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अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती आज, जानें शुभ मुहूर्त और विधि-विधान... - 14 मई को मनाई जाएगी परशुराम जंयती

इस साल 14 मई को अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त और विधि-विधान के जानने के लिए देखें रिपोर्ट...

अक्षय तृतीया.
अक्षय तृतीया.
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Published : May 13, 2021, 5:58 PM IST

Updated : May 14, 2021, 12:36 AM IST

लखनऊ: बैशाख मास शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अक्षय तृतीया का व्रत-पूजन 14 मई को किया जाएगा. इसी दिन भगवान परशुराम जयंती भी मनाई जाएगी. इस तिथि में किये गये जप, तप, दान का फल अक्षय होता है, इसीलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस तिथि को स्वंय सिद्ध मुहूर्त माना गया है. इस कारण से इस तिथि में शादी- ब्याह खूब होते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से शायद अधिक शादियां न हो रही हैं.

ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल.

पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रातः 5:38 से 12: 05 मिनट तक
अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल ने बताया कि तृतीया तिथि 14 मई को प्रातः 5:38 मिनट से प्रारंभ होकर 15 मई को प्रातः 7:59 मिनट तक रहेगी. 14 मई को अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त प्रातः 5:38 से दिन 12:05 मिनट तक श्रेष्ठ है. भगवान परशुराम का अवतार अक्षय तृतीया की तिथि में ही अहराह्न में हुआ था, इसलिए परशुराम जयंती भी 14 मई को ही मनाई जायेगी.

इस तिथि में किया गया दान होता है अक्षय
ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि अक्षय तृतीया पर तीर्थो में स्नान, जप, तप, हवन आदि शुभ कार्याें का अनंत फल मिलता है. इस दिन किया गया दान अक्षय यानि की जिसका क्षय न हो माना जाता है. इस दिन जल से भरा कलश, पंखा, छाता, गाय, चरण-पादुका स्वर्ण भूमि आदि का दान सर्वश्रेष्ठ रहता है. मंदिरों में जल से भरा कलश एवं खरबूज चढ़ाया जाता है. पुराणों में भी इस दिन का वर्णन है. इस दिन व्यापारी अपने खातों की पूजन भी करते है.

अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध एवं अबूझ मुहूर्त है. इसमें विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आदि सभी कार्य किये जा सकते हैं. परशुराम जयंती, त्रेतायुग का प्रारंभ इसी तिथि को हुआ था. इसे युगादि तिथि भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के नर नारायण, हयग्रीव अवतार इसी दिन हुआ था. भगवान ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था. श्रीबद्रीनारायण के पट भी इसी दिन खुलते हैं और वृंदावन में श्रीबिहारी के चरणों को दर्शन वर्ष में इसी दिन होता है.

यह भी पढ़ें-अक्षय तृतीया पर नही होंगे बांके बिहारी के चरण दर्शन

ग्रहों की स्थिति अक्षय तृतीया को और भी शुभ बनाएगी
ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना है जो इस दिन को और भी शुभ व प्रभावशाली बना रहा है. सूर्य इस दिन मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के राशि परिवर्तन से इस दिन वृष राशि में सूर्य बुध के संयोग से बुधादित्य योग बनेगा. इस दिन शुक्र स्वराशि वृष में रहेंगे. इस दिन चंद्रमा उच्च राशि होंगे. अक्षय तृतीया पर चंद्रमा का शुक्र के साथ शुक्रवार को वृष राशि में गोचर करना, धन, समृद्धि और निवेश के लिए बहुत ही शुभफलदायी है. अक्षय तृतीया पर चंद्रमा संध्या काल में मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. मिथुन राशि में इस समय मंगल का संचार हो रहा है. ऐसे में चंद्रमा के मिथुन राशि में आने से यहां धन योग का निर्माण होगा.

लखनऊ: बैशाख मास शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अक्षय तृतीया का व्रत-पूजन 14 मई को किया जाएगा. इसी दिन भगवान परशुराम जयंती भी मनाई जाएगी. इस तिथि में किये गये जप, तप, दान का फल अक्षय होता है, इसीलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस तिथि को स्वंय सिद्ध मुहूर्त माना गया है. इस कारण से इस तिथि में शादी- ब्याह खूब होते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से शायद अधिक शादियां न हो रही हैं.

ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल.

पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त प्रातः 5:38 से 12: 05 मिनट तक
अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल ने बताया कि तृतीया तिथि 14 मई को प्रातः 5:38 मिनट से प्रारंभ होकर 15 मई को प्रातः 7:59 मिनट तक रहेगी. 14 मई को अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त प्रातः 5:38 से दिन 12:05 मिनट तक श्रेष्ठ है. भगवान परशुराम का अवतार अक्षय तृतीया की तिथि में ही अहराह्न में हुआ था, इसलिए परशुराम जयंती भी 14 मई को ही मनाई जायेगी.

इस तिथि में किया गया दान होता है अक्षय
ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि अक्षय तृतीया पर तीर्थो में स्नान, जप, तप, हवन आदि शुभ कार्याें का अनंत फल मिलता है. इस दिन किया गया दान अक्षय यानि की जिसका क्षय न हो माना जाता है. इस दिन जल से भरा कलश, पंखा, छाता, गाय, चरण-पादुका स्वर्ण भूमि आदि का दान सर्वश्रेष्ठ रहता है. मंदिरों में जल से भरा कलश एवं खरबूज चढ़ाया जाता है. पुराणों में भी इस दिन का वर्णन है. इस दिन व्यापारी अपने खातों की पूजन भी करते है.

अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध एवं अबूझ मुहूर्त है. इसमें विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आदि सभी कार्य किये जा सकते हैं. परशुराम जयंती, त्रेतायुग का प्रारंभ इसी तिथि को हुआ था. इसे युगादि तिथि भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के नर नारायण, हयग्रीव अवतार इसी दिन हुआ था. भगवान ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था. श्रीबद्रीनारायण के पट भी इसी दिन खुलते हैं और वृंदावन में श्रीबिहारी के चरणों को दर्शन वर्ष में इसी दिन होता है.

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ग्रहों की स्थिति अक्षय तृतीया को और भी शुभ बनाएगी
ज्योतिषाचार्य नागपाल ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना है जो इस दिन को और भी शुभ व प्रभावशाली बना रहा है. सूर्य इस दिन मेष राशि से वृष राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के राशि परिवर्तन से इस दिन वृष राशि में सूर्य बुध के संयोग से बुधादित्य योग बनेगा. इस दिन शुक्र स्वराशि वृष में रहेंगे. इस दिन चंद्रमा उच्च राशि होंगे. अक्षय तृतीया पर चंद्रमा का शुक्र के साथ शुक्रवार को वृष राशि में गोचर करना, धन, समृद्धि और निवेश के लिए बहुत ही शुभफलदायी है. अक्षय तृतीया पर चंद्रमा संध्या काल में मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. मिथुन राशि में इस समय मंगल का संचार हो रहा है. ऐसे में चंद्रमा के मिथुन राशि में आने से यहां धन योग का निर्माण होगा.

Last Updated : May 14, 2021, 12:36 AM IST
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