लखनऊ : समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर मंथन किया गया. इस मीटिंग की सबसे खास बात यह रही कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट कर थर्ड फ्रंट बनाने की जिम्मा अब समाजवादी पार्टी ने लिया है. इस तीसरे मोर्चे में सपा के साथ तृणमूल कांग्रेस और अन्य कई विपक्षी दल रहेंगे. बैठक में यह भी सहमति बनी कि समाजवादी पार्टी 2024 के चुनाव में कांग्रेस के साथ नहीं जाएगी. अगर कांग्रेस को सपा और अन्य छोटे दलों का साथ लेना चाहती है तो उसे खुद आगे आना होगा.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर थर्ड फ्रंट यानी तीसरे मोर्चे की चर्चा फिर शुरू हो गई है. इस बार यह बीड़ा सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद उठाया है. समाजवादी पार्टी की कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह तय हो गया कि अखिलेश यादव की अगुवाई में लोकसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा चुनाव मैदान में उतरेगा. हाल ही में अखिलेश यादव ने कई राज्यों का दौरा किया था. ऐसा माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव के साथ ममता बनर्जी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, एमके स्टालिन और शंकर सिंह वाघेला सरीखे तमाम नेता एकजुट दिखेंगे.
सूत्रों का मानना है कि अखिलेश यादव सभी छोटे दलों को इकट्ठा कर एक बड़ा राजनीतिक समीकरण तैयार करने में जुटे हैं, ताकि भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में चुनौती दी जा सके. सपा के नेताओं का दावा है कि इस तरह अखिलेश यादव ने गैर कांग्रेस थर्ड फ्रंट की नींव डाल दी है. सूत्रों के अनुसार, यूपी जैसे बड़े राज्य में 80 सीटों पर सभी महत्वपूर्ण पार्टियों की नजर है. 2024 में सपा 50 सीटों को जीतने का लक्ष्य बनाकर मैदान में उतरने जा रही है. पार्टी ने इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, जैसे बड़े राज्यों में सीट जीतने का लक्ष्य रखा है.
ऐसा नहीं है कि अचानक अखिलेश यादव ने थर्ड फ्रंड बनाने की मुहिम छेड़ी है. तीसरा मोर्चा बनाने का आइडिया शिवपाल यादव का है, जो चुनावों के मुख्य रणनीतिकार माने जा रहे हैं. पार्टी सूत्रों ने आंकलन है कि पड़ोसी राज्य बिहार में विपक्ष को एकजुट करने वकालत कर चुके नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव थर्ड फ्रंट के साथ ही रहेंगे. इसके अलावा महाराष्ट्र में शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे इलाकाई क्षत्रप भी एक हो सकते हैं. इसी क्रम में गुजरात पहुंचे अखिलेश यादव ने शंकर सिंह वाघेला सरीखे बड़े नेता से मिलकर नए संकेत दिए. इसके अलावा तमिल राजनीति में बड़ा नाम एम के स्टालिन को अखिलेश यादव ने उनके जन्मदिन पर चेन्नई पहुंचकर बधाई दी थी, जिसे विपक्षी जुटान के रूप में देखा जा रहा है. कुल मिलाकार अखिलेश को विपक्षी एकता के लिए आगे बढ़कर नए समीकरण गढ़ने की तैयारी कर रहे हैं.
थर्ड फ्रंड यानी तीसरा मोर्चा गढ़ने की चुनौती आसान नहीं है. अभी तक कई दिग्गज नेताओं ने तीसरा मोर्चा को नए सिरे से बनाने की कोशिशें कीं, मगर सफल नहीं हुए. थर्ड फ्रंड की चर्चा पर यह सवाल उठता है कि तीसरे मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा ? यह सवाल क्षेत्रीय राजनेताओं की एकजुटता को काफी प्रभावित करती है. इस मोर्चे के सामने सबसे बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी का कद है, जिसने पिछले 8 साल में वोट की राजनीति बदल दी है. अगले चुनाव में तीसरा मोर्चा के लिए पीएम कैंडिडेट का ऐलान करना आसान नहीं होगा. ब्रांड मोदी के सामने कई पार्टियों का जनाधार खत्म हो गया. 2024 के लोकसभा चुनावों में जनाधार खो चुके नेताओं का एक कुनबा कितनी सफलता हासिल कर पाएगा, इस पर संशय होना स्वाभाविक है.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद कहते हैं कि समाजवादी पार्टी की 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भूमिका पूरी तरह से स्पष्ट है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह रणनीति बना ली है कि समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरना है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए थर्ड फ्रंट जैसे गठबंधन करते हुए समाजवादी पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी. जहां तक कांग्रेस की बात है तो कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीतिक दल है. उसे खुद आगे आकर छोटे दलों को साथ लेना होगा. समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ जाने के लिए खुद से प्रयास नहीं करेगी. अगर कांग्रेस को छोटे दोनों का साथ चाहिए, उसे खुद आगे आकर बातचीत करनी होगी.