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लखनऊ: शिरोज हैंगआउट ने बदल दी एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी

राजधानी लखनऊ में शुरू हुए शिरोज हैंगआउट ने एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी बदल दी. एसिड अटैक पीड़िताओं ने हिम्मत नहीं हारी और मुस्कुराते हुए बाकी की जिंदगी यहां जी रही हैं.

बदल गई एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी.
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Published : Nov 16, 2019, 12:31 PM IST

लखनऊ: शिरोज हैंगआउट उम्मीद है जिंदगी की, एहसास है तमाम मुश्किलों के बाद भी कुछ कर दिखाने का. 2016 में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुरू हुए शिरोज हैंगआउट ने एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी बदल दी. शिरोज हैंगआउट में एसिड पीड़ित महिलाएं न सिर्फ खुश हैं बल्कि अपनी बीती यादों को भूलाकर एक नई जिंदगी शुरू की हैं.

बदल गई एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी.

बदल गई जिंदगी
महज 21 साल की एसिड अटैक पीड़िता जीतू शर्मा ने बताया कि उसके साथ यह घटना करीब 4 से 5 साल पहले हुई थी. इस घटना को अंजाम 55 वर्षीय व्यक्ति ने दिया था. जीतू ने बताया कि वह व्यक्ति उससे प्यार करता था. जीतू ने बताया कि इस घटना के बाद पूरी तरह से उसका जीवन बदल गया. जीतू ने बताया कि उसने हिम्मत नहीं हारी और 2014 में आगरा में चल रहे शिरोज हैंगआउट में काम करना शुरू कर दिया. जब 2016 में लखनऊ में यह कैफे खुला तब यहां आ गई. यहां आने के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जीतू का कहना है कि आज वह अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं.

ये भी पढ़ें- वाराणसी: पर्यटन विभाग गंगा में चलाएगा क्रूज, पर्यटकों की संख्या में होगा इजाफा

पति ने किया घिनौना काम
शिरोज हैंगआउट में काम करने वाली रेशमा की भी कहानी कम दुखदाई नहीं है. लगातार 5 बेटियों को जन्म देने से उसका पति नाराज हो गया. गुस्से में उसने रेशमा के प्राइवेट पार्ट में एसिड डाल दिया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और हालातों से मुकाबला किया.

बीती जिंदगी के बारे में सोचना ही नहीं
रेशमा ने बताया कि जिस समय यह घटना हुई उस समय वह प्रेग्नेंट थी, लेकिन शिरोज हैंगआउट ने उस समय उसकी मदद की. रेशमा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया. आज वह यहां काम करके बेहद खुश हैं और बीती जिंदगी के बारे में सोचना ही नहीं चाहती.

यह कहानी भी बेहद दर्दनाक
वहीं शिरोज हैंगआउट में एक और एसिड अटैक पीड़िता राजनीता हैं. वह मेरठ की रहने वाली हैं. उसने बताया कि वह बहुत खुश रहने वाली लड़की थी, लेकिन इस घटना ने उसे बदल दिया.

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बुजुर्ग ने की ओछी हरकत
शिरोज हैंगआउट में एक अन्य एसिड अटैक पीड़िता अंशुल राजपूत ने बताया कि करीब 6 साल पहले एक बुजुर्ग ने उसके ऊपर एसिड डाल दिया था. इस घटना से उसका चेहरा पूरी तरह से झुलस गया, लेकिन अंशुल ने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया. अंशुल का कहना है कि वह आज जो कुछ भी है अपने दम पर है.

औरों के लिए भी हैं तैयार
शिरोज हैंगआउट में काम करने वाली सभी एसिड अटैक पीड़िताओं का कहना है कि वह लोग ऐसी तमाम बहनों के लिए तैयार हैं, जो ऐसी जिंदगी जी रही हैं.

लखनऊ: शिरोज हैंगआउट उम्मीद है जिंदगी की, एहसास है तमाम मुश्किलों के बाद भी कुछ कर दिखाने का. 2016 में प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुरू हुए शिरोज हैंगआउट ने एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी बदल दी. शिरोज हैंगआउट में एसिड पीड़ित महिलाएं न सिर्फ खुश हैं बल्कि अपनी बीती यादों को भूलाकर एक नई जिंदगी शुरू की हैं.

बदल गई एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी.

बदल गई जिंदगी
महज 21 साल की एसिड अटैक पीड़िता जीतू शर्मा ने बताया कि उसके साथ यह घटना करीब 4 से 5 साल पहले हुई थी. इस घटना को अंजाम 55 वर्षीय व्यक्ति ने दिया था. जीतू ने बताया कि वह व्यक्ति उससे प्यार करता था. जीतू ने बताया कि इस घटना के बाद पूरी तरह से उसका जीवन बदल गया. जीतू ने बताया कि उसने हिम्मत नहीं हारी और 2014 में आगरा में चल रहे शिरोज हैंगआउट में काम करना शुरू कर दिया. जब 2016 में लखनऊ में यह कैफे खुला तब यहां आ गई. यहां आने के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. जीतू का कहना है कि आज वह अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं.

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पति ने किया घिनौना काम
शिरोज हैंगआउट में काम करने वाली रेशमा की भी कहानी कम दुखदाई नहीं है. लगातार 5 बेटियों को जन्म देने से उसका पति नाराज हो गया. गुस्से में उसने रेशमा के प्राइवेट पार्ट में एसिड डाल दिया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और हालातों से मुकाबला किया.

बीती जिंदगी के बारे में सोचना ही नहीं
रेशमा ने बताया कि जिस समय यह घटना हुई उस समय वह प्रेग्नेंट थी, लेकिन शिरोज हैंगआउट ने उस समय उसकी मदद की. रेशमा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया. आज वह यहां काम करके बेहद खुश हैं और बीती जिंदगी के बारे में सोचना ही नहीं चाहती.

यह कहानी भी बेहद दर्दनाक
वहीं शिरोज हैंगआउट में एक और एसिड अटैक पीड़िता राजनीता हैं. वह मेरठ की रहने वाली हैं. उसने बताया कि वह बहुत खुश रहने वाली लड़की थी, लेकिन इस घटना ने उसे बदल दिया.

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बुजुर्ग ने की ओछी हरकत
शिरोज हैंगआउट में एक अन्य एसिड अटैक पीड़िता अंशुल राजपूत ने बताया कि करीब 6 साल पहले एक बुजुर्ग ने उसके ऊपर एसिड डाल दिया था. इस घटना से उसका चेहरा पूरी तरह से झुलस गया, लेकिन अंशुल ने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया. अंशुल का कहना है कि वह आज जो कुछ भी है अपने दम पर है.

औरों के लिए भी हैं तैयार
शिरोज हैंगआउट में काम करने वाली सभी एसिड अटैक पीड़िताओं का कहना है कि वह लोग ऐसी तमाम बहनों के लिए तैयार हैं, जो ऐसी जिंदगी जी रही हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी।

लखनऊ। यह कहानी उन लोगों की है जिनकी आंखें जल चुकी हैं। चेहरा जुलस गया है, शरीर के अंग इधर से उधर हो गए हैं। जिंदगी में मुसीबतों का अंबार लग गया है।

किसी का जीवन अस्पताल बन गया है तो किसी का जीवन कचहरी के चक्कर लगाते हुए कट रहा है। फिर भी इन एसिड अटैक पीड़िताओं ने हिम्मत नहीं हारी और मुस्कुराते हुए बाकी की जिंदगी जी रही हैं। इन्हीं सब से ईटीवी भारत ने विशेष बात की।




Body:55 साल का बुड्ढा करता था प्यार

महज 21 साल की एसिड अटैक पीड़िता जीतू शर्मा ने बताया कि उसके साथ यह घटना करीब 4 से 5 साल पहले हुई थी। और इस घटना को अंजाम 55 साल के बुड्ढे ने अंजाम दिया था। जीतू ने बताया कि वह बुड्ढा उससे प्यार करता था।

बदल गयी जिंदगी

जीतू ने बताया कि इस घटना के बाद पूरी तरह से उसका जीवन बदल गया। जीतू ने बताया कि उसने हिम्मत नहीं हारी और 2014 में आगरा में चल रहे शिरोज़ हैंगआउट में काम करना शुरू कर दिया। जब 2016 में लखनऊ में यह कैफ़े खुला तब यहां आ गयी। यहां आने के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जीतू का कहना है कि आज वह अपनी जिंदगी में बहुत खुश है।

पति ने किया घिनौना काम

शिरोज़ हैंगआउट में काम करने वाली रेशमा की भी कहानी कम दुखदाई नहीं है। लगातार 5 बेटियों को जन्म देने से उसका पति नाराज़ हो गया। गुस्से में उसने रेशमा के प्राइवेट पार्ट में एसिड डाल दिया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और हालातों से मुकाबला किया।

उस समय थी प्रेग्नेंट

रेशमा ने बताया कि जिस समय यह घटना हुई उस समय वह प्रेग्नेंट थी। लेकिन शिरोज़ हैंगआउट ने उस समय उसकी मदद की और रेशमा ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया। आज वह यहां काम करके बेहद खुश है और बीती जिंदगी के बारे में सोचना ही नहीं चाहती।

यह कहानी भी बेहद दर्दनाक

वहीं शिरोज़ हैंगआउट में एक और एसिड अटैक पीड़िता है। उसका नाम राजनीता है। वह मेरठ की रहने वाली है। उसने बताया कि वह बहुत खुश रहने वाली लड़की थी। लेकिन इस घटना ने उसे बदल दिया। लेकिन जब से वह यहां आयी है उसने सारे दुख दर्द भुला दिए है। राजनीता अपने भविष्य को लेकर काफी संजीदा है।

दादा की उम्र के बुड्ढे ने की ओछी हरकत

शिरोज़ हैंगआउट में एक अन्य एसिड अटैक पीड़िता अंशुल राजपूत ने बताया कि करीब 6 साल पहले 55 साल के एक बुड्ढे ने उसके ऊपर एसिड डाल दिया था। इस घटना से उसका चेहरा पूरी तरह से जुलस गया है। लेकिन अंशुल ने हिम्मत न हारते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया। अंशुल का कहना है कि वह आज जो कुछ भी है अपने दम पर है।

औरों के लिए भी हैं तैयार

शिरोज़ हैंगआउट में काम करने वाली सभी एसिड अटैक पीड़िताओं का कहना है कि वह लोग ऐसी तमाम बहनों के लिए तैयार हैं जो ऐसी जिंदगी जी रही हैं। उनका कहना है कि वह ऐसे सारे काम करना चाहती हैं जो आजकल के लड़के कर रहे हैं।


Conclusion:2016 को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुरू हुए शिरोज़ हैंगआउट ने एसिड अटैक पीड़िताओं की जिंदगी बदल दी है। आने वाले समय में यह बदलाव जारी रहेगा।

अनुराग मिश्र

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