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अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ाएगा 22 साल पुराना मर्डर केस, 16 मई को कोर्ट में होगी अंतिम सुनवाई - 22 साल पुराना मर्डर केस

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं. 22 साल पहले हुए प्रभात गुप्ता हत्याकांड में हाईकोर्ट में अब जल्द ही फैसला सुनाएगा.

अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ाएगा 22 साल पुराना मर्डर केस
अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ाएगा 22 साल पुराना मर्डर केस
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Published : May 9, 2022, 4:12 PM IST

लखनऊ : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं. 22 साल पहले हुई प्रभात गुप्ता हत्याकांड में हाईकोर्ट में 16 मई को अंतिम दौर की सुनवाई पूरी होनी है. पिछले 4 साल से रिजर्व आदेश पर अब जल्द ही फैसला सुनाया जा सकता है. प्रभात गुप्ता हत्याकांड में अजय मिश्रा समेत 4 लोग नामजद किए गए थे. 4 साल पहले इस केस में हाईकोर्ट ने ऑर्डर सुरक्षित रख लिया था. अब एक बार फिर इस केस में फैसले की घड़ी आ सकती है.

ये है मामला :
8 जुलाई 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में प्रभात गुप्ता की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मृतक प्रभात के पिता संतोष गुप्ता ने अजय मिश्रा उर्फ टेनी के साथ राकेश डालू, शशि भूषण व सुभाष मामा को हत्या में नामजद आरोपी बनाया था. आरोप था कि अजय मिश्रा ने प्रभात गुप्ता की कनपटी पर दिनदहाड़े गोली मारी थी. इसके बाद सुभाष मामा ने प्रभात के सीने में मारी थी. गोली लगने से प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई थी.

घटना के बाद प्रभात के पिता संतोष गुप्ता ने लखीमपुर के तिकुनिया थाने में अजय मिश्रा समेत 4 लोगों के खिलाफ अभियोग संख्या 302 व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही दिन बाद अचानक प्रभात हत्याकांड का केस सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया. इस केस में खास बात यह रही है कि इसकी जानकारी वादी संतोष गुप्ता को नहीं दी गई.


विवेचक ने जांच करने से किया मना
मृतक प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि सीबीसीआईडी को जांच दिए जाने के बाद आरोपियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से गुहार लगाई थी. इसके बाद 24 अक्टूबर 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव आलोक रंजन ने केस की जांच सीबीसीआईडी से लेकर फिर लखीमपुर खीरी पुलिस को दे दी गई. लेकिन, जांच अधिकारी ने इस मामले की जांच करने से मना कर दिया और किसी अन्य विवेचक से जांच करने के लिए लिखित रूप से प्रार्थना पत्र दिया.

अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ाएगा 22 साल पुराना मर्डर केस

इसके बाद आईजी जोन लखनऊ ने SIT गठित कर विवेचना करवाई और 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई. इस बीच, अजय मिश्रा समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया. कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तो 5 जनवरी 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया. न्याय के इंतजार में प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई, तो केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की.

गिरफ्तारी से बचने के लिए खेले गए दांव पेंच: राजीव
राजीव गुप्ता ने बताया कि जनवरी 2001 को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया. इस पर राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई. 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया.

हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया, लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया. इसके अगले दिन ही 26 जून को सेशन कोर्ट से अजय मिश्रा को जमानत मिल गई.
इस घटना की साल 2004 से 12 मार्च 2018 तक हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश डीके उपाध्याय और डीके सिंह की बेंच ने सुनवाई पूरी की, तो आदेश सुरक्षित रख लिया.

राजीव गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है किसी भी सुरक्षित रखे गए ऑर्डर को 6 महीने में फैसला दे दिया जाए. अगर वह बेंच फैसला नहीं देती है, तो ऑर्डर सुरक्षित रखने वाली बेंच वो फैसला नहीं देगी. मार्च 2018 से हाईकोर्ट का सुरक्षित निर्णय नहीं आने पर 9 महीने बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने फिर अपील की. 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को अब इस मामले में अंतिम तारीख तय की है.

इसे पढ़ें- कानपुर: गैंगस्टर विकास दुबे से जुड़ी 67 करोड़ की 23 संपत्ति जब्त

लखनऊ : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं. 22 साल पहले हुई प्रभात गुप्ता हत्याकांड में हाईकोर्ट में 16 मई को अंतिम दौर की सुनवाई पूरी होनी है. पिछले 4 साल से रिजर्व आदेश पर अब जल्द ही फैसला सुनाया जा सकता है. प्रभात गुप्ता हत्याकांड में अजय मिश्रा समेत 4 लोग नामजद किए गए थे. 4 साल पहले इस केस में हाईकोर्ट ने ऑर्डर सुरक्षित रख लिया था. अब एक बार फिर इस केस में फैसले की घड़ी आ सकती है.

ये है मामला :
8 जुलाई 2000 को लखीमपुर के तिकुनिया थाना क्षेत्र के बनवीरपुर गांव में प्रभात गुप्ता की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मृतक प्रभात के पिता संतोष गुप्ता ने अजय मिश्रा उर्फ टेनी के साथ राकेश डालू, शशि भूषण व सुभाष मामा को हत्या में नामजद आरोपी बनाया था. आरोप था कि अजय मिश्रा ने प्रभात गुप्ता की कनपटी पर दिनदहाड़े गोली मारी थी. इसके बाद सुभाष मामा ने प्रभात के सीने में मारी थी. गोली लगने से प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई थी.

घटना के बाद प्रभात के पिता संतोष गुप्ता ने लखीमपुर के तिकुनिया थाने में अजय मिश्रा समेत 4 लोगों के खिलाफ अभियोग संख्या 302 व 34 के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. एफआईआर दर्ज होने के कुछ ही दिन बाद अचानक प्रभात हत्याकांड का केस सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया. इस केस में खास बात यह रही है कि इसकी जानकारी वादी संतोष गुप्ता को नहीं दी गई.


विवेचक ने जांच करने से किया मना
मृतक प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने ईटीवी भारत को बताया कि सीबीसीआईडी को जांच दिए जाने के बाद आरोपियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता से गुहार लगाई थी. इसके बाद 24 अक्टूबर 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव आलोक रंजन ने केस की जांच सीबीसीआईडी से लेकर फिर लखीमपुर खीरी पुलिस को दे दी गई. लेकिन, जांच अधिकारी ने इस मामले की जांच करने से मना कर दिया और किसी अन्य विवेचक से जांच करने के लिए लिखित रूप से प्रार्थना पत्र दिया.

अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें बढ़ाएगा 22 साल पुराना मर्डर केस

इसके बाद आईजी जोन लखनऊ ने SIT गठित कर विवेचना करवाई और 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई. इस बीच, अजय मिश्रा समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया. कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तो 5 जनवरी 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया. न्याय के इंतजार में प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई, तो केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की.

गिरफ्तारी से बचने के लिए खेले गए दांव पेंच: राजीव
राजीव गुप्ता ने बताया कि जनवरी 2001 को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया. इस पर राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई. 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया.

हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया, लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया. इसके अगले दिन ही 26 जून को सेशन कोर्ट से अजय मिश्रा को जमानत मिल गई.
इस घटना की साल 2004 से 12 मार्च 2018 तक हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश डीके उपाध्याय और डीके सिंह की बेंच ने सुनवाई पूरी की, तो आदेश सुरक्षित रख लिया.

राजीव गुप्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है किसी भी सुरक्षित रखे गए ऑर्डर को 6 महीने में फैसला दे दिया जाए. अगर वह बेंच फैसला नहीं देती है, तो ऑर्डर सुरक्षित रखने वाली बेंच वो फैसला नहीं देगी. मार्च 2018 से हाईकोर्ट का सुरक्षित निर्णय नहीं आने पर 9 महीने बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने फिर अपील की. 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को अब इस मामले में अंतिम तारीख तय की है.

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