ETV Bharat / state

अखिलेश को कांग्रेस से क्यों है इतनी नफरत, नहीं लेना चाहते चुनाव बाद भी समर्थन !

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मेरी भूल थी कि मैंने कांग्रेस से गठबंधन किया था. अब कभी गठबंधन नहीं करेंगे. अब तो अखिलेश यहां तक कह रहे हैं कि चुनाव बाद भी अगर सपा सरकार बनाने में कांग्रेस का समर्थन लेना पड़ा तो भी कांग्रेस का समर्थन नहीं लूंगा.

कांग्रेस ने नफरत नहीं करेंगे अखिलेश यादव
कांग्रेस ने नफरत नहीं करेंगे अखिलेश यादव
author img

By

Published : Jan 17, 2022, 1:44 PM IST

लखनऊः साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दो युवा कदमताल करते हुए चुनाव मैदान में उतरे थे. यह युवा थे राहुल गांधी और अखिलेश यादव. नारा लगा था 'यूपी को साथ पसंद है', लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो दोनों के चेहरों की हवाइयां उड़ गईं. इसके बाद दोनों ही पार्टियों के रास्ते अलग हो गए. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर चर्चा चली कि कांग्रेस पार्टी और सपा का गठबंधन हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके पीछे अखिलेश यादव को कांग्रेस से सख्त नफरत अहम वजह है.


उत्तर प्रदेश में इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले जहां समाजवादी पार्टी ने कई दलों से गठबंधन किया है, वहीं कांग्रेस पार्टी ने एक भी दल से गठबंधन नहीं किया. इन दोनों पार्टियों का 2017 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन था. दोनों दलों के फिर से गठबंधन न होने के पीछे एक बड़ी वजह पिछले विधानसभा चुनाव में एक साथ आकर भी बेहतर परिणाम न दे पाना तो है ही, सपा मुखिया अखिलेश यादव को कांग्रेस की सरकार के दौरान समाजवादी परिवार के खिलाफ की गई कार्रवाई भी बड़ा कारण है. अखिलेश अब बार-बार 2017 में कांग्रेस से किए गए गठबंधन को याद करते हैं लेकिन उसे भूल भी जाना चाहते हैं. सार्वजनिक मंच पर अखिलेश ये स्वीकार कर चुके हैं कि 2017 में उनसे भूल हो गई थी कि जिस पार्टी ने उनके साथ गलत किया था उसी पार्टी से हाथ मिलाया था, अब ऐसा कभी नहीं होगा.

आखिर अखिलेश को कांग्रेस से क्यों है इतनी नफरत
बता दें कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया था तो समाजवादी पार्टी की कुल 47 सीटें आई थीं, वहीं कांग्रेस पार्टी सात सीटें ही जीतने में सफल हो पाई थी. ऐसे में भविष्य में फिर से गठबंधन के रास्ते पहले ही बंद हो गए थे, लेकिन 2022 आते-आते कांग्रेस की तरफ से कोशिशें तो फिर से एक बार दोनों पार्टियों में गठबंधन की हुईं,नलेकिन अखिलेश बिल्कुल भी तैयार नहीं हुए. इसका नतीजा यही हुआ कि इस बार सपा और कांग्रेस साथ-साथ नहीं है.
चुनाव बाद भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं: अखिलेश
हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश से जब यह सवाल किया गया कि विधानसभा चुनाव के बाद अगर कांग्रेस पार्टी की अच्छी सीटें आ जाती है और समाजवादी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कांग्रेस की आवश्यकता पड़ती है तो क्या चुनाव बाद सपा और कांग्रेस का गठबंधन हो सकता है? इस पर अखिलेश ने तंज भरे लहजे में जवाब दिया कि कांग्रेस कहीं है भी? मुझे तो नहीं दिखती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता दिल्ली में बैठकर समाजवादी पार्टी के खिलाफ साजिश रचते हैं. उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार न आए इसके लिए कोशिश कर रहे हैं. चुनाव बाद भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन नहीं होगा.

अखिलेश कहते हैं कि आय से अधिक संपत्ति मामले में परिवार के खिलाफ सीबीआई जांच कांग्रेस सरकार ने ही शुरू कराई थी. मेरी भूल थी कि मैंने कांग्रेस से गठबंधन किया था. अब कभी गठबंधन नहीं करेंगे. अब तो अखिलेश यहां तक कह रहे हैं कि चुनाव बाद भी अगर सपा सरकार बनाने में कांग्रेस का समर्थन लेना पड़ा तो भी कांग्रेस का समर्थन नहीं लूंगा.


वहीं कांग्रेस पार्टी अखिलेश के नफरत भरे बयान में जीत का संकेत देख रही है. पार्टी के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि अखिलेश यादव यह बात मान रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी जीतने जा रही है. उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ही ऐसी नेता हैं जो साढ़े चार साल तक नौजवानों के मुद्दे पर, किसानों के मुद्दे पर और महिलाओं के मुद्दे पर तानाशाह आदित्यनाथ सरकार से लड़ी हैं. अखिलेश यादव का अपना विचार है. उनकी पार्टी नफरत सिखाती होगी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस गांधी, नेहरू और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पदचिन्हों पर चलने वाली पार्टी है. हम नफरत नहीं हम प्रेम की बात करते हैं. कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में जनता के मुद्दों पर जा रही है. प्रदेश के लोग जाति और धर्म की राजनीति नकार चुके हैं और शायद भारतीय जनता पार्टी के तरीके से अखिलेश यादव भी यह मान रहे हैं कि समाजवादी पार्टी हार मान चुकी है, इसलिए वह कुछ भी बयान दे रहे हैं. हम उनके प्रति नफरत नहीं रखते. हम गांधी के तरीके से प्रेम करने वाले लोग हैं. शोषित, वंचित की लड़ाई लड़ने वाले लोग हैं.

पढ़ें- सपा-रालोद गठबंधन ने दो और सीटों पर घोषित किए प्रत्याशी

लखनऊः साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दो युवा कदमताल करते हुए चुनाव मैदान में उतरे थे. यह युवा थे राहुल गांधी और अखिलेश यादव. नारा लगा था 'यूपी को साथ पसंद है', लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो दोनों के चेहरों की हवाइयां उड़ गईं. इसके बाद दोनों ही पार्टियों के रास्ते अलग हो गए. 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर चर्चा चली कि कांग्रेस पार्टी और सपा का गठबंधन हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके पीछे अखिलेश यादव को कांग्रेस से सख्त नफरत अहम वजह है.


उत्तर प्रदेश में इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले जहां समाजवादी पार्टी ने कई दलों से गठबंधन किया है, वहीं कांग्रेस पार्टी ने एक भी दल से गठबंधन नहीं किया. इन दोनों पार्टियों का 2017 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन था. दोनों दलों के फिर से गठबंधन न होने के पीछे एक बड़ी वजह पिछले विधानसभा चुनाव में एक साथ आकर भी बेहतर परिणाम न दे पाना तो है ही, सपा मुखिया अखिलेश यादव को कांग्रेस की सरकार के दौरान समाजवादी परिवार के खिलाफ की गई कार्रवाई भी बड़ा कारण है. अखिलेश अब बार-बार 2017 में कांग्रेस से किए गए गठबंधन को याद करते हैं लेकिन उसे भूल भी जाना चाहते हैं. सार्वजनिक मंच पर अखिलेश ये स्वीकार कर चुके हैं कि 2017 में उनसे भूल हो गई थी कि जिस पार्टी ने उनके साथ गलत किया था उसी पार्टी से हाथ मिलाया था, अब ऐसा कभी नहीं होगा.

आखिर अखिलेश को कांग्रेस से क्यों है इतनी नफरत
बता दें कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया था तो समाजवादी पार्टी की कुल 47 सीटें आई थीं, वहीं कांग्रेस पार्टी सात सीटें ही जीतने में सफल हो पाई थी. ऐसे में भविष्य में फिर से गठबंधन के रास्ते पहले ही बंद हो गए थे, लेकिन 2022 आते-आते कांग्रेस की तरफ से कोशिशें तो फिर से एक बार दोनों पार्टियों में गठबंधन की हुईं,नलेकिन अखिलेश बिल्कुल भी तैयार नहीं हुए. इसका नतीजा यही हुआ कि इस बार सपा और कांग्रेस साथ-साथ नहीं है.
चुनाव बाद भी कांग्रेस से गठबंधन नहीं: अखिलेश
हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश से जब यह सवाल किया गया कि विधानसभा चुनाव के बाद अगर कांग्रेस पार्टी की अच्छी सीटें आ जाती है और समाजवादी पार्टी को सरकार बनाने के लिए कांग्रेस की आवश्यकता पड़ती है तो क्या चुनाव बाद सपा और कांग्रेस का गठबंधन हो सकता है? इस पर अखिलेश ने तंज भरे लहजे में जवाब दिया कि कांग्रेस कहीं है भी? मुझे तो नहीं दिखती. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता दिल्ली में बैठकर समाजवादी पार्टी के खिलाफ साजिश रचते हैं. उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार न आए इसके लिए कोशिश कर रहे हैं. चुनाव बाद भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन नहीं होगा.

अखिलेश कहते हैं कि आय से अधिक संपत्ति मामले में परिवार के खिलाफ सीबीआई जांच कांग्रेस सरकार ने ही शुरू कराई थी. मेरी भूल थी कि मैंने कांग्रेस से गठबंधन किया था. अब कभी गठबंधन नहीं करेंगे. अब तो अखिलेश यहां तक कह रहे हैं कि चुनाव बाद भी अगर सपा सरकार बनाने में कांग्रेस का समर्थन लेना पड़ा तो भी कांग्रेस का समर्थन नहीं लूंगा.


वहीं कांग्रेस पार्टी अखिलेश के नफरत भरे बयान में जीत का संकेत देख रही है. पार्टी के प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि अखिलेश यादव यह बात मान रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी जीतने जा रही है. उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ही ऐसी नेता हैं जो साढ़े चार साल तक नौजवानों के मुद्दे पर, किसानों के मुद्दे पर और महिलाओं के मुद्दे पर तानाशाह आदित्यनाथ सरकार से लड़ी हैं. अखिलेश यादव का अपना विचार है. उनकी पार्टी नफरत सिखाती होगी.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस गांधी, नेहरू और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पदचिन्हों पर चलने वाली पार्टी है. हम नफरत नहीं हम प्रेम की बात करते हैं. कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में जनता के मुद्दों पर जा रही है. प्रदेश के लोग जाति और धर्म की राजनीति नकार चुके हैं और शायद भारतीय जनता पार्टी के तरीके से अखिलेश यादव भी यह मान रहे हैं कि समाजवादी पार्टी हार मान चुकी है, इसलिए वह कुछ भी बयान दे रहे हैं. हम उनके प्रति नफरत नहीं रखते. हम गांधी के तरीके से प्रेम करने वाले लोग हैं. शोषित, वंचित की लड़ाई लड़ने वाले लोग हैं.

पढ़ें- सपा-रालोद गठबंधन ने दो और सीटों पर घोषित किए प्रत्याशी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.