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सपा और खुद की हार के बाद स्वामी के तेवर पड़े नर्म, बोले नौसिखिया खिलाड़ी नहीं हूं

खुद को नेवला और बीजेपी को सांप बताने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य फाजिल नगर सीट से बड़े अंतर से हारे हैं. चुनाव से पहले बीजेपी को जड़ से उखाड़ फेंकने के बयान देने वाले स्वामी के तेवर अब हल्के पड़ते दिख रहे हैं.

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नौसिखिया खिलाड़ी नहीं हूं
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Published : Mar 11, 2022, 5:12 PM IST

लखनऊः बीएसपी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य मंत्री बने. अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. उन्होंने सरकार में पिछड़ों की अनदेखी का तर्क देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद वे खुद को नेवला और बीजेपी को सांप बताने लगे. लेकिन उनका ये अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा.

नतीजा ये हुआ कि फाजिल नगर सीट से वे बड़े अंतर से हार गये. चुनाव से पहले बीजेपी को जड़ से उखाड़ फेंकने के बयान देने वाले स्वामी के तेवर अब हल्के पड़ते दिख रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वे जिन्हें जगाने निकले थे, उन्हें जगा नहीं पाये.

नौसिखिया खिलाड़ी नहीं हूं

सवालः समाजवादी पार्टी फिलहाल सत्ता में नहीं आ रही. अब आगे क्या रणनीति होगी पार्टी की और हार की वजह क्या रही?

जवाबः जनता के जनादेश का सम्मान करता हूं. इसके साथ ही प्रदेश के मतदाताओं को धन्यवाद करता हूं. रही बात जीत और हार की तो ये दोनों लोकतंत्र के दो पहलू हैं, जो जीता है, वही हारता है और जो हारता है वही जीतता है. हम जीत को भी स्वीकार करते हैं और हार को भी स्वीकार करेंगे. जिन मुद्दों को लेकर मैंने बीजेपी छोड़ी थी, वो आज भी जिंदा हैं, उन्हें जनता तक पहुंचाया जाएगा.

सवालः क्या भाजपा छोड़ने का पछतावा है, क्यों कि यदि भाजपा में होते तो शायद विधायक भी होते और मंत्री पद भी होता?

जवाबः मैं राजनीति में कोई नौसिखिया नहीं हूं. राजनीति सिर्फ कुर्सी के लिए नहीं होती है. मैंने राजनीति में विपक्ष की भी लंबी पारी खेली है और सत्ता की भी पारी खेल चुका हूं. सत्ता और विपक्ष राजनीति के धुरी हैं. इसलिए मुझे न हार का मलाल है और न ही सरकार में न आने का. मुझे बीजेपी छोड़ने का बिल्कुल भी मलाल नहीं है. हम जिन मुद्दों को लेकर बीजेपी को बेनकाब करने निकले थे, वो बातें हम जनता तक नहीं पहुंचा पाये.

इसे भी पढ़ें- दिल्ली में तय होगा सीएम योगी के नए मंत्रिमंडल का चेहरा, इस बार बदल सकते हैं डिप्टी सीएम

सवालः क्या बीजेपी का बुलडोजर और कानून व्यवस्था का फार्मूला हिट हुआ है?

जवाबः बीजेपी चुनाव जीत चुकी है, उसका हर फार्मूला हिट हुआ होगा. लेकिन ये नतीजों में ना ही बुलडोजर का कमाल है न ही उनके गुंडाराज का कमाल है. कमाल ये है कि हम जनता तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाये, जहां तक पहुंचाना था. हम जहां तक पहुंचा सके, वहां पर बीजेपी के प्रत्याशी को हरा दिया.

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लखनऊः बीएसपी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य मंत्री बने. अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. उन्होंने सरकार में पिछड़ों की अनदेखी का तर्क देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. इसके बाद वे खुद को नेवला और बीजेपी को सांप बताने लगे. लेकिन उनका ये अति आत्मविश्वास उन्हें ले डूबा.

नतीजा ये हुआ कि फाजिल नगर सीट से वे बड़े अंतर से हार गये. चुनाव से पहले बीजेपी को जड़ से उखाड़ फेंकने के बयान देने वाले स्वामी के तेवर अब हल्के पड़ते दिख रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वे जिन्हें जगाने निकले थे, उन्हें जगा नहीं पाये.

नौसिखिया खिलाड़ी नहीं हूं

सवालः समाजवादी पार्टी फिलहाल सत्ता में नहीं आ रही. अब आगे क्या रणनीति होगी पार्टी की और हार की वजह क्या रही?

जवाबः जनता के जनादेश का सम्मान करता हूं. इसके साथ ही प्रदेश के मतदाताओं को धन्यवाद करता हूं. रही बात जीत और हार की तो ये दोनों लोकतंत्र के दो पहलू हैं, जो जीता है, वही हारता है और जो हारता है वही जीतता है. हम जीत को भी स्वीकार करते हैं और हार को भी स्वीकार करेंगे. जिन मुद्दों को लेकर मैंने बीजेपी छोड़ी थी, वो आज भी जिंदा हैं, उन्हें जनता तक पहुंचाया जाएगा.

सवालः क्या भाजपा छोड़ने का पछतावा है, क्यों कि यदि भाजपा में होते तो शायद विधायक भी होते और मंत्री पद भी होता?

जवाबः मैं राजनीति में कोई नौसिखिया नहीं हूं. राजनीति सिर्फ कुर्सी के लिए नहीं होती है. मैंने राजनीति में विपक्ष की भी लंबी पारी खेली है और सत्ता की भी पारी खेल चुका हूं. सत्ता और विपक्ष राजनीति के धुरी हैं. इसलिए मुझे न हार का मलाल है और न ही सरकार में न आने का. मुझे बीजेपी छोड़ने का बिल्कुल भी मलाल नहीं है. हम जिन मुद्दों को लेकर बीजेपी को बेनकाब करने निकले थे, वो बातें हम जनता तक नहीं पहुंचा पाये.

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सवालः क्या बीजेपी का बुलडोजर और कानून व्यवस्था का फार्मूला हिट हुआ है?

जवाबः बीजेपी चुनाव जीत चुकी है, उसका हर फार्मूला हिट हुआ होगा. लेकिन ये नतीजों में ना ही बुलडोजर का कमाल है न ही उनके गुंडाराज का कमाल है. कमाल ये है कि हम जनता तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाये, जहां तक पहुंचाना था. हम जहां तक पहुंचा सके, वहां पर बीजेपी के प्रत्याशी को हरा दिया.

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