लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही राज्य के अपराधियों और माफिया पर कार्रवाई का दौर चला. इस दौरान 183 अपराधी ढेर किए गए. हजारों करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त हुई. हालांकि ये सच है कि सबसे अधिक कार्रवाई मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद पर हुई. इसके पीछे का कारण इनका फैला हुआ बेतहाशा काला साम्राज्य था. जिस योगी सरकार में खत्म किया गया. योगी सरकार पर जाति और धर्म देखकर कार्रवाई करने का आरोप लगा, लेकिन उमेश पाल हत्याकांड के बाद तो विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने बकायदा 17 लोगों की लिस्ट जारी करते हुए उन्हें योगी सरकार का वरदान होना बताया गया. दावा किया गया कि इन पर दर्जनों मुकदमे होने के बाद भी कोई कार्रवाई महज इस लिए नहीं की गई, क्योंकि वो किसी खास जाति के हैं. ऐसे में आइए समझते हैं कि विपक्ष के इस दावे में कितना दम है.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रिंस लेनिन कहते हैं कि भारत में कानून के हिसाब से यदि कोई कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है तो उसे करने वाले को जाति, धर्म या पंथ के आधार पर न तो प्रश्रय दिया जाता है और न ही उसका बचाव कर सकते हैं. उसके बारे में कोई भी फैसला कानून के हिसाब से ही होना चाहिए. शायद यही वजह है कि योगी सरकार में बीते साढ़े छह वर्षों में जिन 183 अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया गया है उनकी न ही जाति देखी गई और न धर्म, जिसने पुलिस पर फायरिंग की वह मारा गया. हालांकि सूबे में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी कुछ और ही आरोप लगाती है. पार्टी दावा करती है कि योगी सरकार में 17 ऐसे माफिया हैं, जिन पर योगी सरकार ने कोई भी कार्रवाई नहीं की है.
लखनऊ जोन : खान मुबारक, अजय प्रताप सिंह उर्फ अजय सिपाही, संजय सिंह सिंघाला, अतुल वर्मा, मु.सहीम उर्फ कासिम.
प्रयागराज जोन : डब्बू सिंह उर्फ प्रदीप सिंह, सुधाकर सिंह, गुड्डू सिंह, अनूप सिंह.
मेरठ जोन : उधम सिंह, योगेश भदोड़ा, बदन सिंह उर्फ बद्दो, हाजी याकूब कुरैशी, शारिक, सुनील राठी, धर्मेंद्र, यशपाल तोमर, अमर पाल उर्फ कालू, अनुज बारखा, विक्रांत उर्फ विक्की, हाजी इकबाल उर्फ बाला, विनोद शर्मा, सुनील उर्फ मूंछ, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा व विनय त्यागी उर्फ टिंकू.
गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट : सुंदर भाटी, सिंहराज भाटी, अमित कसाना, अनिल भाटी, रणदीप भाटी, मनोज उर्फ आसे, अनिल दुजाना.
कानपुर कमिश्नरेट : सऊद अख्तर, कमिश्नरेट लखनऊ के लल्लू यादव, बच्चू यादव व जुगनू वालिया उर्फ हरिवंदर सिंह.
प्रयागराज कमिश्नरेट : बच्चा पासी उर्फ निहाल पासी, दिलीप मिश्रा, जावेद उर्फ पप्पू, राजेश यादव, गणेश यादव, कमरुल हसन, जाविर हुसैन व मुजफ्फर.
वाराणसी जोन : मुख्तार अंसारी, त्रिभुवन सिंह उर्फ पवन सिंह, विजय मिश्रा, ध्रुव सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अखंड प्रताप सिंह, रमेश सिंह उर्फ काका.
गोरखपुर जोन : संजीव द्विवेदी उर्फ रामू द्विवेदी, राकेश यादव, सुधीर कुमार सिंह, विनोद कुमार उपाध्याय, राजन तिवारी, रिजवान जहीर, देवेन्द्र सिंह।
वाराणसी कमिश्नरेट : अभिषेक सिंह हनी उर्फ जहर, बृजेश कुमार सिंह व सुभाष सिंह ठाकुर.
बीजेपी के प्रवक्ता हीरो बाजपाई को मानें तो समाजवादी पार्टी जानबूझ कर अपराधियों की जाति और धर्म देखती है. इसके पीछे उनका महज चुनावों में ध्रुवीकरण की राजनीति करना ही मकसद होता है. बीते दिनों सिर्फ मुस्लिमों का ही एनकाउंटर हुआ, लेकिन बीते दिनों जारी हुए आंकड़ों में साफ है कि वर्ष 2017 से अब तक कुल 183 अपराधी मुठभेड़ में ढेर हुए हैं. जिसमें 57 अपराधी मुस्लिम थे अन्य हिंदू. ऐसे में ये साबित करता है कि समाजवादी पार्टी अपराधियों को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर झूठे इल्जाम लगाती है.
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