लखनऊ: एनवायरनमेंटल फैक्टर्स पर आधारित कई तरह की बीमारियों के चपेट में आज हर दूसरा व्यक्ति आता जा रहा है. इसी कड़ी में फेफड़ों और सांस संबंधी रोगों पर बात करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है, जिसमें देशभर से सांस संबंधी रोगों के विशेषज्ञ ने प्रतिभाग किया है.
राजधानी में चौक स्थित अटल बिहारी वाजपेयी कन्वेंशन सेंटर में दो दिवसीय NALCCON-2019 का आयोजन किया गया है. इस आयोजन में मुख्य रूप से फेफड़ों में होने वाली बीमारियों पर बात की जा रही है. इन बीमारियों में ज्यादातर होने वाली बीमारी टीबी या लंग कैंसर होती है.
इस बारे में इस कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. सूर्यकांत कहते हैं कि लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है, जिसके फलस्वरुप एक बीमारी का इलाज टीबी के रूप में किया जाता है, जबकि वह बीमारी फेफड़ों का कैंसर हो चुकी होती है.
इसमें कहीं ना कहीं हाथ एक्स-रे का भी होता है. इसलिए मैं कई वर्षों से हर कॉन्फ्रेंस में कहता चला आ रहा हूं कि एक्स-रे कभी भी फेफड़ों की बीमारी का सही अंदाजा नहीं लगा सकते. इस अवसर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि 2 दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों पर बात की जा रही है.
इस कार्यक्रम का उद्घाटन कॉन्फ्रेंस में सत्र के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा जी ने किया. उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना और उज्ज्वला योजना फेफड़े के कैंसर के रोगियों का उपचार और बचाव करने में काफी सहायक साबित हो रही है.
इसके अलावा उन्होंने इस कांफ्रेंस के विशेषज्ञों से यह बात भी कही कि यदि तंबाकू के रोकथाम के लिए यदि कोई प्रस्ताव लाया जाता है तो वह प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस बारे में आगे बात कर सकते हैं.
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हम सभी के लिए सबसे बड़ी आज की जरूरत ताजी हवा है, जिसका स्वच्छ होना बेहद जरूरी है, क्योंकि उसी से हम सांस ले रहे हैं और यदि उस हवा की वजह से ही हमें बीमारियां अपनी जकड़ में ले ले तो यह हमारे लिए सोचने वाली बात होगी.
-प्रो एमएलबी भट्ट, कुलपति, केजीएमयू