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लखनऊ: धूम्रपान ही नहीं वायु प्रदूषण भी है फेफड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार - अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर

लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय NALCCON-2019 का आयोजन किया गया है. इस आयोजन में मुख्य रूप से फेफड़ों में होने वाली बीमारियों पर बात की जा रही है.

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धूम्रपान ही नहीं वायु प्रदूषण भी फेफड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार.
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Published : Dec 15, 2019, 12:28 PM IST

लखनऊ: एनवायरनमेंटल फैक्टर्स पर आधारित कई तरह की बीमारियों के चपेट में आज हर दूसरा व्यक्ति आता जा रहा है. इसी कड़ी में फेफड़ों और सांस संबंधी रोगों पर बात करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है, जिसमें देशभर से सांस संबंधी रोगों के विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया है.

जानकारी देते डॅाक्टर्स
दो दिवसीय NALCCON-2019 का आयोजन

राजधानी में चौक स्थित अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय NALCCON-2019 का आयोजन किया गया है. इस आयोजन में मुख्य रूप से फेफड़ों में होने वाली बीमारियों पर बात की जा रही है. इन बीमारियों में ज्यादातर होने वाली बीमारी टीबी या लंग कैंसर होती है.

इस बारे में इस कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. सूर्यकांत कहते हैं कि लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है, जिसके फलस्वरुप एक बीमारी का इलाज टीबी के रूप में किया जाता है, जबकि वह बीमारी फेफड़ों का कैंसर हो चुकी होती है.

इसमें कहीं ना कहीं हाथ एक्स-रे का भी होता है. इसलिए मैं कई वर्षों से हर कॉन्फ्रेंस में कहता चला आ रहा हूं कि एक्स-रे कभी भी फेफड़ों की बीमारी का सही अंदाजा नहीं लगा सकते. इस अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि 2 दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों पर बात की जा रही है.

इस कार्यक्रम का उद्घाटन कॉन्फ्रेंस में सत्र के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जी ने किया. उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना और उज्ज्वला योजना फेफड़े के कैंसर के रोगियों का उपचार और बचाव करने में काफी सहायक साबित हो रही है.

इसके अलावा उन्होंने इस कांफ्रेंस के विशेषज्ञों से यह बात भी कही कि यदि तंबाकू के रोकथाम के लिए यदि कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस बारे में आगे बात कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें:-कानपुर में नमामि गंगे पर बैठक के बाद PM मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ किया गंगा का निरीक्षण

हम सभी के लिए सबसे बड़ी आज की जरूरत ताजी हवा है, जिसका स्वच्छ होना बेहद जरूरी है, क्योंकि उसी से हम सांस ले रहे हैं और यदि उस हवा की वजह से ही हमें बीमारियां अपनी जकड़ में ले ले तो यह हमारे लिए सोचने वाली बात होगी.
-प्रो एमएलबी भट्ट, कुलपति, केजीएमयू

लखनऊ: एनवायरनमेंटल फैक्टर्स पर आधारित कई तरह की बीमारियों के चपेट में आज हर दूसरा व्यक्ति आता जा रहा है. इसी कड़ी में फेफड़ों और सांस संबंधी रोगों पर बात करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है, जिसमें देशभर से सांस संबंधी रोगों के विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया है.

जानकारी देते डॅाक्टर्स
दो दिवसीय NALCCON-2019 का आयोजन

राजधानी में चौक स्थित अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय NALCCON-2019 का आयोजन किया गया है. इस आयोजन में मुख्य रूप से फेफड़ों में होने वाली बीमारियों पर बात की जा रही है. इन बीमारियों में ज्यादातर होने वाली बीमारी टीबी या लंग कैंसर होती है.

इस बारे में इस कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. सूर्यकांत कहते हैं कि लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है, जिसके फलस्वरुप एक बीमारी का इलाज टीबी के रूप में किया जाता है, जबकि वह बीमारी फेफड़ों का कैंसर हो चुकी होती है.

इसमें कहीं ना कहीं हाथ एक्स-रे का भी होता है. इसलिए मैं कई वर्षों से हर कॉन्फ्रेंस में कहता चला आ रहा हूं कि एक्स-रे कभी भी फेफड़ों की बीमारी का सही अंदाजा नहीं लगा सकते. इस अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि 2 दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों पर बात की जा रही है.

इस कार्यक्रम का उद्घाटन कॉन्फ्रेंस में सत्र के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जी ने किया. उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना और उज्ज्वला योजना फेफड़े के कैंसर के रोगियों का उपचार और बचाव करने में काफी सहायक साबित हो रही है.

इसके अलावा उन्होंने इस कांफ्रेंस के विशेषज्ञों से यह बात भी कही कि यदि तंबाकू के रोकथाम के लिए यदि कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस बारे में आगे बात कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें:-कानपुर में नमामि गंगे पर बैठक के बाद PM मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ किया गंगा का निरीक्षण

हम सभी के लिए सबसे बड़ी आज की जरूरत ताजी हवा है, जिसका स्वच्छ होना बेहद जरूरी है, क्योंकि उसी से हम सांस ले रहे हैं और यदि उस हवा की वजह से ही हमें बीमारियां अपनी जकड़ में ले ले तो यह हमारे लिए सोचने वाली बात होगी.
-प्रो एमएलबी भट्ट, कुलपति, केजीएमयू

Intro:लखनऊ। एनवायरमेंटल फैक्टर्स पर आधारित कई तरह की बीमारियों के चपेट में आज हर दूसरा व्यक्ति आता जा रहा है उन बीमारियों से बचने और उनके बेहतर इलाज के लिए लगातार शोध होते रहते हैं और उनके बचाव के तरीके भी बताए जा रहे हैं इसी कड़ी में वायु प्रदूषण और कुछ अन्य कारणों से होने वाले फेफड़ों और सांस संबंधी रोगों पर बात करने और विशेषज्ञों की राय लेने के लिए अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है जिसमें देशभर से सांस संबंधी रोगों के विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया है।


Body:वीओ1 राजधानी में चौक स्थित अटल बिहारी वाजपेई कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय एनएएलसीओएन-2019 का आयोजन किया गया है इस आयोजन में मुख्य रूप से फेफड़ों में होने वाली बीमारियों पर बात की जा रही है। इन बीमारियों में ज्यादातर होने वाली बीमारी टीबी या लंग कैंसर होती है इस बारे में इस कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ सूर्यकांत कहते हैं कि लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है जिसके फल स्वरुप एक बीमारी का इलाज टीबी के रूप में किया जाता है जबकि वह बीमारी फेफड़ों का कैंसर हो चुकी होती है। इसमें कहीं ना कहीं हाथ एक्स-रे का भी होता है इसलिए मैं कई वर्षों से हर कॉन्फ्रेंस में कहता चला रहा हूं कि एक्स-रे कभी भी फेफड़ों की बीमारी का सही अंदाजा नहीं लगा सकते। इस अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि 2 दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों पर बात की जा रही है हम सभी के लिए सबसे बड़ी आज की जरूरत ताजी हवा है जिसका स्वच्छ होना बेहद जरूरी है क्योंकि उसी से हम सांस ले रहे हैं और यदि उस हवा की वजह से ही हमें बीमारियां अपनी जकड़ में ले ले तो यह हमारे लिए सोचने वाली बात होगी। पीजीआई चंडीगढ़ डॉक्टर डी बेहरा ने बताया कि लंग कैंसर के लिए आज तमाम ऐसे इलाज आ गए हैं जिनके लिए नई नई तकनीक का इजाद किया जा रहा है एक अच्छी बात यह है कि तमाम शोधों से उत्पन्न हुई या तकनीक मरीजों के इलाज में बेहतरी दिखा रही है और जो मरीज इस बीमारी के चलते सिर्फ कुछ हफ्ते जीवित रहते थे वह एक बेहतरीन इलाज की वजह से धीरे धीरे कर कुछ महीने और अब चार से 5 वर्षों तक जीवित रह लेते हैं यह चिकित्सा जगत में वाकई हमारे लिए एक बड़ी बात है।


Conclusion:इस कार्यक्रम का उद्घाटन कॉन्फ्रेंस में सत्र के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा जी ने किया। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना और उज्ज्वला योजना फेफड़े के कैंसर के रोगियों का उपचार और बचाव करने में काफी सहायक साबित हो रही है। इसके अलावा उन्होंने इस कांफ्रेंस के विशेषज्ञों से यह बात भी कही कि यदि तंबाकू के रोकथाम के लिए यदि कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस बारे में आगे बात कर सकते हैं। बाइट- डॉ सूर्यकांत ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन, एनएएलसीसीकॉन बाइट- प्रो एमएलबी भट्ट, कुलपति, केजीएमयू बाइट- डॉ डी बेहरा, पीजीआई चंडीगढ़ रामांशी मिश्रा 9598003584
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