लखनऊ: राजधानी में 400 सालों से अधिक सालों से आयोजित होने वाले ऐतिहासिक ऐशबाग रामलीला का मंचन इस बार नहीं होगा. कोरोना के चलते श्रीरामलीला समिति ने रामलीला मंचन नहीं करने का निर्णय लिया है, लेकिन विजयदशमी के दिन पुतला दहन का कार्यक्रम जरूर होगा. पुतला दहन के कार्यक्रम के दौरान आम जनता को रामलीला मैदान में आने की अनुमति तो नहीं रहेगी. लिहाजा, पुतला दहन का कार्यक्रम फेसबुक और मीडिया के माध्यम आम जनता घर बैठे देख सकेगी.
इस बार पूजा-पाठ और साहित्यिक चर्चा के अलग-अलग सत्रों में रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर चर्चा की जाएगी. साथ ही दशहरे पर सांकेतिक पुतलों के दहन का कार्यक्रम भी मनाया जाएगा. समिति के अध्यक्ष ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास ने लगभग 400 साल पहले रामलीला शुरू करवाई थी. ऐसा पहली बार होगा, जब रामलीला का मंचन नहीं होगा. इससे पहले साल 1971 में बाढ़ के दौरान भरत मिलाप यात्रा की जगह सिर्फ भरत रथ ही निकाला गया था, तब यात्रा के लिए एकत्र की गई तमाम राशि सरकार को सहायता के तौर पर सौंप दी गई थी.
लखनऊ शहर की ऐतिहासिक रामलीला श्रीराम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि सरकार कि गाइडलाइन के मुताबिक, रामलीला मंचन में 100 लोगों के जुटने की अनुमति है. भव्य रामलीला में लगभग 500 की संख्या में कलाकारों का दल शामिल होता है. लगभग 100 कलाकार तो बाहर से बुलाए जाते हैं और 200 से अधिक सपोर्टिंग कलाकार लोकल स्तर पर जुड़ते हैं. इसके अलावा 100 से 200 लोग समिति के सदस्य और लोकल स्टाफ हर समय मंच और मंच के आसपास मौजूद रहता है.
शहर की सबसे पुरानी रामलीला होने के चलते सैकड़ों लोग प्रत्येक दिन शाम से रात तक मंचन देखने कि लिए आते हैं. ऐसे में सरकार की तय की गई कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन न हो, इसीलिए मौजूदा हालातों के मद्देनजर रामलीला मंचन को ऑनलाइन विधि से कराने का फैसला लिया गया है. विजयदशमी के दूसरे दिन निकलने वाली भरत यात्रा भी इस साल नहीं निकाली जाएगी, क्योंकि 1 किलोमीटर लंबी यात्रा में सैकड़ों कलाकार जुटते हैं.
उन्होंने बताया कि इस बार मंचन की जगह कलश स्थापना सुंदरकांड और पूजन पाठ होगा. उसके बाद हर दिन मंचित होने वाली प्रसंग पर आधारित साहित्यिक सत्र होंगे, जिसमें विद्वान चर्चा करेंगे. दशहरे के दिन सामान्य आकार के कागज के 40 से 50 फीट के दो पुत्रों का दहन लगभग राम लक्ष्मण के किरदारों से कराया जाएगा, लेकिन मंचन को देखने के लिए रामलीला परिसर के भीतर आने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी.
रामलीला स्थल पर परिसर के द्वार लोगों के लिए बंद रहेंगे. हर साल यहां 121 फुट ऊंचे पुतले का दहन होता था. इस बार जो पुतला दहन का कार्यक्रम होगा, उसे मीडिया के माध्यम से जनता ऑनलाइन देख सकेगी. हर बार पुतला दहन के माध्यम से संदेश भी दिया जाता था, इस बार कोरोना का चित्र बनाकर रावण के पुतले के पेट पर लगा दिया जाएगा, उसके बाद दहन किया जाएगा. इसका संदेश यह होगा कि रावण के दहन के साथ ही कोरोना की भी समाप्ति हो सके.
रामलीला कमेटी के सचिव आदित्य द्विवेदी ने बताया कि लगभग 1857 यह कमेटी बनी है, तब से बराबर रामलीला का मंचन होता रहा है. इस रामलीला मंचन में हर वर्ष मुख्यमंत्री का आगमन होता है. पिछले 2017 के विधानसभा के चुनाव के समय पीएम मोदी का भी आगमन हुआ था. हर वर्ष राज्यपाल इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हैं, इस बार भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया है कि पुतला दहन के दिन कार्यक्रम में उपस्थित हो.