लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2011 में सिंचाई खंड प्रतापगढ़ में फर्जी ढंग से नौ सींच पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की थी. प्रशिक्षण और वेतन भुगतान कराने के दोषी तत्कालीन अधिशासी अभियंता, सिंचाई खंड प्रतापगढ़ (से.नि.) कोमल त्रिपाठी के विरुद्ध अभियोजन चलाने का आदेश दिया गया है. इसमें नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध भी अब कार्रवाई की जाएगी.
वर्ष 2011 में फर्जी नियुक्ति हुई थी, जिसके कारण आरोपित नौ फर्जी सींच पर्यवेक्षकों और तीन अन्य विभागीय कार्मिकों के विरुद्ध भी मुकदमा चलेगा. पद नहीं होने के बावजूद भी नियुक्ति की गई थी. साथ ही प्रशिक्षण और वेतन दिया गया था. हालांकि मामला संज्ञान में आने पर एफआईआर दर्ज कराई गई. साथ ही वेतन भुगतान भी रोक दिया गया.
नौ में से आठ सींच पर्यवेक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सतर्कता अधिष्ठान से खुली जांच कराने का आदेश दिया है. विजिलेंस जांच में अनियमितता की पुष्टि हुई है. साथ ही नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की सिफारिश भी की गई है. जांच में तत्कालीन अधिशासी अभियंता कोमल त्रिपाठी और एक अधीक्षण अभियंता (अब दिवंगत) के साथ-साथ तीन विभागीय कार्मिकों को फर्जीवाड़े का दोषी पाया गया है. अब सभी के विरुद्ध अभियोजन चलाया जाएगा, जिसकी अनुमति दी गई है.
इन कार्मिकों के विरुद्ध भी अभियोजन की स्वीकृति
- रवींद्र बहादुर सिंह, वरिष्ठ सहायक (से.नि) षोडशम मंडल, सिंचाई कार्य, प्रतापगढ़
- राम सहाय गौतम, कार्यालय अधीक्षक, कार्यालय अधिशाषी अभियंता, सिंचाई कार्य प्रतापगढ़
- शिवपूजन शर्मा कनिष्ठ सहायक, सिचाई खंड प्रतापगढ़
इन्होंने पाई थी फर्जी सींच पर्यवेक्षक की नियुक्ति
- कमलेश कुमार
- सुशील कुमार
- विकास सिंह भदौरिया
- राजीव कुमार दुबे
- विपुल कुमार शुक्ला
- रामपूजन शर्मा
- रोहित सिंह
- प्रमोद कुमार सिंह
- जय प्रकाश