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राजधानी के बदहाल एडेड विद्यालयों को बजट की दरकार, प्रिंसिपल और बच्चे लगा रहे आर्थिक मदद की गुहार - लखनऊ के बदहाल एडेड विद्यालय

उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एडेड विद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण है. इन विद्यालयों से कई नामचीन हस्तियों ने शिक्षा हासिल की है. फिलवक्त राजधानी के कई विद्यालयों का भविष्य संकट में है. दरअसल भवन के लिए कोई ठोस व्यवस्था न होने की वजह से तमाम विद्यालय खंडहर में तब्दील हो गए हैं.

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Published : Aug 5, 2023, 5:38 PM IST

राजधानी के बदहाल एडेड विद्यालयों को बजट की दरकार. देखें खबर

लखनऊ : प्रदेश के खस्ताहाल माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार की ओर से अलंकार योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों को रखा गया है. विद्यालयों को अपग्रेड करने के लिए सरकार की ओर से करीब दो करोड़ का बजट प्रति विद्यालय दिया जाना है. सरकार ने इस योजना के लाभ के लिए माध्यमिक विद्यालयों को अपनी तरफ से कुल राशि का 25% जमा कराने को कहा है. इसके बावजूद राजधानी सहित प्रदेश के हजारों एडेड विद्यालय ऐसे हैं जहां पर विद्यालय प्रबंधक के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह इस योजना के लाभ के लिए 25% की धनराशि भी जमा कर सकें.

बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.
बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.

विद्यालय के प्रबंधकों का कहना है कि वह इन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों से किसी तरह की कोई भी शुल्क नहीं लेते हैं. ऐसे में विद्यालय प्रबंध समिति के पास इस योजना के लाभ लेने के लिए इतना बजट नहीं है. ऐसे में जिन विद्यालयों की स्थिति बहुत ही खराब है वह इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन तो करना चाहते हैं पर निर्धारित बजट इकट्ठा करने के लिए वह सहयोग व दान के पैसे इंतजाम करने में जुटे हैं.

लखनऊ के एडेड विद्यालय.
लखनऊ के एडेड विद्यालय.

राजधानी लखनऊ के चौक इलाके में स्थित श्री दिगंबर जैन इंटर कॉलेज की बिल्डिंग 70 साल से अधिक पुरानी है. इस विद्यालय के कई कमरे एकदम जर्जर व असुरक्षित हो चुके हैं. प्रधानाचार्य ने विद्यालय को रिनोवेट करने के लिए इसे अलंकार योजना में आवेदन करने के लिए प्रबंधन से कहा पर विद्यालय प्रबंधन समिति ने इस योजना के लिए निर्धारित 25% बजट नहीं होने के कारण आवेदन करने में असमर्थता जाहिर कर दी. ऐसे में विद्यालय के प्रधानाचार्य आशुतोष पांडे सहित सभी शिक्षकों को विद्यालय में पढ़ने वाले करीब 200 से अधिक छात्र-छात्राएं अपने विद्यालय को बचाने की मुहिम में जुट गए हैं.

बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.
बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.

प्रधानाचार्य आशुतोष पांडे का कहना है कि विद्यालय को अलंकार योजना के तहत बजट दिलाने के लिए जो निर्धारित शर्त है उसे पूरा करने वह इसके लिए फंड इकट्ठा करने के लिए आसपास के लोगों व शहर इलाके के गणमान्य लोगों से मदद मांग रहे हैं. इसके लिए बाकायदा विद्यालय की तरफ से एक टेंपलेट छपवा कर आसपास वितरित किया गया है. इतना सब कुछ करने के बाद भी इतनी बड़ी रकम इकट्ठा कर पाना संभव नहीं है. श्री दिगंबर जैन इंटर कॉलेज के अलावा राजधानी में ऐसे कई और इंटरमीडिएट कॉलेज हैं, जिनकी मौजूदा स्थिति काफी खस्ताहाल हो चुकी है.

लखनऊ के एडेड विद्यालयों को कैसे मिलेगा लाभ.
लखनऊ के एडेड विद्यालयों को कैसे मिलेगा लाभ.

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में करीब 4 हजार से अधिक एडेड विद्यालय है. इन विद्यालयों के प्रबंध समिति के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अलंकार योजना के लिए तय मानकों को पूरा कर सके. ऐसे में सरकार को इस योजना में थोड़ी रियायत बरतने की आवश्यकता है. जिससे दिगंबर जैन इंटर कॉलेज, लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज, बिशन नारायण इंटर कॉलेज, सेंटेनियल इंटर कॉलेज व इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज की बिल्डिंग बहुत ही जर्जर है. इन विद्यालयों में न तो छात्र है और न ही विद्यालय प्रबंधन के पास इतना पैसा है कि वह इन विद्यालयों को दोबारा से मरम्मत करा सकें.


यह भी पढ़ें : 'अमृत भारत स्टेशन योजना' की छह अगस्त को शुरुआत करेंगे पीएम मोदी, जानिए कितने स्टेशन हैं शामिल

राजधानी के बदहाल एडेड विद्यालयों को बजट की दरकार. देखें खबर

लखनऊ : प्रदेश के खस्ताहाल माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति में सुधार के लिए सरकार की ओर से अलंकार योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत प्रदेश के सभी एडेड विद्यालयों को रखा गया है. विद्यालयों को अपग्रेड करने के लिए सरकार की ओर से करीब दो करोड़ का बजट प्रति विद्यालय दिया जाना है. सरकार ने इस योजना के लाभ के लिए माध्यमिक विद्यालयों को अपनी तरफ से कुल राशि का 25% जमा कराने को कहा है. इसके बावजूद राजधानी सहित प्रदेश के हजारों एडेड विद्यालय ऐसे हैं जहां पर विद्यालय प्रबंधक के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह इस योजना के लाभ के लिए 25% की धनराशि भी जमा कर सकें.

बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.
बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.

विद्यालय के प्रबंधकों का कहना है कि वह इन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों से किसी तरह की कोई भी शुल्क नहीं लेते हैं. ऐसे में विद्यालय प्रबंध समिति के पास इस योजना के लाभ लेने के लिए इतना बजट नहीं है. ऐसे में जिन विद्यालयों की स्थिति बहुत ही खराब है वह इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन तो करना चाहते हैं पर निर्धारित बजट इकट्ठा करने के लिए वह सहयोग व दान के पैसे इंतजाम करने में जुटे हैं.

लखनऊ के एडेड विद्यालय.
लखनऊ के एडेड विद्यालय.

राजधानी लखनऊ के चौक इलाके में स्थित श्री दिगंबर जैन इंटर कॉलेज की बिल्डिंग 70 साल से अधिक पुरानी है. इस विद्यालय के कई कमरे एकदम जर्जर व असुरक्षित हो चुके हैं. प्रधानाचार्य ने विद्यालय को रिनोवेट करने के लिए इसे अलंकार योजना में आवेदन करने के लिए प्रबंधन से कहा पर विद्यालय प्रबंधन समिति ने इस योजना के लिए निर्धारित 25% बजट नहीं होने के कारण आवेदन करने में असमर्थता जाहिर कर दी. ऐसे में विद्यालय के प्रधानाचार्य आशुतोष पांडे सहित सभी शिक्षकों को विद्यालय में पढ़ने वाले करीब 200 से अधिक छात्र-छात्राएं अपने विद्यालय को बचाने की मुहिम में जुट गए हैं.

बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.
बदहाल विद्यालय को मदद की दरकार.

प्रधानाचार्य आशुतोष पांडे का कहना है कि विद्यालय को अलंकार योजना के तहत बजट दिलाने के लिए जो निर्धारित शर्त है उसे पूरा करने वह इसके लिए फंड इकट्ठा करने के लिए आसपास के लोगों व शहर इलाके के गणमान्य लोगों से मदद मांग रहे हैं. इसके लिए बाकायदा विद्यालय की तरफ से एक टेंपलेट छपवा कर आसपास वितरित किया गया है. इतना सब कुछ करने के बाद भी इतनी बड़ी रकम इकट्ठा कर पाना संभव नहीं है. श्री दिगंबर जैन इंटर कॉलेज के अलावा राजधानी में ऐसे कई और इंटरमीडिएट कॉलेज हैं, जिनकी मौजूदा स्थिति काफी खस्ताहाल हो चुकी है.

लखनऊ के एडेड विद्यालयों को कैसे मिलेगा लाभ.
लखनऊ के एडेड विद्यालयों को कैसे मिलेगा लाभ.

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में करीब 4 हजार से अधिक एडेड विद्यालय है. इन विद्यालयों के प्रबंध समिति के पास इतना पैसा नहीं है कि वह अलंकार योजना के लिए तय मानकों को पूरा कर सके. ऐसे में सरकार को इस योजना में थोड़ी रियायत बरतने की आवश्यकता है. जिससे दिगंबर जैन इंटर कॉलेज, लखनऊ इंटरमीडिएट कॉलेज, बिशन नारायण इंटर कॉलेज, सेंटेनियल इंटर कॉलेज व इंडस्ट्रियल इंटर कॉलेज की बिल्डिंग बहुत ही जर्जर है. इन विद्यालयों में न तो छात्र है और न ही विद्यालय प्रबंधन के पास इतना पैसा है कि वह इन विद्यालयों को दोबारा से मरम्मत करा सकें.


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