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Akhilesh Yadav taunt : कहा, सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं, किसान बदहाली में जीने को मजबूर

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav taunt) ने किसानों के मुद्दे पर बयान जारी करे केंद्र और राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि किसान हितों की बातें सिर्फ विज्ञापनों में छप रही हैं. किसानों की दोगुनी आय का वादा जुमला साबित हो चुका है.

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Published : Jan 20, 2023, 7:13 PM IST

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में किसान बदहाली में जीने को मजबूर हैं. भाजपा सरकार को किसानों की दिक्कतों, परेशानियों की कोई चिंता नहीं है. किसानों के साथ किए गए भाजपा के सभी वादे झूठे निकले हैं. किसान हित की बातें सिर्फ सरकारी विज्ञापनों में छपी दिखती हैं. अब तो मुख्यमंत्री भी किसानों के बारे में कुछ नहीं बोलते हैं. किसान महंगाई और कर्ज के बोझ से दबकर आत्महत्या करने को मजबूर हैं.


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार के तमाम दावों के बावजूद धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दरों पर नहीं हुई है. किसान को अपनी फसल को औने-पौने दाम पर बिचैलियों के हाथों बेचना पड़ा है. प्रदेश में धान की क्रय अवधि 5 माह होती है जिसमें पहले 48 घंटों के अंदर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर पर भुगतान करने का निर्देश था, फिर इसे 90 दिन कर दिया गया, लेकिन यह बात तो खुद आयुक्त खाद्य रसद विभाग भी मान रहा है कि सभी किसानों को एमएसपी पर भुगतान नहीं किया जा सका है. भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि आखिर किसानों को धान का एमएसपी दरों पर निर्धारित अवधि में भुगतान क्यों नहीं किया गया?

गन्ना किसानों की दुर्दशा तो भाजपा राज में सबसे ज्यादा है. गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए तीन महीने हो चुके हैं. वर्ष 2022-23 का गन्ना मूल्य अभी तक घोषित नहीं किया गया है. प्रदेश में चल रही 120 चीनी मिलों से जुड़े 60 लाख से ज्यादा किसानों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है. भाजपा सरकार हर काम चुनाव के लाभ हानि की नज़र से करती है. गन्ना किसानों को भी भाजपाई राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है. गन्ना किसान को उत्पादन और परिश्रम लागत जोड़कर भुगतान किया जाना चाहिए. भाजपा सरकार गन्ना का समर्थन मूल्य जल्द घोषित क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगनी करने का वादा किया था. वर्ष 2022 बीत गया पर भाजपा नेतृत्व को अपने वादे की याद नहीं आई. मंहगाई के कारण किसान की फसल की उत्पादन लागत बहुत बढ़ती जा रही है. सरकारी मदद समय से न मिलने से किसान पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या तक कर ली है. भाजपा सरकार किसानों के प्रति घोर संवेदनहीन बनी हुई है. भाजपा जबसे सत्ता में आई है, पूंजीघरानों के हितों को ही संरक्षण दे रही है. गरीबों-किसानों के प्रति भाजपा की हमदर्दी केवल दिखावटी और जुमलों तक सीमित है.

अखिलेश यादव को ज्ञापन दिया : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सहायक सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों ने ज्ञापन सौंपकर परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करने और शीघ्र नियुक्ति पत्र दिए जाने की मांग पर समर्थन मांगा. ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सहायक सांख्यिकी अधिकारी एवं सहायक शोध अधिकारी के पदों पर परीक्षा का विज्ञापन सितम्बर 2019 में हुआ था. ढाई वर्ष बाद 22 मई 2022 को परीक्षा कराई गई. इसके बाद से परीक्षा परिणाम के लिए अभ्यर्थी लगातार आयोग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. प्रतिनिधिमंडल में प्रवीण मौर्य, धीरेन्द्र कुमार सिंह, अय्यूब हसन, सरबजीत, संतोष कुमार, राजकुमार यादव, अमित मिश्र, अतुल कुमार, कौशल यादव शामिल रहे.

यह भी पढ़ें : Supremacy in golf club : कैप्टन व पदाधिकारियों पर अभद्रता का आरोप, रिटायर्ड IAS ने दी तहरीर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में किसान बदहाली में जीने को मजबूर हैं. भाजपा सरकार को किसानों की दिक्कतों, परेशानियों की कोई चिंता नहीं है. किसानों के साथ किए गए भाजपा के सभी वादे झूठे निकले हैं. किसान हित की बातें सिर्फ सरकारी विज्ञापनों में छपी दिखती हैं. अब तो मुख्यमंत्री भी किसानों के बारे में कुछ नहीं बोलते हैं. किसान महंगाई और कर्ज के बोझ से दबकर आत्महत्या करने को मजबूर हैं.


सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार के तमाम दावों के बावजूद धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दरों पर नहीं हुई है. किसान को अपनी फसल को औने-पौने दाम पर बिचैलियों के हाथों बेचना पड़ा है. प्रदेश में धान की क्रय अवधि 5 माह होती है जिसमें पहले 48 घंटों के अंदर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर पर भुगतान करने का निर्देश था, फिर इसे 90 दिन कर दिया गया, लेकिन यह बात तो खुद आयुक्त खाद्य रसद विभाग भी मान रहा है कि सभी किसानों को एमएसपी पर भुगतान नहीं किया जा सका है. भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि आखिर किसानों को धान का एमएसपी दरों पर निर्धारित अवधि में भुगतान क्यों नहीं किया गया?

गन्ना किसानों की दुर्दशा तो भाजपा राज में सबसे ज्यादा है. गन्ना पेराई सत्र शुरू हुए तीन महीने हो चुके हैं. वर्ष 2022-23 का गन्ना मूल्य अभी तक घोषित नहीं किया गया है. प्रदेश में चल रही 120 चीनी मिलों से जुड़े 60 लाख से ज्यादा किसानों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है. भाजपा सरकार हर काम चुनाव के लाभ हानि की नज़र से करती है. गन्ना किसानों को भी भाजपाई राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है. गन्ना किसान को उत्पादन और परिश्रम लागत जोड़कर भुगतान किया जाना चाहिए. भाजपा सरकार गन्ना का समर्थन मूल्य जल्द घोषित क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगनी करने का वादा किया था. वर्ष 2022 बीत गया पर भाजपा नेतृत्व को अपने वादे की याद नहीं आई. मंहगाई के कारण किसान की फसल की उत्पादन लागत बहुत बढ़ती जा रही है. सरकारी मदद समय से न मिलने से किसान पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है. सैकड़ों किसानों ने आत्महत्या तक कर ली है. भाजपा सरकार किसानों के प्रति घोर संवेदनहीन बनी हुई है. भाजपा जबसे सत्ता में आई है, पूंजीघरानों के हितों को ही संरक्षण दे रही है. गरीबों-किसानों के प्रति भाजपा की हमदर्दी केवल दिखावटी और जुमलों तक सीमित है.

अखिलेश यादव को ज्ञापन दिया : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सहायक सांख्यिकी अधिकारी परीक्षा में बैठे अभ्यर्थियों ने ज्ञापन सौंपकर परीक्षा का परिणाम शीघ्र जारी करने और शीघ्र नियुक्ति पत्र दिए जाने की मांग पर समर्थन मांगा. ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा सहायक सांख्यिकी अधिकारी एवं सहायक शोध अधिकारी के पदों पर परीक्षा का विज्ञापन सितम्बर 2019 में हुआ था. ढाई वर्ष बाद 22 मई 2022 को परीक्षा कराई गई. इसके बाद से परीक्षा परिणाम के लिए अभ्यर्थी लगातार आयोग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार में उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. प्रतिनिधिमंडल में प्रवीण मौर्य, धीरेन्द्र कुमार सिंह, अय्यूब हसन, सरबजीत, संतोष कुमार, राजकुमार यादव, अमित मिश्र, अतुल कुमार, कौशल यादव शामिल रहे.

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