लखनऊ : मंकीपॉक्स बीमारी की बढ़ती आशंका को देखते हुए सीएम योगी ने अलर्ट जारी किया है. यूपी सरकार की ओर से मंकीपॉक्स को लेकर सर्विलांस प्रबंधन से जुड़े कई बिंदुओं पर प्रदेश के हर जिले में सर्विलांस इकाई बनाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. सीएम योगी के आदेश के बाद मंकीपॉक्स से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं. राज्य और जिले स्तर पर तैयारियों मंकीपॉक्स के रोगियों के इलाज के लिए कोविड अस्पतालों में 10 बेड आरक्षित किए गए हैं. आवश्यकता पड़ने पर आरक्षित किए गए इन बेड को रोगियों के उपचार और आईसोलेशन करने में उपयोग किए जाएंगे.
केजीएमयू में होगी मंकीपॉक्स के नमूनों की जांच :
संभावित रोगियों के नमूनों की जांच राज्य स्तर पर केजीएमयू की प्रयोगशाला में होगी. क्लिनिकल नमूनों के संग्रह और परिवहन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए केजीएमयू के 2 चिकित्सकों का नाम, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी जारी की गई है.
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox): मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतर मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए (Monkeypox symptoms in Hindi) है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था.
मंकीपॉक्स के लक्षण: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. मामले गंभीर भी हो सकते हैं. हाल के समय में, मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है, लेकिन यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.
अफ्रीका के बाहर पहला मंकीपॉक्स का मामला (Monkeypox New Case) अमेरिका में दर्ज किया गया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.
सुरक्षा और बचाव :
- मंकीपॉक्स के रोगी के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री जैसे- बिस्तर आदि के संपर्क में आने से बचें.
- रोगियों को दूसरों से अलग आईसोलेशन में रखें.
- रोगियों की देखभाल करते समय पीपीई किट का उपयोग करें.
- किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के विषय में तत्काल जिला, राज्य और केंद्रीय सर्विलांस इकाई को सूचित करें.
- रोगी को घर पर भी आइसोलेशन में रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भी भर्ती कराया जा सकता है.
- दूसरों के साथ संपर्क के जोखिम को कम करने के लिए घावों को यथासंभव अधिकतम सीमा तक ढंका जाना चाहिए.
- सभी घावों के ठीक होने पर ही आइसोलेशन की अवधि समाप्त होगी.
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