लखनऊ : वक्फ कर्बला मुंशी मुजफ्फर अली गोसाईगंज में रविवार को हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों का चेहलुम के अवसर पर मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि यह कर्बला करीब सौ सालों से वीरान थी, लेकिन आज यहां हजारों अजादार जियारत के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे 30-35 किलोमीटर से पैदल सफर तय करके आए हैं.
मौलाना कल्बे जव्वाद ने हजरत इमाम हुसैन अस की शहादत के बाद उनके परिवार और अन्य लोगों पर हुए जुल्म ओ सितम को बयान करते हुए कहा कि इमाम की चार साल की मासूम बेटी जनाबे सकीना के गालों पर तमाचे मारे गए और कानों से बालियां छीन ली गईं. यह सुनते ही अजादारों की आंखें नम हो गईं. मजलिस के बाद शहर की तमाम अंजुमनों ने नौहाख्वानी की. इस मौके पर सबीलों और लंगर का इंतजाम किया गया था. मौलाना जव्वाद ने कहा कि इस कर्बला की तामीरे नव जल्द कराई जाएगी. क्योंकि कोशिश यह हो रही थी कि कर्बला को मिटा दिया जाए. इसके मीनार तोड़ने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन अब यहां जायरीनों का आना शुरू हो गया है. अब जल्द ही यह कर्बला की आलीशान तामीर होगी.
नौ मोहर्रम को चार नौजवान गए थे वीरान कर्बला : शबे आशूर यानी नौ मोहर्रम (28 जुलाई) को अर्श अली अपने छोटे भाई महफ़ूज़ अली और अपने दो दोस्तों अली जवाद और नालैन काज़िम को लेकर इस कर्बला में गए थे. उसके बाद सोशल मीडिया पर फोटो वाइरल होने के बाद अजादारों का कर्बला जाने का सिलसिला शुरू हो गया. 25 मोहर्रम को मौलाना सैफ अब्बास, 7 अगस्त को मौलाना यासूब अब्बास और कई उलमा कर्बला गए और मजलिस को खिताब किया. इस मौके पर कई अंजुमनों ने नौहाख्वानी भी की थी.
अंजुमन शब्बीरया की शब्बेदारी का समापन : ऐ मेरे बे जुबां खुदा हाफिज, रो के कहतीं थी मां खुदा हाफिज". अंजुमन शब्बीरया शीश महल की तीन दिन से चल रही तरही सालाना शब्बेदारी का अलविदायी अलम उठने के बाद समापन हो गया. शब्बेदारी में 15 अंजुमनों ने नौहाख्वानी की. अंजमुन ने अलविदायी अलम अपने कंधों पर इमामबाड़ा अज्जु साहब से निकाला और नौहाख्वानी व सीनाजनी करते हुए अलम को शीश महल में गश्त कराकर अजादारों को जियारत कराई. इसके बाद अलम पत्थर वाली मस्जिद ले जाया गया. जहां लोगों ने जमकर मातम करके इमामे जमाना अ.स. को उनके जद का पुरसा दिया. इस मौके पर काफी संख्या में महिलाओं के साथ पुरुष व बच्चे मौजूद थे.
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