
उप्र पावर कार्पोरेशन ने 28 मार्च को ही सभी बिजली उत्पादन कंपनियों को नोटिस भेजकर कह दिया है कि बिजली न खरीदने की स्थिति में कार्पोरेशन उन्हें फिक्स चार्ज नही देगा. यूपीपीसीएल ने ललितपुर, बजाज पावर, लैंको, रोजा, एनटीपीसी, एनएचपीसी, न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन, सतलज जल विद्युत् निगम, टेहरी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, सासन पावर, पावर ट्रेडिंग कंपनी और राज्य विद्युत् उत्पादन निगम को इस बाबत नोटिस दी है. उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, मध्य प्रदेश और तामिलनाडु ने भी इसी प्रकार की नोटिस निजी कंपनियों को दे दी है.