लखनऊ: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) इंदौर उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही जागरूक करने जा रहा है. इसके लिए संस्थान ने डॉ. अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के साथ हुए एमओयू किया है. इसके तहत ग्रामीण महिलाओं को साहूकार के कर्ज जाल से बचने के लिए जागरूक किया जाएगा. साथ ही किसानों को कर्ज दिलाने के लिए बैंक से कैसे जोड़ा जाए इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने 26 दिसंबर को हुए विश्वविद्यालय के 21वे दीक्षान्त समारोह में इसकी जानकारी दी थी.
दरअसल, प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आईआईएम इंदौर ने वीमेन फाइनेंशियल लिट्रेसी नाम से एक प्रोजेक्ट तैयार किया है. आईआईएम इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत एकेटीयू से जुड़े 750 कालेजों में से एक-एक कॉलेज से दो महिला शिक्षकों का चयन किया जाएगा. चयनित महिला शिक्षकों को आईआईएम की तरफ से ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग के बाद इन महिला शिक्षकों को ब्राण्ड एम्बेसडर बनाया जाएगा. ब्राण्ड एम्बेसडर बनने के बाद यह महिला शिक्षिकाएं अपने-अपने कालेजों में ग्रामीण महिलाओं के लिए वर्कशाप करेंगी. इसके साथ ही महिलाओं से खुद मिलकर उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेंगी.
आईआईएम इंदौर के निदेशक डॉ. हिमांशु राय ने बताया कि चयनित महिला शिक्षकों को चार बिंदुओं पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. पहला कि आखिर घर की आय के अनुसार कैसे बजट बनाया जाए. दूसरा आय व्यय का प्रबंधन कैसे किया जाए. तीसरा गांव के साहूकारों से कर्ज लेने से कैसे बचा जाएं और कैसे बैंक से जुड़ा जाए. चौथा और अंतिम महिला के उद्यमी बनने की इच्छा को पूरा करना.
एकेटीयू देगा ड्रोन का प्रशिक्षण
इसके अलावा ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एकेटीयू ड्रोन प्रशिक्षण उपलब्ध करायेगा. जिससे प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त ग्रामीण महिलाएं कृषि को और उन्नत बनाये रखने की दिशा में कदम उठा सकें. इस बारे में एकेटीयू के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि इस परियोजना के तहत ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को ड्रोन निर्धारित खेती के फायदे के बारे में जानकारी दी जाएगी साथ ही खेती में कौन कौन से उपकरणों का प्रयोग किया जाना जरूरी है इसके बारे में भी महिलाओं को बताया जाएगा जिससे वह खुद खेती कर सकें.
आईआईएम इंदौर पिछले 4 साल से चला रहा यह प्रोग्राम
आईआईएम इंदौर के निदेशक डॉ. हिमांशु राय ने बताया कि इंक्लूजिविटी की बात करे तो यह प्रोग्राम हम बीते चार साल से चला रहे है. हम फाइनेंशियल लिटरेसी पे प्रोग्राम करते हैं और ऐसी महिलाओं के लिए जो की इकोनॉमिकली वीकर सेक्शंस ऑफ़ द सोसाइटी से आती है उनके लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में हमने अपने संस्थान जितने भी हाउसकीपिंग के लिए महिलाएं आती हैं उनके लिए यह काम किया. मध्य प्रदेश में जो पुलिस वाले हैं, खासकर इंदौर के उनकी जो वाइफ है या उनके परिवार की जो लड़कियां हैं उनके लिए हमने प्रोग्राम चलाया है. इसी तरह से हमने एकेटीयू के साथ इसके लिए काम करने जा रहे है. डॉ. राय ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. यह सहयोग अकैडमी उत्कृष्टता और सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
प्रदेश के सभी जिलों को इसमें शामिल किया जाएगा
एकेटीयू के सहयोग से प्रदेश के सभी 75 जिलों में महिलाओं के बीच वित्तीय साक्षरता उद्यमशीलता कौशल और नेतृत्व गुणों को विकसित करने के उद्देश्य से विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. इसके तहत हम ग्रामीण परिवेश में रह रही महिलाओं को सशक्त बनाएंगे. उन्हें उनके संबंधित समुदाय में परिवर्तन के लिए प्रभावशाली प्रबंधको, प्रमुखों और उत्प्रेरक के रूप में स्थापित करेंगे. इससे महिलाएं अपने समुदाय में लीडर और चेंज मेकर के रूप में विकसित हो सकेंगे. डॉक्टर राय ने बताया कि ग्रामीण जुड़ाव के लिए (रूरल इंगेजमेंट प्रोग्राम आरईपी) के तहत विशेष रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों को समझने का मौका देता है. इसमें उन्हें स्थानीय चुनौतियां की समझ मिलती है और वो व्यवहारिक समाधान पेश करने में सक्षम होते हैं. हमारे इसी ग्रामीण जुड़ाव कार्यक्रम के अब तक के अनुभव को उत्तर प्रदेश में भी शुरू करने जा रहे हैं. इसके अलावा इसके माध्यम से हम राज की एक जिला एक उत्पाद पल के तहत राज्य के सभी 75 जिलों के ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने का भी काम करेंगे. सहयोग केवल शिक्षा जगत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) और संस्थागत सामाजिक उत्तरदायित्व (आईएसआर) गतिविधियों के लिए भी संयुक्त प्रयास भी होगा. इसके तहत दोनों संस्थान ग्रामीण समुदाय की महिलाओं में सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से उद्यमिता विकास और इक्वेशन सेंटर्स की भी स्थापना करेंगे. यह कार्यक्रम कम से कम 3 साल के लिए प्रदेश में चलाया जाएगा. डॉ. हिमांशु राय ने बताया कि इस प्रोग्राम के तहत पहले चरण में कुछ जिलों से यह शुरू किया जाएगा. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से सभी जिलों के 746 ब्लॉकों में आने वाले गांव को शामिल किया जाएगा.
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