लखनऊ: राजधानी के जिला अदालत के अधिवक्ता 5 अगस्त से 9 अगस्त तक पांच दिनों के लिए न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. तीन सूत्रीय मांगों को लेकर सेंट्रल बार एसोसिएशन ने यह निर्णय लिया है. अधिवक्ताओं के कार्य से विरत रहने के कारण न्यायिक कार्य के प्रभावित होने की सम्भावना है.
इस सम्बंध में बुधवार को सेंट्रल बार की एक आकस्मिक बैठक की गई, जिसमें कहा गया कि एक कोर्ट ने कैविएट दाखिल होने के बावजूद कैविएट दाखिल करने वाले अधिवक्ता को सुनने से इंकार कर दिया व मामले में स्टे ऑर्डर पारित कर दिया गया. बैठक में पारित प्रस्ताव में मांग की गई कि उक्त आदेश को प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए वापस लिया जाए. कहा गया कि किसी मुकदमे में पहले से जिस वकील का वकालतनामा लगा है. उसके स्थान पर यदि दूसरा वकील नियुक्त किया जाता है, तो पहले के वकील से अनापत्ति लेने के बाद ही नए वकील का वकालतनामा स्वीकार किया जाए.
बैठक में यह भी मुद्दा उठाया गया कि न्यायिक अधिकारीगण समय से अदालतों में नहीं बैठते, जिससे न्यायिक काम प्रभावित होता है. बैठक की आम सभा में इसकी घोर निंदा की गई. बैठक में तय किया गया है कि 9 अगस्त को पुनः आहूत की जाएगी व बार के अगले रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा. बैठक की अध्यक्षता बार के अध्यक्ष सुनील कुमार द्विवेदी व संचालत महामंत्री बृजेश कुमार यादव ने किया.
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