लखनऊ: राजधानी के साथ-साथ कई शहरों की आबोहवा अभी भी घातक बनी हुई है. जिलों में इतना ज्यादा प्रदूषण फैला है कि यह हवा लोगों के लिए बहुत खतरनाक हो गई है. हम अगर शहरों की बात करें तो बुलंदशहर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरपुर, नोएडा की हवा सबसे ज्यादा जहरीली पाई गई है. बीते 24 घंटे में इन शहरों का एक्यूआई 400 के पार दर्ज किया गया था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को आगरा का एक्यूआई 407, बुलंदशहर का 444, फरीदाबाद का 448, गाजियाबाद का 464, ग्रेटर नोएडा का 470, कानपुर का 391, लखनऊ का 387, मेरठ का 451, मुरादाबाद का 382, मुजफ्फरपुर का 345 व नोएडा का 458 दर्ज किया गया.
आठ गुनी अधिक प्रदूषित हुई हवा
पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी बताते हैं कि मौसम में बदलाव के साथ जैसे-जैसे कोहरे ने दस्तक दी है, स्मॉग के कारण लोगों का दम घुटने लगा है. प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. हालात यह है कि एक्यूआई यानी हवा की गुणवत्ता सामान्य से 8 गुना अधिक प्रदूषित हो गई है. शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग आंखों की जलन से दर्द की शिकायत कर रहे हैं. बहुत से दूसरे लोग अपने घरों में होने के बावजूद आंखें जलने की शिकायत कर रहे हैं.
बहुत खराब है शहर की हवा
पर्यावरणविद सुशील द्विवेदी बताते हैं कि अगर एयर क्वालिटी इंडेक्स 0-50 के बीच है तो इसे अच्छा माना जाता है. 51-100 के बीच संतोषजनक होता है. 101-200 के बीच औसत, 201-300 के बीच बुरा, 301-400 के बीच में हो तो बहुत बुरा और अगर यह 401 से 500 के बीच हो तो इसे गंभीर माना जाता है. इस समय लखनऊ की हवा बहुत खराब है.
उन्होंने बताया कि लखनऊ में पिछले पांच दिनों से कई जगह पीएम 2.5 अपने उच्चतम स्तर पर दर्ज किया गया. पीएम 2.5 हवा में तैरने वाले वे महीन कण हैं, जिन्हें हम देख नहीं पाते हैं. वायुमंडल में इनकी मात्रा जितनी कम होती है हवा उतनी ही साफ होती है. इसका हवा में सुरक्षित स्तर 60 माइक्रोग्राम है. इसके अलावा पीएम 10 भी हवा की गुणवत्ता को प्रभावित करता है.