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लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़ रहे नेता बढ़ा रहे अखिलेश यादव की चुनौतियां, विपक्षियों को भा रहीं भाजपा की नीतियां

लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इसके बावजूद उनकी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाता तोड़ कर भाजपाई खेमे में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव संगठन को एकजुट करना और नेताओं के मनाने की दोहरी चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

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Published : Jul 25, 2023, 6:36 PM IST

लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़ रहे नेता बढ़ा रहे अखिलेश यादव की चुनौतियां. देखें खबर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कई बड़े झटके मिल रहे हैं. समाजवादी पार्टी के कई नेता अखिलेश का साथ छोड़कर बीजेपी को गले लगा चुके हैं. इससे अखिलेश यादव की चुनाव से पहले मुसीबत भी बढ़ रही है. अखिलेश के सामने अपने नेताओं को रोके रहना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. विपक्षी दलों को एक करने के अभियान में भी लगे अखिलेश यादव को इस तरह नेताओं के छोड़कर जाने से बड़ा झटका लग रहा है. सूत्रों का दावा है कि समाजवादी पार्टी के करीब आधा दर्जन से अधिक कई और बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी में आने वाले दिनों में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के लिए अपने पार्टी नेताओं को अपने साथ बनाए रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

यूपी की राजनीति.
यूपी की राजनीति.


दरअसल अखिलेश यादव पिछले कुछ समय से विपक्षी एकता के सूत्रधार बन रहे हैं. अखिलेश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी दलों के नेताओं को एक मंच पर लाने की कवायद में जुटे हुए हैं. पटना से लेकर बेंगलुरु तक महागठबंधन की बैठक में शामिल हुए सभी दलों को एक मंच पर लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ होने की बात कही जा रही है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का साथ छोड़ रहे हैं. ऐसे में विपक्षी दलों की एकजुटता की बात बेमानी साबित होती है.

यूपी की राजनीति.
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सूत्रों का कहना है कि सपा के करीब पांच छह नेताओं पर बीजेपी की नजर है और उनसे बातचीत चल रही है. करीब आधा दर्जन वरिष्ठ सपा के नेताओं को भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले कभी भी अपने साथ जोड़ सकती है और उन्हें चुनाव लड़ाने या फिर बकायदा अन्य कोई बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है. बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल तक कई ऐसे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें लाने पर बातचीत चल रही है. बीजेपी सपा के वरिष्ठ नेताओं को समाजवादी पार्टी से तोड़कर अपने पाले में लाने के लिए पूरी तरह से प्लानिंग और बातचीत कर रही है. जिसका फायदा भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिल सकेगा.

यूपी की राजनीति.
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एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि हम लोकसभा चुनाव से पहले सपा के कई नेताओं को शामिल कराने पर ध्यान दे रहे हैं. दारा सिंह चौहान की वापसी, ओमप्रकाश राजभर गठबंधन के साथ आ चुके हैं. धर्म सिंह सैनी सहित अन्य नेताओं के आने का सिलसिला जल्द ही शुरू होगा. चर्चा है कि पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, ओमप्रकाश सिंह, पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह, पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह भी समाजवादी पार्टी की कार्यशैली से खुश नहीं हैं. ये नेता भी भाजपा के सम्पर्क में भी हैं. पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज भी भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें : भाजपा के बड़े नेताओं के लिए तय की जा रहीं चुनिंदा लोकसभा सीटें, जानिए किसकी कहां से दावेदारी

लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़ रहे नेता बढ़ा रहे अखिलेश यादव की चुनौतियां. देखें खबर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कई बड़े झटके मिल रहे हैं. समाजवादी पार्टी के कई नेता अखिलेश का साथ छोड़कर बीजेपी को गले लगा चुके हैं. इससे अखिलेश यादव की चुनाव से पहले मुसीबत भी बढ़ रही है. अखिलेश के सामने अपने नेताओं को रोके रहना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. विपक्षी दलों को एक करने के अभियान में भी लगे अखिलेश यादव को इस तरह नेताओं के छोड़कर जाने से बड़ा झटका लग रहा है. सूत्रों का दावा है कि समाजवादी पार्टी के करीब आधा दर्जन से अधिक कई और बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी में आने वाले दिनों में शामिल हो सकते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के लिए अपने पार्टी नेताओं को अपने साथ बनाए रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.

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दरअसल अखिलेश यादव पिछले कुछ समय से विपक्षी एकता के सूत्रधार बन रहे हैं. अखिलेश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी दलों के नेताओं को एक मंच पर लाने की कवायद में जुटे हुए हैं. पटना से लेकर बेंगलुरु तक महागठबंधन की बैठक में शामिल हुए सभी दलों को एक मंच पर लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ होने की बात कही जा रही है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का साथ छोड़ रहे हैं. ऐसे में विपक्षी दलों की एकजुटता की बात बेमानी साबित होती है.

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सूत्रों का कहना है कि सपा के करीब पांच छह नेताओं पर बीजेपी की नजर है और उनसे बातचीत चल रही है. करीब आधा दर्जन वरिष्ठ सपा के नेताओं को भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले कभी भी अपने साथ जोड़ सकती है और उन्हें चुनाव लड़ाने या फिर बकायदा अन्य कोई बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है. बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल तक कई ऐसे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें लाने पर बातचीत चल रही है. बीजेपी सपा के वरिष्ठ नेताओं को समाजवादी पार्टी से तोड़कर अपने पाले में लाने के लिए पूरी तरह से प्लानिंग और बातचीत कर रही है. जिसका फायदा भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिल सकेगा.

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एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि हम लोकसभा चुनाव से पहले सपा के कई नेताओं को शामिल कराने पर ध्यान दे रहे हैं. दारा सिंह चौहान की वापसी, ओमप्रकाश राजभर गठबंधन के साथ आ चुके हैं. धर्म सिंह सैनी सहित अन्य नेताओं के आने का सिलसिला जल्द ही शुरू होगा. चर्चा है कि पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, ओमप्रकाश सिंह, पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह, पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह भी समाजवादी पार्टी की कार्यशैली से खुश नहीं हैं. ये नेता भी भाजपा के सम्पर्क में भी हैं. पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज भी भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं.

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