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लखनऊ नगर निगम: भवनों के कर निर्धारण में बड़ा घोटाला, पांच कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई

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Published : Oct 10, 2020, 10:51 PM IST

लखनऊ नगर निगम में भवनों के कर निर्धारण में बड़ा घोटाला सामने आया है. इसके बाद नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने जांच कर कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं.

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लखनऊ नगर निगम में भवनों के कर निर्धारण में घोटाला.

लखनऊ.: नगर निगम में भवनों के कर निर्धारण में बड़ा घोटाला सामने आया है. नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के निर्देश पर 180 में से लगभग 70 पत्रावली और मौके पर भी कुछ भवनों की जांच की गई. इस दौरान भवनों के कर निर्धारण में विभिन्न प्रकार की अनियमतिताएं पाई गई हैं. प्रकरण में प्रथम दृष्टतया कर अधीक्षक, राजस्व निरीक्षक, कम्प्यूटर लिपिक, वार्ड लिपिक दोषी पाए गए हैं. सभी के खिलाफ विभागीय जांच और कारवाई के लिए निर्देश दिए गए हैं. वहीं घोटाले के समय तैनात रहे जोनल अधिकारी सुजीत श्रीवास्तव से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं.

जोन आठ कार्यालय में व्यावसायिक भवनों के कर निर्धारण की 233 फाइलें रजिस्टर पर अंकित हुए बिना कम्प्यूटर में दर्ज कर दी गईं. इतना ही नहीं फाइलें भी गायब हैं. वार्ड लिपिक ने बड़े पैमाने पर घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए पूरे मामले की शिकायत की थी. कर निर्धारण में गड़बड़ियों की निरन्तर शिकायत प्राप्त होने पर नगर आयुक्त ने जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद अपर नगर आयुक्त अर्चना द्विवेदी और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने संयुक्त रूप से मामले की जांच की. जांच में जोन-8 की 180 पत्रावलियों को प्राप्त करते हुए परीक्षण किया गया और रेंडम रूप से लगभग 70 पत्रावली की जांच और मौके पर भवनों का निरीक्षण किया गया. इस दौरान भवनों के कर निर्धारण में विभिन्न प्रकार की अनियमितताएं पाई गईं. प्रकरण में प्रथम दृष्टया कर अधीक्षक, राजस्व निरीक्षक, कम्प्यूटर लिपिक, वार्ड लिपिक दोषी पाए गए हैं.

वार्षिक मूल्यांकन ज्यादा लगाकर किया गया उत्पीड़न

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कर अधीक्षक एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा बिना किसी अभिलेखीय आधार, बिना नोटिस जारी किए नियमों के विपरीत वार्षिक मूल्य अत्यंत अधिक कर भवन स्वामी का उत्पीड़न किया गया. इसके बाद आपत्ति प्राप्त कर आगणन अत्यंत कम कर दिया गया. भवनों के पत्रावली पर अंकित वार्षिक मूल्य को कम्प्यूटर पर अधिक कर दिया गया. वहीं वार्ड लिपिक ने जोनल अधिकारी को प्रेषित आख्या को मोबाइल पर विभिन्न ग्रुप में भेजा. इससे कार्यालय की गोपनीयता भी भंग हुई. इसके साथ ही वार्ड लिपिक एवं राजस्व निरीक्षक के मध्य वार्ता के ऑडियो को भी वायरल किया गया, जो उच्चाधिकारियों को प्राप्त हुआ. ऑडियो में प्रश्नगत प्रकरण के संबंध में अत्यंत विवादित, कार्यालय विरोधी एवं आपत्तिजनक बातचीत की गई, जोकि कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत है.

इन अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई

जांच रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए जोन-8 के अधिकारियों और कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका, कार्य के प्रति लापरवाही तथा कर्मचारी आचरण और नियमों के विपरीत कार्य करने पर नगर आयुक्त ने कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं. जोन-8 के कर अधीक्षक सुनील त्रिपाठी को जोन-7, राजस्व निरीक्षक (श्रेणी-1) राहुल यादव को जोन-7, राजस्व निरीक्षक (श्रेणी-2) इमरान अहमद को जोन-3 और जोन-8 लिपिक हिमांशु श्रीवास्तव को जोन-1, जोन-8 लिपिक आशीष शर्मा को जोन-2 स्थानान्तरित कर इनके खिलाफ विभागीय जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. वहीं सम्बन्धित जोनल अधिकारी, जोन-8 संगीता कुमारी को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए. जोन-4 में वर्तमान में तैनात जोनल अधिकारी जोकि उस समय जोन-8 में तैनात रहे थे, सुजीत श्रीवास्तव का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं.

लखनऊ.: नगर निगम में भवनों के कर निर्धारण में बड़ा घोटाला सामने आया है. नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के निर्देश पर 180 में से लगभग 70 पत्रावली और मौके पर भी कुछ भवनों की जांच की गई. इस दौरान भवनों के कर निर्धारण में विभिन्न प्रकार की अनियमतिताएं पाई गई हैं. प्रकरण में प्रथम दृष्टतया कर अधीक्षक, राजस्व निरीक्षक, कम्प्यूटर लिपिक, वार्ड लिपिक दोषी पाए गए हैं. सभी के खिलाफ विभागीय जांच और कारवाई के लिए निर्देश दिए गए हैं. वहीं घोटाले के समय तैनात रहे जोनल अधिकारी सुजीत श्रीवास्तव से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं.

जोन आठ कार्यालय में व्यावसायिक भवनों के कर निर्धारण की 233 फाइलें रजिस्टर पर अंकित हुए बिना कम्प्यूटर में दर्ज कर दी गईं. इतना ही नहीं फाइलें भी गायब हैं. वार्ड लिपिक ने बड़े पैमाने पर घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए पूरे मामले की शिकायत की थी. कर निर्धारण में गड़बड़ियों की निरन्तर शिकायत प्राप्त होने पर नगर आयुक्त ने जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद अपर नगर आयुक्त अर्चना द्विवेदी और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने संयुक्त रूप से मामले की जांच की. जांच में जोन-8 की 180 पत्रावलियों को प्राप्त करते हुए परीक्षण किया गया और रेंडम रूप से लगभग 70 पत्रावली की जांच और मौके पर भवनों का निरीक्षण किया गया. इस दौरान भवनों के कर निर्धारण में विभिन्न प्रकार की अनियमितताएं पाई गईं. प्रकरण में प्रथम दृष्टया कर अधीक्षक, राजस्व निरीक्षक, कम्प्यूटर लिपिक, वार्ड लिपिक दोषी पाए गए हैं.

वार्षिक मूल्यांकन ज्यादा लगाकर किया गया उत्पीड़न

जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कर अधीक्षक एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा बिना किसी अभिलेखीय आधार, बिना नोटिस जारी किए नियमों के विपरीत वार्षिक मूल्य अत्यंत अधिक कर भवन स्वामी का उत्पीड़न किया गया. इसके बाद आपत्ति प्राप्त कर आगणन अत्यंत कम कर दिया गया. भवनों के पत्रावली पर अंकित वार्षिक मूल्य को कम्प्यूटर पर अधिक कर दिया गया. वहीं वार्ड लिपिक ने जोनल अधिकारी को प्रेषित आख्या को मोबाइल पर विभिन्न ग्रुप में भेजा. इससे कार्यालय की गोपनीयता भी भंग हुई. इसके साथ ही वार्ड लिपिक एवं राजस्व निरीक्षक के मध्य वार्ता के ऑडियो को भी वायरल किया गया, जो उच्चाधिकारियों को प्राप्त हुआ. ऑडियो में प्रश्नगत प्रकरण के संबंध में अत्यंत विवादित, कार्यालय विरोधी एवं आपत्तिजनक बातचीत की गई, जोकि कर्मचारी आचरण नियमावली के विपरीत है.

इन अधिकारियों के खिलाफ हुई कार्रवाई

जांच रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए जोन-8 के अधिकारियों और कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका, कार्य के प्रति लापरवाही तथा कर्मचारी आचरण और नियमों के विपरीत कार्य करने पर नगर आयुक्त ने कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं. जोन-8 के कर अधीक्षक सुनील त्रिपाठी को जोन-7, राजस्व निरीक्षक (श्रेणी-1) राहुल यादव को जोन-7, राजस्व निरीक्षक (श्रेणी-2) इमरान अहमद को जोन-3 और जोन-8 लिपिक हिमांशु श्रीवास्तव को जोन-1, जोन-8 लिपिक आशीष शर्मा को जोन-2 स्थानान्तरित कर इनके खिलाफ विभागीय जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. वहीं सम्बन्धित जोनल अधिकारी, जोन-8 संगीता कुमारी को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए. जोन-4 में वर्तमान में तैनात जोनल अधिकारी जोकि उस समय जोन-8 में तैनात रहे थे, सुजीत श्रीवास्तव का स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं.

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