लखनऊ: आतंकी संगठन अलकायदा इन द इंडियन सबकांटीनेंट (AQIS) फिदाइन दस्ता बनाने के लिए उन महिलाओं को चुनता है, जो गरीब परिवार से होती हैं. उन्हें कुछ पैसे और दो वक्त का भोजन दिया जाता और इसका फायदा उठाकर ब्रेन वॉश कर मानव बम में तब्दील किया जाता था. इसका खुलासा एनआईए (NIA) की जांच में हुआ है. यह भी पता चला है कि (AQIS) ने जहां-जहां शाहीन फोर्स का गठन किया है, वहां इसमें पांच सौ महिलाओं को जोड़ा गया है. यहां पर भी लगभग पांच सौ महिलाओं को जोड़ने का प्रयास शुरू हो चुका था. यूपी एटीएस (UP ATS) भी इससे इनकार नहीं कर रही है. IG ATS जीके गोस्वामी का कहना है कि खुफिया एजेंसियों की मदद से अलकायदा के मंसूबों का पता लगाया जा रहा है. साथ ही शाहीन फोर्स के गठन की संभावना को खंगाला जा रहा है.
एक्यूआईएस (AQIS) की महिला विंग शाहीन फोर्स ने विदेशों में कई घटनाओं को अंजाम दिया है. एनआईए सूत्रों के मुताबिक जो रिपोर्ट उन्हें एक्यूआईएस की महिला विंग को लेकर मिली है, उसके मुताबिक गरीब महिलाओं को इस काम के लिए चुना जाता है. महिलाओं की बातचीत महिलाओं से ही कराई जाती है. उन्हें दो वक्त का खाना, कुछ पैसे और कपड़े देने के साथ ही जेहाद को लेकर ब्रेन वॉश किया जाता है. जब वह जेहाद के लिए कुछ भी करने को तैयार होती हैं, तो कैंप में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. अफगानिस्तान और सीरिया बॉर्डर पर महिलाओं के लिए कैंप आयोजित किए जाते हैं.
ट्रेनिंग के बाद भी लो-प्रोफाइल
ट्रेनिंग लेने के बाद शाहीन फोर्स की महिलाएं जहां भी भेजी जाती है. वहां आसपास के लोगों को वह यह आभास नहीं होने देतीं कि फिदाइन बनने के लिए ट्रेनिंग दी गई है. वह एक दम लो प्रोफाइल और साधारण जीवन जीती हैं. वह लोगों के घरों में नौकरानी, खाना बनाने वाली, धोबिन आदि का काम भी कर लेती हैं. छोटी गुमटी से लेकर ठेला तक लगा लेती हैं. इसी की आड़ में वह सूचनाएं एकत्र कर संगठन के आकाओं तक पहुंचाने का काम करती हैं.
इसे भी पढ़ें-संदिग्ध आतंकी की डायरी से मिला सीक्रेट कोड, जानिए "उड़न तश्तरी" कोड का मतलब
गिरफ्तार होते ही 'आतंकियों' के फोन का डाटा गायब
लखनऊ में एक्यूआईएस (अलकायदा इन द इंडियन सबकांटीनेंट) विंग के आतंकी मिनहाज और मुशीर से बरामद मोबाइल का डाटा गायब हो गया है. जैसे ही उसे एटीएस ने एक्सेस करना शुरू किया, सब कुछ साफ हो चुका था. डाटा रिकवरी के लिए एटीएस ने मोबाइल को फोरेंसिक लैब भेजा है. इस बात की आशंका है कि फोन रिमोट एक्सेस पर था. उसमें ऐसे एप्लीकेशंस थे कि किसी तीसरे के हाथ में फोन जाते ही पूरा डाटा साफ हो जाएगा. अब इसकी पड़ताल हो रही है कि दोनों के मोबाइल कौन और कहां से एक्सेस कर रहा था.
इसे भी पढ़ें-आतंकियों का कानपुर कनेक्शन आया सामने, साथियों की तलाश में पनकी पहुंची ATS
एटीएस सूत्रों के मुताबिक मिनहाज और मुशीर के मोबाइल पर कई ऐसी फोटो और मैसेज होने की आशंका है, जिससे केस में नए सबूत मिल सकते थे. सूत्र बताते हैं कि कहीं भी बात करने के लिए आरोपित व्हाट्सएप कॉल का ज्यादा इस्तेमाल करते थे. कुछ एसएमएस के जरिए कोडवर्ड में उनके पास मैसेज भी आए थे. इसका खुलासा सीडीआर रिपोर्ट में हुआ है. सूत्रों के मुताबिक मोबाइल का डाटा साफ न होता तो कई नई जानकारियां, फोटो और कोड मैसेज मिल सकते थे.