लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लोगों को समुचित इलाज मिल सके इसलिए लगातार चिकित्सा क्षेत्र में बदलाव हो रहा है. इसी के तहत प्रदेश के सरकारी एवं संबद्ध निजी अस्पतालों के एक ही वार्ड में सभी आपातकालीन सुविधाएं मिलेंगी. मरीज के तीमारदार को अलग-अलग वार्डों की ओर दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री भवन स्थित सभागार में चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग की सतत संजीवनी सेवा के संबंध में आहूत समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया.
एक वार्ड में सभी आपातकालीन सुविधाएं (All emergency facilities will be in one ward) को लेकर लखनऊ में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक कहा कि प्रदेश में मेडिकल इमरजेंसी सुविधा के ढांचे को दुरुस्त किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बैठक में चर्चा में आए सभी बिंदुओं की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष रखी जाएगी. इसके बाद योजना को लेकर अगली कार्रवाई होगी. सतत संजीवनी सेवा एक एकीकृत इमरजेंसी चिकित्सा सेवा प्रदान करने की व्यवस्था है, जिसमें एक इमरजेंसी वार्ड के अंदर सभी प्रकार के आकस्मिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएंगी. इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों में 30 बेड का इमरजेंसी हॉस्पिटल बनाने की व्यवस्था है.
इसके सुचारू संचालन के लिए एक एकीकृत कंट्रोल एण्ड कमाण्ड सेंटर स्थापित किया जायेगा. सभी प्रकार की आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं सभी रोगियों को पहले 48 घंटे तक निःशुल्क प्रदान की जाएंगी. उप मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान सतत संजीवनी सेवा के प्रारम्भ से पूर्व विभागीय अधिकारियों से विभाग में कार्यरत स्टाफ, दवाएं, उपकरण एवं विभाग की तत्कालिक आवश्यकता के सम्बंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त की.
उन्होंने विभागीय उच्चाधिकारियों को निर्देशित किया कि समस्त जनपदीय अस्पतालों/मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए अस्पतालों की क्षमता वृद्धि की जाएं. सभी अस्पतालों में जरूरी दवाओं, उपकरणों व विशेषज्ञ स्टाफ की समुचित व्यवस्था कर ली जाए. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि इमरजेंसी हॉस्पिटल को एल-1, एल-2, एल-3 में श्रेणीबद्ध करके उनका प्रभावी मॉनीटरिंग किया जाए तथा प्रदेश में कार्यरत एएलएस एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाई जाए तथा उनकी जीपीएस के माध्यम से समुचित निगरानी की जाएं.
प्रदेश में इमरजेंसी सेवाओं के लिए अधिक संख्या में मेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाएं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग प्रदेश को बेहतर सेवा प्रदान कर रहा है. हमारा उद्देश्य इसे श्रेष्ठ बनाकर सभी प्रदेशवासियों को चिकित्सा के माध्यम से निरोगी बनाना है. बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, महानिदेशक किंजल सिंह, महानिदेशक रेनू श्रीवास्तव सहित विभिन्न अधिकारीगण व चिकित्सा विशेषज्ञ मौजूद रहे.
इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
- कोविड कमांड सेंटर की तर्ज पर एकीकृत ट्रॉमा एवं इमरजेंसी कमांड सेंटर की स्थापना.
- एएलएस एंबुलेंस की संख्या में वृद्धि, प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की उपलब्धता.
- सभी मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की स्थापना.
- लेवल 1, 2 व 3 ट्रॉमा सेंटरों की उच्चीकरण एवं स्थापना.
- इमरजेंसी बेड्स की वृद्धि एवं विभागों की स्थापना.
- प्रथम 48 घंटे मरीज के निःशुल्क इलाज की व्यवस्था.
- इमरजेंसी एवं ट्रॉमा केयर टेक्नीशियनों हेतु विशेष कोर्सेस.
- आपात चिकित्सालयों को श्रेणीबद्ध कर संचालन.
- प्रशिक्षित तकनीकि स्टाफ की व्यवस्था.
- निजी क्षेत्र की सहभागिता.
- स्किल सेंटरों की स्थापना.
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