लखनऊ : मऊ जिले के मोहम्मदाबाद गोहाना के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड की नए सिरे से विवेचना के आदेश के बाद भी, हत्या की साजिश रचने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को लेकर संशय बरकरार है. नए सिरे से विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर गाजीपुर अनिल कुमार का कहना है कि, साक्ष्य के आधार पर धनंजय पर साजिश रचने का आरोप तय है, उसकी तलाश में दबिश दी जा रही है.
हालांकि, अभी तक भगोड़ा घोषित 25 हजार का इनामी धनंजय पुलिस गिरफ्त में नहीं आया है. आखिर धनंजय सिंह कहां है ? उसे जमीन खा गई या आसमान. पुलिस इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है. अजीत हत्याकांड में बागपत जेल में बंद सुनील राठी के तार भी जुड़ रहे हैं. पुलिस की मानें तो माफिया डॉन सुनील राठी को "वारंट बी" के जरिए लखनऊ लाने की तैयारी की जा रही है, इसके लिए जल्द विधिक कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी.
इंस्पेक्टर गाजीपुर अनिल कुमार का कहना है कि, अजीत हत्याकांड से जुड़े सभी साक्ष्य और कागजात कब्जे में ले लिया गया है. हत्या की विवेचना शुरू कर दी गई है. हत्या से जुड़े करीब 20 लोगों से पूछताछ की गई और उनके बयान दर्ज किए गए हैं. इनामी धनंजय सिंह की तलाश में जौनपुर और लखनऊ में टीमें निगरानी में लगी हैं. धनंजय की गिरफ्तारी के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक नए सिरे से विवेचना में कोई नए तथ्य सामने नहीं आए हैं.
अभी हाल ही में ट्रांसफर की गई विवेचना
बहुचर्चित अजीत सिंह हत्याकांड की विवेचना अभी हाल ही में स्थानांतरित की गई है. अब इंस्पेक्टर गाजीपुर इसकी विवेचना कर रहे हैं. इससे पहले विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह इसकी विवेचना कर रहे थे. हत्या के बाद से तत्कालीन एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र सिंह और विवेचक चंद्रशेखर सिंह पर उंगलियां उठ रही थी. विरोध के स्वर भी उठे, लेकिन कमिश्नर डीके ठाकुर ने सिर्फ एसीपी विभूतिखंड को स्थानांतरित कर इंस्पेक्टर को बरकरार रखा. एसीपी को हटाने के पीछे की खास वजह थी. दरअसल, तत्कालीन एसीपी बनारस जेल में बंद पूर्वांचल में कुख्यात माफिया के रिश्तेदार बताए जाते हैं.
यह है पूरा मामला
बता दें कि 6 जनवरी 2021 को अजीत सिंह की विभूति खंड में कठौता चौराहे पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्याकांड में एक लाख का इनामिया गिरधारी का नाम सामने आया था. गिरधारी को दिल्ली पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर रिमांड पर लेकर लखनऊ आई थी. इसी दौरान गिरधारी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. छानबीन में पता चला है कि एक अन्य शूटर को धनंजय सिंह ने शरण दी, और उसका इलाज भी कराया था. इसके बाद हत्याकांड की साजिश रचने में धनंजय सिंह का नाम उजागर हुआ. इस मुकदमे में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को आरोपी बनाया गया.
धनंजय का नाम हत्याकांड में सामने आने के बाद 20 फरवरी को उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया था. पुलिस ने 25000 का इनाम और फिर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था. इसके बाद कुर्की की कार्रवाई से पहले एक नोटिस जारी हुई. 5 मार्च 2021 को धनंजय ने प्रयागराज में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत में एक दूसरे मामले में आत्मसमर्पण कर दिया था. 31 मार्च को वह जमानत पर रिहा हो गया था. लखनऊ पुलिस आरोपी की तलाश कर रही है. हालांकि अभी तक उसे पकड़ा नहीं जा सका है.
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इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी
मऊ के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजित सिंह की हत्या के बाद साथी मोहर सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी. मोहर सिंह ने तब आजमगढ़ जेल में बंद कुंटू सिंह, अखंड सिंह और गिरधारी को नामजद कराया था. इसके बाद पुलिस ने प्रकाश में आए संदीप उर्फ बाबा, मुस्तफा उर्फ बंटी, देवेंद्र उर्फ अंकुर, बंधन सिंह, प्रिंस व रेहान को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. 7 अप्रैल को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी थी. अब इंस्पेक्टर गाजीपुर अनिल कुमार शेष आरोपियों के खिलाफ विवेचना करेंगे.