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Admission News : सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की हालत खराब, कई में आधी सीटों पर भी नहीं हुए प्रवेश

लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज इस शैक्षिक सत्र में सबसे बुरे दौर में हैं. शहरी क्षेत्र के कई काॅलेजों में नाममात्र ही प्रवेश हुए हैं. वहीं ग्रामीण क्षेत्र के काॅलेजों में कोई प्रवेश लेने वाला ही नहीं है. आइए जानें क्यों हो रहे ऐसे हालात.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 11:42 AM IST

सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की स्थिति खराब. देखें खबर

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक और परास्नातक में प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में है. लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्यादातर कोर्स की सीटें तो फुल हो चुकी हैं, पर संबद्ध सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को अब भी खाली सीटों को भरने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय से से जुड़े चार जिलों के कॉलेज जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, वह अब भी छात्रों का इंतजार कर रहे हैं. वहां की स्थिति पिछले साल की तुलना में इस साल काफी खराब है. आज की डेट में वहां के स्नातक विषयों में करीब 40 फ़ीसदी सीटें खाली हैं. वहीं परास्नातक पाठ्यक्रम में तो प्रवेश होना भी मुश्किल हो रहा है. इसे बावजूद विश्वविद्यालय ने अपना रजिस्ट्रेशन पोर्टल (एलयूलर्न) बीते 22 सितंबर की रात 12 बजे से बंद कर दिया है. इस साल से लविवि ने प्रवेश से पहले छात्रों का एलयूलर्न पोर्टल पर 100 देकर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया था. एलयूलर्न बंद होने से इस सेशन में सेल्फ फाइनेंस के अलावा एडेड कॉलेजों की रेगुलर सीटें भी खाली रह गई हैं, उनको भरना मुश्किल हो गया है.

सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की हालत खराब.
सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की हालत खराब.

विश्वविद्यालय में कुल 3.50 लाख सीटें, जिसमें से 2 लाख पर प्रवेश : लखनऊ विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे का कहना है कि फीस बढ़ाने की वजह से बहुत से गरीब छात्र प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं. नियमित कक्षा और परीक्षा की वजह से जो छात्र रोजगार करते हुए पढ़ाई करते थे. वह भी प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन वैसे भी प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क व सेमेस्टर शुल्क, दूसरे विश्वविद्यालय की तुलना में सबसे अधिक ले रहा था. इसके बाद भी वह पंजीकरण के नाम पर ₹100 इस साल से और जोड़ दिए हैं. इसका नतीजा है कि विश्वविद्यालय में सभी 545 कॉलेज को मिलाकर स्नातक व परास्नातक में 3.50 लाख से अधिक सीटे हैं. अभी तक जो प्रवेश हुआ है उसे केवल दो से सवा दो लाख सीटे ही भर सकी हैं.

कई कॉलेजों में 50 फीसदी सीटें अभी भी खाली

डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि इस साल प्रवेश की बात करें तो कई एडेड कॉलेजों में अलग-अलग पाठ्यक्रमों में 50 फीसदी तक सीटें खाली रह गई हैं. केकेवी डिग्री कॉलेज में स्नातक व परास्नातक में 700 सीटें खाली हैं. इसमें बीए में 150, बीएससी बायो व मैथ्स में प्रत्येक में 200, बीकॉम में 150 सीट्स खाली हैं. विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज में बीए में ही केवल 520 खाली हैं. करामत गर्ल्स कॉलेज में 575 सीटें खाली हैं. शशि भूषण डिग्री कॉलेज में 400 के करीब सीटें खाली पड़ी हुई हैं. महिला डिग्री कॉलेज में 700 के अधिक सीटें खाली हैं. इसके अलावा सीतापुर लखीमपुर व हरदोई जिले के बॉर्डर से लगे डिग्री कॉलेज की स्थिति तो और भी दयनीय है यहां पर अभी तक तो कई कॉलेजों में खाता तक भी नहीं खुला है.


यह भी पढ़ें : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने अग्निवीरों के लिए तैयार किया विशेष स्नातक पाठ्यक्रम, ऐसे मिलेगा प्रवेश

लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश परीक्षाएं 25 अप्रैल से

सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की स्थिति खराब. देखें खबर

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक और परास्नातक में प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में है. लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्यादातर कोर्स की सीटें तो फुल हो चुकी हैं, पर संबद्ध सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को अब भी खाली सीटों को भरने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय से से जुड़े चार जिलों के कॉलेज जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, वह अब भी छात्रों का इंतजार कर रहे हैं. वहां की स्थिति पिछले साल की तुलना में इस साल काफी खराब है. आज की डेट में वहां के स्नातक विषयों में करीब 40 फ़ीसदी सीटें खाली हैं. वहीं परास्नातक पाठ्यक्रम में तो प्रवेश होना भी मुश्किल हो रहा है. इसे बावजूद विश्वविद्यालय ने अपना रजिस्ट्रेशन पोर्टल (एलयूलर्न) बीते 22 सितंबर की रात 12 बजे से बंद कर दिया है. इस साल से लविवि ने प्रवेश से पहले छात्रों का एलयूलर्न पोर्टल पर 100 देकर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया था. एलयूलर्न बंद होने से इस सेशन में सेल्फ फाइनेंस के अलावा एडेड कॉलेजों की रेगुलर सीटें भी खाली रह गई हैं, उनको भरना मुश्किल हो गया है.

सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की हालत खराब.
सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेजों की हालत खराब.

विश्वविद्यालय में कुल 3.50 लाख सीटें, जिसमें से 2 लाख पर प्रवेश : लखनऊ विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे का कहना है कि फीस बढ़ाने की वजह से बहुत से गरीब छात्र प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं. नियमित कक्षा और परीक्षा की वजह से जो छात्र रोजगार करते हुए पढ़ाई करते थे. वह भी प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन वैसे भी प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क व सेमेस्टर शुल्क, दूसरे विश्वविद्यालय की तुलना में सबसे अधिक ले रहा था. इसके बाद भी वह पंजीकरण के नाम पर ₹100 इस साल से और जोड़ दिए हैं. इसका नतीजा है कि विश्वविद्यालय में सभी 545 कॉलेज को मिलाकर स्नातक व परास्नातक में 3.50 लाख से अधिक सीटे हैं. अभी तक जो प्रवेश हुआ है उसे केवल दो से सवा दो लाख सीटे ही भर सकी हैं.

कई कॉलेजों में 50 फीसदी सीटें अभी भी खाली

डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि इस साल प्रवेश की बात करें तो कई एडेड कॉलेजों में अलग-अलग पाठ्यक्रमों में 50 फीसदी तक सीटें खाली रह गई हैं. केकेवी डिग्री कॉलेज में स्नातक व परास्नातक में 700 सीटें खाली हैं. इसमें बीए में 150, बीएससी बायो व मैथ्स में प्रत्येक में 200, बीकॉम में 150 सीट्स खाली हैं. विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज में बीए में ही केवल 520 खाली हैं. करामत गर्ल्स कॉलेज में 575 सीटें खाली हैं. शशि भूषण डिग्री कॉलेज में 400 के करीब सीटें खाली पड़ी हुई हैं. महिला डिग्री कॉलेज में 700 के अधिक सीटें खाली हैं. इसके अलावा सीतापुर लखीमपुर व हरदोई जिले के बॉर्डर से लगे डिग्री कॉलेज की स्थिति तो और भी दयनीय है यहां पर अभी तक तो कई कॉलेजों में खाता तक भी नहीं खुला है.


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