लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तफहीम-ए-शरीयत कमेटी की ओर से दारुल उलूम फरंगी महल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें मुसलमानों के कई मामलों के साथ इस्लाम में बताए गए मुस्लिम महिलाओं के हक पर चर्चा की गई. इस खास मौके पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े कई लोग सेमिनार में मौजूद रहे.
दारुल उलूम फरंगी महल में होने वाले इस सेमिनार में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात हुई, जिसमें निकाह और तलाक के साथ इस्लाम में बताए गए औरतों के हक पर जोर दिया गया. इस खास मौके पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि तफ़हीम-ए-शरीयत कमेटी का बुनियादी मकसद शरई उसूल व कानून से लोगों को वाकिफ कराना है और लोगों के बीच फैली हुई गलतफहमियों को दूर करना है.
उन्होंने कहा कि शरीयत-ए-इस्लाम ऐसी पहली शरीयत है जिसमें मजहबी तौर पर औरतों को जायदाद में अधिकार दिया है, जिसको छीनने का हक किसी को भी नहीं है. इसलिए पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों से अपील करता है कि निकाह के मौके पर मां अपनी बेटियों को दहेज न देकर विरासत में उनके शरई अधिकार देने को यकीनी बनाएं.
इस मौके पर सीनियर एडवोकेट और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी भी मौजूद रहे, जिलानी ने बताया कि इस सेमिनार का मकसद मुस्लिम वकीलों को शरई कानून से अवगत कराना है, जिससे इस तरह के मामले जिनका संबंध मुस्लिम पर्सनल लॉ से हो, जब उनके सामने आएं तो वह सही तौर पर इसको हल कर सकें.