लखनऊ. ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए टोकन व्यवस्था लागू की गई थी. अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह व्यवस्था चौपट हो गई. टोकन में दलालों ने सेंध लगा दी और आवेदक अभी भी ठगे जा रहे हैं. आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बीच लागू हुई इस टोकन प्रणाली पर जनता ने सवाल खड़े किए तो बुधवार को अपर परिवहन आयुक्त और उप परिवहन आयुक्त आरटीओ कार्यालय पहुंच गए. उन्होंने अधिकारियों को सभी खामियों को दूर करने का निर्देश दिया.
अधिकारियों से जताई नाराजगी
लर्निंग लाइसेंस, परमानेंट लाइसेंस और रिनुअल लाइसेंस के लिए आरटीओ कार्यालय में सोमवार से टोकन प्रणाली शुरू की गई थी. यहां पर लाइसेंस बनवाने के लिए आने वाले आवेदकों को टोकन दिया जा रहा था और उसी नंबर के मुताबिक लर्निंग हॉल में परीक्षा के लिए प्रवेश दिया जा रहा था. इस नई व्यवस्था पर अधिकारियों के अंकुश से कहीं ज्यादा दलालों की पकड़ नजर आई. टोकन के नंबर के मुताबिक आवेदकों को प्रवेश देने के बजाय दलाल का हाथ जिस आवेदक पर था, उसी को पहले प्रवेश किया जा रहा था और काम किए जा रहे थे. जब इसकी शिकायत मुख्यालय स्तर तक पहुंच गई तो बुधवार को अपर परिवहन आयुक्त (आईटी सेल) वीके सिंह और उप परिवहन आयुक्त (लखनऊ जोन) अनिल मिश्रा आरटीओ कार्यालय पहुंच गए. यहां पर उन्होंने टोकन की व्यवस्थाओं को परखा और नाराजगी भी जाहिर की.
डिस्प्ले लगाने के निर्देश
इंस्पेक्शन के दौरान अधिकारियों ने लर्नर लाइसेंस बनवाने आने वाले आवेदकों की सहूलियत के लिए यहां पर डिस्प्ले बोर्ड लगवाने के निर्देश दिए. कहा कि यहां पर उनके बैठने के लिए कुर्सियां लगाई जाएं और डिस्प्ले बोर्ड पर उनका टोकन नंबर प्रदर्शित होता रहे, जिससे जब उनका नंबर आए, वह आराम से अपना काम कराने जा सकें.
आरआई से नहीं संभल रहा लाइसेंस का जिम्मा
आरटीओ कार्यालय में तैनात आरआई उमेश सिंह से लाइसेंस का काम संभल नहीं पा रहा है. उनके पास रजिस्ट्रेशन का भी काम पहले से ही है, ऐसे में दोनों जगह काम देखने के कारण लाइसेंस का काम प्रभावित हो रहा है. आवेदक पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग तक आरआई को खोजने के लिए ही चक्कर लगाते रह जाते हैं.
कार्यालय में जुटी भारी भीड़
आरटीओ कार्यालय में बुधवार को लाइसेंस बनवाने वाले आवेदकों की भारी भीड़ जुटी. टोकन व्यवस्था के चलते भीड़ को संभालना भी मुश्किल हो गया. जिस नंबर का टोकन था, उस नंबर के बजाय दूसरे नंबर के आवेदकों के काम पहले निपटाए जा रहे थे, जिससे आवेदकों का गुस्सा भी अधिकारियों को झेलना पड़ा.
छह घंटे, 10 कम्प्यूटर, 450 परीक्षार्थी
पुराने के साथ ही नए आवेदकों के आरटीओ कार्यालय में पहुंचने के कारण खासी भीड़ हो गई। कम्पयूटर और कर्मचारियों की कमी के कारण आवेदकों को टेस्ट देने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। इसके बावजूद कई आवेदक छूट गए तो उन्हें आगे का समय दिया गया। कई आवेदकों को पास करने के नाम पर वहां पर मौजूद दलालों ने पैसा लेकर वापस भेज दिया।