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अब सड़क पर बिना स्पीड लिमिट डिवाइस के नहीं दौड़ सकेंगे वाहन, प्रवर्तन दस्तों को दिया गया टास्क

यूपी में ओवर स्पीडिंग से होने वालों दुर्घटनाओं को लेकर विभाग ने कार्रवाई की तैयारी कर ली है. उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ने कहा है कि 'स्पीड लिमिट डिवाइस न लगाने वाले वाहनों पर चेकिंग अभियान के दौरान सख्त एक्शन लिया जाए.'

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 6:47 PM IST

लखनऊ : राजधानी समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर वाहन ओवरस्पीडिंग कर रहे हैं, जबकि इन वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगी हुई है. परिवहन विभाग के सामने जब ओवर स्पीडिंग से होने वालों दुर्घटनाओं का आंकड़ा आया तो जिम्मेदारों के हाथ-पांव फूल गए हैं. मुख्यमंत्री की फटकार के बाद अब परिवहन विभाग ने एक आदेश जारी किया है कि फिटनेस सेंटर पर फिटनेस कराने आने वाले कॉमर्शियल वाहनों की स्पीड लिमिट डिवाइस जरूर चेक की जाए. जो वाहन मालिक स्पीड लिमिट डिवाइस को कनेक्ट न किया हो, उसे किसी भी कीमत पर फिटनेस प्रमाण पत्र जारी न हो, साथ ही फिटनेस कराने के बाद अगर कोई वाहन स्वामी स्पीड गवर्नर का डिस्कनेक्ट करता है तो आरटीओ के प्रवर्तन दस्ते भी चेकिंग अभियान के दौरान स्पीड गवर्नर जरूर चेक करें. काम न करने पर सख्त एक्शन लें. इस तरह का आदेश इसलिए जारी किया गया है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके.




उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह की तरफ से सभी प्रवर्तन अधिकारियों को एक आदेश जारी किया गया. आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि स्पीड लिमिट डिवाइस न लगाने वाले वाहनों पर चेकिंग अभियान के दौरान सख्त एक्शन लिया जाए. उन गाड़ियों का चालान जरूर किया जाए. उन्होंने मोटर वाहन नियमावली 1989 में दिए गए प्रावधान के अनुसार व्यावसायिक वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगे होने को अनिवार्य बताते हुए इस तरह का एक्शन लेने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए हैं. परिवहन आयुक्त की तरफ से जारी सर्कुलर के बाद अब परिवहन विभाग की चेकिंग टीम के अधिकारी सड़क पर ओवर स्पीडिंग करने वाले सभी कॉमर्शियल वाहनों की गंभीरता से जांच करेंगे. ऐसे वाहनों को रोककर स्पीड लिमिट डिवाइस की जांच की जाएगी. अगर वाहन में स्पीड लिमिट डिवाइस सिर्फ दिखावे के लिए लगी है, उसका कनेक्शन कट कर दिया गया है तो फिर ऐसे वाहनों पर चालान की कार्रवाई जरूर की जाएगी.


अब वाहन की फिल करनी होगी डिटेल : परिवहन आयुक्त की तरफ से जारी सर्कुलर में प्रवर्तन अधिकारियों के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस को लेकर वकायदा एक प्रोफार्मा तैयार किया गया है. इसमें डिटेल भरकर परिवहन आयुक्त को भेजनी है. इसमें जनपद का नाम, चेकिंग की तारीख, चेक किए गए वाहनों की संख्या, वाहन में एसएलडी लगी है या नहीं, अगर लगी है तो क्रियाशील है या नहीं?.

सड़क हादसों में हुई साढ़े 22 हजार से ज्यादा की मौत : मिली जानकारी के अनुसार, साल 2022 में ओवरस्पीड के चलते सड़क दुर्घटनाओं में 22,595 लोगों की मौत हुई है. 2023 में भी अब तक यह आंकड़ा काफी पहुंच चुका है. ऐसे में वाहनों में ओवर स्पीडिंग पर रोक लगाने के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस अनिवार्य की गई है. किसी भी वाहन में स्पीड लिमिट डिवाइस लगे होने से वाहन की मैक्सिमम स्पीड 100 के अंदर ही रहती है. इतनी स्पीड में अचानक ब्रेक लगाने पर भी वाहन को कंट्रोल किया जा सकता है. ओवर स्पीड से दुर्घटनाओं पर रोक लग सकती है.



उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि 'ओवरस्पीड की वजह से दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ रहा है. ऐसे में प्रवर्तन अधिकारियों को आदेश जारी किए गए हैं कि वह चेकिंग के दौरान ओवरस्पीड करने वाले वाहनों पर कार्रवाई जरूर करें. सभी वाहनों की स्पीड लिमिट डिवाइस की जांच करें. जिस वाहन में डिवाइस नहीं लगी हो उसका चालान करें. फिटनेस सेंटर पर भी स्पीड लिमिट डिवाइस न लगे होने या फिर डिस्कनेक्ट होने पर वाहन की फिटनेस न की जाए.'

यह भी पढ़ें : योगी के मंत्री ने ट्रेन पकड़ने के लिए दिव्यांग रैंप पर चढ़ा दी कार, अखिलेश ने बुलडोजर से जोड़कर कही यह बात

लखनऊ : राजधानी समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर वाहन ओवरस्पीडिंग कर रहे हैं, जबकि इन वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगी हुई है. परिवहन विभाग के सामने जब ओवर स्पीडिंग से होने वालों दुर्घटनाओं का आंकड़ा आया तो जिम्मेदारों के हाथ-पांव फूल गए हैं. मुख्यमंत्री की फटकार के बाद अब परिवहन विभाग ने एक आदेश जारी किया है कि फिटनेस सेंटर पर फिटनेस कराने आने वाले कॉमर्शियल वाहनों की स्पीड लिमिट डिवाइस जरूर चेक की जाए. जो वाहन मालिक स्पीड लिमिट डिवाइस को कनेक्ट न किया हो, उसे किसी भी कीमत पर फिटनेस प्रमाण पत्र जारी न हो, साथ ही फिटनेस कराने के बाद अगर कोई वाहन स्वामी स्पीड गवर्नर का डिस्कनेक्ट करता है तो आरटीओ के प्रवर्तन दस्ते भी चेकिंग अभियान के दौरान स्पीड गवर्नर जरूर चेक करें. काम न करने पर सख्त एक्शन लें. इस तरह का आदेश इसलिए जारी किया गया है, जिससे सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके.




उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह की तरफ से सभी प्रवर्तन अधिकारियों को एक आदेश जारी किया गया. आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि स्पीड लिमिट डिवाइस न लगाने वाले वाहनों पर चेकिंग अभियान के दौरान सख्त एक्शन लिया जाए. उन गाड़ियों का चालान जरूर किया जाए. उन्होंने मोटर वाहन नियमावली 1989 में दिए गए प्रावधान के अनुसार व्यावसायिक वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस लगे होने को अनिवार्य बताते हुए इस तरह का एक्शन लेने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए हैं. परिवहन आयुक्त की तरफ से जारी सर्कुलर के बाद अब परिवहन विभाग की चेकिंग टीम के अधिकारी सड़क पर ओवर स्पीडिंग करने वाले सभी कॉमर्शियल वाहनों की गंभीरता से जांच करेंगे. ऐसे वाहनों को रोककर स्पीड लिमिट डिवाइस की जांच की जाएगी. अगर वाहन में स्पीड लिमिट डिवाइस सिर्फ दिखावे के लिए लगी है, उसका कनेक्शन कट कर दिया गया है तो फिर ऐसे वाहनों पर चालान की कार्रवाई जरूर की जाएगी.


अब वाहन की फिल करनी होगी डिटेल : परिवहन आयुक्त की तरफ से जारी सर्कुलर में प्रवर्तन अधिकारियों के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस को लेकर वकायदा एक प्रोफार्मा तैयार किया गया है. इसमें डिटेल भरकर परिवहन आयुक्त को भेजनी है. इसमें जनपद का नाम, चेकिंग की तारीख, चेक किए गए वाहनों की संख्या, वाहन में एसएलडी लगी है या नहीं, अगर लगी है तो क्रियाशील है या नहीं?.

सड़क हादसों में हुई साढ़े 22 हजार से ज्यादा की मौत : मिली जानकारी के अनुसार, साल 2022 में ओवरस्पीड के चलते सड़क दुर्घटनाओं में 22,595 लोगों की मौत हुई है. 2023 में भी अब तक यह आंकड़ा काफी पहुंच चुका है. ऐसे में वाहनों में ओवर स्पीडिंग पर रोक लगाने के लिए स्पीड लिमिट डिवाइस अनिवार्य की गई है. किसी भी वाहन में स्पीड लिमिट डिवाइस लगे होने से वाहन की मैक्सिमम स्पीड 100 के अंदर ही रहती है. इतनी स्पीड में अचानक ब्रेक लगाने पर भी वाहन को कंट्रोल किया जा सकता है. ओवर स्पीड से दुर्घटनाओं पर रोक लग सकती है.



उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि 'ओवरस्पीड की वजह से दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ रहा है. ऐसे में प्रवर्तन अधिकारियों को आदेश जारी किए गए हैं कि वह चेकिंग के दौरान ओवरस्पीड करने वाले वाहनों पर कार्रवाई जरूर करें. सभी वाहनों की स्पीड लिमिट डिवाइस की जांच करें. जिस वाहन में डिवाइस नहीं लगी हो उसका चालान करें. फिटनेस सेंटर पर भी स्पीड लिमिट डिवाइस न लगे होने या फिर डिस्कनेक्ट होने पर वाहन की फिटनेस न की जाए.'

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