लखनऊः प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर मानहानि का मुकदमा दायर करने का अल्टीमेटम दिया था. वहीं जवाब में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे ऊर्जा विभाग के पीएफ घोटाले को लेकर 7 सवाल पूछ डालें. कांग्रेस का दावा है कि ऊर्जा मंत्री की धमकी से वह डरने वाली नहीं है.
पीएफ घोटाला मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के आरोप
पीएफ घोटाला मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की ओर से लगाए गए आरोप पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि अगर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उनसे माफी नहीं मांगी तो वह उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा करेंगे.
दरअसल सोमवार को दिल्ली में मौजूद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का बयान सामने आने के बाद उनसे पीएफ घोटाला मामले में 7 सवाल पूछे.
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता उमा शंकर पांडे ने बताया कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा का रवैया वैसा है जैसा कोई चोरी करने के बाद सीनाजोरी करना. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और प्रदेश अध्यक्ष उनकी ऐसी धमकी से डरने वाले नहीं हैं. वहीं ऊर्जा मंत्री का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शक्ति भवन के सामने ऊर्जा मंत्री का पुतला जलाकर जमकर प्रदर्शन किया.
अजय कुमार लल्लू ने पूछे सात सवाल
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने 7 सवालों की सूची जारी कर ऊर्जा मंत्री से पूछा है कि आखिर DHFL कंपनी को पहली किस्त के तौर पर ऊर्जा विभाग के हजारों कर्मचारियों के भविष्य निधि का पैसा 24 मार्च 2017 को क्यों दिया गया तब वह ऊर्जा मंत्री बन चुके थे.
साथ ही प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि DHFL कंपनी का दाऊद इब्राहिम और इकबाल मिर्ची से रिश्ता सार्वजनिक तौर पर उजागर हो चुका है. ऊर्जा मंत्री बताएं कि उन्होंने देशद्रोही और आतंकवादी ताकतों की कंपनी को हजारों करोड़ों रुपये क्यों ट्रांसफर कराया.
वहीं ऊर्जा मंत्री के विभाग पर सवाल उठाते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि ऊर्जा विभाग से 4500 करोड़ रुपये DHFL कंपनी को ट्रांसफर हुआ और ऊर्जा मंत्री को इसकी भनक नहीं लगी. ऊर्जा मंत्री यह भी बताएं कि उनका विभाग कौन संचालित कर रहा है. विभाग के मंत्री के तौर पर आखिर वह करते क्या हैं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने DHFL कंपनी के कर्मचारी अमित प्रकाश के साथ ही ऊर्जा मंत्री और उनके रिश्तेदारों के संबंधों की भी जांच करने की बात कही. साथ ही उन्होंने पूछा कि आखिर DHFL कंपनी को 19 मार्च 2017 को भाजपा सरकार बनने के बाद से दिसंबर 2018 के बीच में ही पूरी रकम क्यों ट्रांसफर की गई.
डीएचएफएल कंपनी के लोग ऊर्जा मंत्री से उनके सरकारी और निजी आवास पर आकर मिलते रहे. इसका विवरण विजिटर बुक में दर्ज है, लेकिन अब तक उसे सीज नहीं किया गया. क्या ऐसा विजिटर बुक में हेराफेरी करने के मकसद से किया जा रहा है.
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