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चुनावी हार के बाद समर्थकों से दूर मायावती ने पार्टी कार्यालय में दी कांशीराम को श्रद्धांजलि

यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. 403 सीटों पर लड़ी पार्टी सिर्फ एक पर ही जीत दर्ज कर सकी. ऐसे में बसपा प्रमुख की राजनीतिक साख दांव पर लग गई है. लिहाजा, परिणाम के अगले दिन ही उन्होंने हार का ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया. स्थिति यह है कि बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती पर भी समर्थकों से दूरी बनाए रखी.

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Published : Mar 15, 2022, 11:11 AM IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. 403 सीटों पर लड़ी पार्टी सिर्फ एक पर ही जीत दर्ज कर सकी. ऐसे में बसपा प्रमुख की राजनीतिक साख दांव पर लग गई है. लिहाजा, परिणाम के अगले दिन ही उन्होंने हार का ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया. स्थिति यह है कि बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती पर भी समर्थकों से दूरी बनाए रखी. वहीं, पुण्यतिथि पर उनकी याद में बड़ी रैली का आयोजन किया था. मंगलवार को बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती मनाई गई. बसपा ने प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों को कांशीराम को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का फरमान सुनाया था. मगर, इस कार्यक्रम में हर बार की तरह जोश नहीं दिखा.

विधानसभा चुनाव की ताजा व बड़ी हार बसपा प्रमुख मायावती व पदाधिकारियों पर छाई रही. पार्टी कार्यालय में मायावती व अन्य पदाधिकारियों ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान सिर्फ एक न्यूज एजेंसी को कवरेज की अनुमति दी गई. वहीं, जिलाध्यक्ष, जोनल कॉर्डिनेटर, सेक्टर प्रभारी स्मृति उपवन में जाकर पार्टी संस्थापक को श्रद्धांजलि दी.

बसपा सुप्रीमो मायावती

इसे भी पढ़ें - यूपी में विधायक दल का नेता चुनने के लिए अमित शाह और रघुवर दास बनाए गए केंद्रीय पर्यवेक्षक

पुण्यतिथि पर हुई थी बड़ी रैली

बसपा के सत्ता में रहते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर व कांशीराम की जयंती व पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़े आयोजन होते रहे. इस दौरान बसपा प्रमुख प्रदेश भर से राजधानी में जुटे अपने समर्थकों को संबोधित करती थीं. वहीं, इस बार चुनाव से पहले 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़ी रैली हुई थी. स्मृति उपवन में हुए कार्यक्रम में राजधानी की सड़कें नीले होल्डिंग, बैनर से पाट दिए गए. वहीं जयंती पर पार्टी कार्यालय व स्मृति उपवन के पास दो-चार होर्डिंग लगी दिखीं.

वहीं, मायावती ने कहा कि बसपा सरकार में बहुजन समाज के महापुरुषों के नाम पर अनेकों भव्य स्मारक, प्रशिक्षण संस्थान अस्पताल, आवासी कॉलोनी बनाई गई हैं. लेकिन वर्तमान में जारी चमचा युग में बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के मिशनरी को धन्ना सेठों ने जकड़ लिया है. खैर, बसपा खून पसीने से अर्जित धन के बल पर डटी है. यूपी में बसपा ने कई सफलताएं अर्जित की हैं. आगे भी वसूलों के साथ संघर्ष में लगातार डटे रहना है.

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लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. 403 सीटों पर लड़ी पार्टी सिर्फ एक पर ही जीत दर्ज कर सकी. ऐसे में बसपा प्रमुख की राजनीतिक साख दांव पर लग गई है. लिहाजा, परिणाम के अगले दिन ही उन्होंने हार का ठीकरा मीडिया पर फोड़ दिया. स्थिति यह है कि बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती पर भी समर्थकों से दूरी बनाए रखी. वहीं, पुण्यतिथि पर उनकी याद में बड़ी रैली का आयोजन किया था. मंगलवार को बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती मनाई गई. बसपा ने प्रदेश के सभी जिला अध्यक्षों को कांशीराम को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का फरमान सुनाया था. मगर, इस कार्यक्रम में हर बार की तरह जोश नहीं दिखा.

विधानसभा चुनाव की ताजा व बड़ी हार बसपा प्रमुख मायावती व पदाधिकारियों पर छाई रही. पार्टी कार्यालय में मायावती व अन्य पदाधिकारियों ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान सिर्फ एक न्यूज एजेंसी को कवरेज की अनुमति दी गई. वहीं, जिलाध्यक्ष, जोनल कॉर्डिनेटर, सेक्टर प्रभारी स्मृति उपवन में जाकर पार्टी संस्थापक को श्रद्धांजलि दी.

बसपा सुप्रीमो मायावती

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पुण्यतिथि पर हुई थी बड़ी रैली

बसपा के सत्ता में रहते बाबा साहब भीमराव अंबेडकर व कांशीराम की जयंती व पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़े आयोजन होते रहे. इस दौरान बसपा प्रमुख प्रदेश भर से राजधानी में जुटे अपने समर्थकों को संबोधित करती थीं. वहीं, इस बार चुनाव से पहले 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में बड़ी रैली हुई थी. स्मृति उपवन में हुए कार्यक्रम में राजधानी की सड़कें नीले होल्डिंग, बैनर से पाट दिए गए. वहीं जयंती पर पार्टी कार्यालय व स्मृति उपवन के पास दो-चार होर्डिंग लगी दिखीं.

वहीं, मायावती ने कहा कि बसपा सरकार में बहुजन समाज के महापुरुषों के नाम पर अनेकों भव्य स्मारक, प्रशिक्षण संस्थान अस्पताल, आवासी कॉलोनी बनाई गई हैं. लेकिन वर्तमान में जारी चमचा युग में बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के मिशनरी को धन्ना सेठों ने जकड़ लिया है. खैर, बसपा खून पसीने से अर्जित धन के बल पर डटी है. यूपी में बसपा ने कई सफलताएं अर्जित की हैं. आगे भी वसूलों के साथ संघर्ष में लगातार डटे रहना है.

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