लखनऊ: केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh) के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में विकास के बड़े-बड़े दावे और वादों की बात की जाती है, लेकिन धरातल पर गऊघाट क्षेत्र सारे दावों का पोल खोल रहा है. विधानसभा से सिर्फ सात किलोमीटर की दूरी पर गऊघाट पड़ता है, जहां की स्थिति देखकर आप हैरान रह जाएंगे. बीते दिनों लगातार हुई भारी बारिश के कारण यहां का पीपा पुल दो टुकड़े में टूट गया है, जिससे लोगों को बहुत परेशानी हो रही है.
ईटीवी ने गऊघाट क्षेत्र में पहुंचकर ग्राउंड से लोगों से जानने की कोशिश की कि लोगों को कितनी समस्या होती है? और क्षेत्र में विकास का क्या हाल है? क्षेत्र में इतनी समस्या है कि लोगों ने अब किसी से कहना भी छोड़ दिया है. बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है, क्योंकि नाव कई बार पलट चुकी है. ऐसे में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है, तो कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहेंगे कि नाव पर एक रिस्क के साथ बच्चे को पढ़ने के लिए स्कूल भेजें. 23 सिंतबर को नाव पलटने से एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है, लेकिन अब तक पुल की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
स्थिति ऐसी है कि लोगों को शहर जाने के लिए दस बार सोचना पड़ता है. मालूम हो कि इस क्षेत्र के विधायक नीरज बोरा हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक उन्होंने नीरज बोरा का चेहरा तक नहीं देखा है. क्षेत्रीय लोगों ने कहा कि बस यह पुल बन जाए, सरकार और प्रशासन से और कुछ नहीं चाहिए. रोज दिन में कामकाज करने वाले और पढ़ने लिखने वाले बच्चों के लिए यह एक बड़ी चुन्नौती बन जाती है. बच्चा स्कूल जा पाता है, लेकिन कोचिंग नहीं. वहीं यहां के कुछ बच्चे स्कूल जाना छोड़ दिए हैं, क्योंकि आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि बीते दिनों तेज बारिश के कारण पुल टूट गया. अभी तक बना नहीं है. कुछ दिन पहले ही एक ओर से दूसरी ओर ले जाते समय नाव पलट गई और बारह लोग नदी में गिर गए. नदी देखने में नहीं लगती, लेकिन काफी गहराई है और दलदल की तरह है. सभी पानी में गिर गए. आस-पास के लोग मौके पर पहुंचकर सभी को बाहर निकालें, लेकिन इस दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई और कई लोग घायल हुए.
स्थानीय लोगों ने बताया कि बीते डेढ़ महीने से पीपा पुल टूट गया है, जबकि इसके बारे में विधायक से लेकर प्रशासन तक सभी को जानकारी है, लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में क्षेत्रवासियों से मिलने के लिए लोगों की समस्या जानने के लिए कोई भी मंत्री विधायक या प्रशासन के अधिकारी नहीं आए हैं. किसी को इसका अंदाजा नहीं है कि यहां के स्थानीय लोगों को आवागमन करने में कितनी समस्या का सामना करना पड़ता है, लेकिन रोजी रोटी के लिए लोगों को 1 दिन में तीन से चार बार शहर की ओर जाना पड़ता है. क्षेत्रवासियों ने यह भी कहा कि आज तक उन्होंने नीरज वोरा का चेहरा तक नहीं देखा है, लेकिन हां जब चुनाव होगा, तो वोट मांगने के लिए बाप दादा कहकर नेता पैर तक पर गिर जाते हैं.
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