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हत्या के मामले में 12 साल बाद मिली जमानत, दुर्गा पूजा पंडाल के पास गोली मारकर हत्या का मामला - Advocate Chandan Srivastava

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के एक मामले में सत्र अदालत से दोषसिद्ध अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने अभियुक्त को फिलहाल सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

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हत्या के मामले में 12 साल बाद मिली जमानत
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Published : Apr 20, 2022, 9:25 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के एक मामले में सत्र अदालत से दोषसिद्ध अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. अभियुक्त पर दुर्गा पूजा पंडाल के पास युवती से छेड़छाड़ के विवाद को लेकर एक मुस्लिम युवक की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है. न्यायालय ने अभियुक्त को फिलहाल सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र, प्रथम और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद मौर्या की अपील के साथ दाखिल द्वितीय जमानत प्रार्थना पत्र पर पारित किया. अपीलार्थी को सत्र अदालत ने वर्ष 2010 में दोषसिद्ध करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है. अपीलार्थी के अधिवक्ता चंदन श्रीवास्तव ने दलील दी कि घटना अयोध्या जनपद के इनायत नगर थाना क्षेत्र में 27 सितंबर 2006 की बताई जाती है. तब दुर्गा पूजा पंडाल के पास अपीलार्थी ने उस्मान नाम के युवक की गोली मारकर हत्या करने की बात कही जाती है. घटना के समय सैकड़ों लोगों का दुर्गा पूजा पंडाल के पास मौजूद होना बताया जाता है.

इसे भी पढ़ेंः सरकार ने मुख्य स्थाई अधिवक्ता भईया लाल वर्मा को भी हटाया, पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के हैं खास

बावजूद इसके घटना का कोई भी स्वतंत्र गवाह नहीं है. प्रत्यक्षदर्शियों के तौर पर मृतक के पिता और भाई को पेश किया गया जिनके बयानों में भारी विरोधाभास हैं. दलील दी गई कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अपीलार्थी ने मृतक को 40 कदम दूर से गोली मारी थी लेकिन मृतक को गोली लगने वाले स्थान पर चारो तरफ काले निशान हैं जो शरीर में सटा कर गोली मारने से ही संभव है. यह भी दलील दी गई कि मृतक के चेहरे पर भी एक फटी हुई चोट है जो कि गन शॉट से आई चोट नहीं है जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे भी गोली लगने की चोट बताया है. दुर्गा पूजा पंडाल पर मृतक की मौजूदगी पर भी सवाल खड़े किए गए.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के एक मामले में सत्र अदालत से दोषसिद्ध अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. अभियुक्त पर दुर्गा पूजा पंडाल के पास युवती से छेड़छाड़ के विवाद को लेकर एक मुस्लिम युवक की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है. न्यायालय ने अभियुक्त को फिलहाल सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र, प्रथम और न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद मौर्या की अपील के साथ दाखिल द्वितीय जमानत प्रार्थना पत्र पर पारित किया. अपीलार्थी को सत्र अदालत ने वर्ष 2010 में दोषसिद्ध करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है. अपीलार्थी के अधिवक्ता चंदन श्रीवास्तव ने दलील दी कि घटना अयोध्या जनपद के इनायत नगर थाना क्षेत्र में 27 सितंबर 2006 की बताई जाती है. तब दुर्गा पूजा पंडाल के पास अपीलार्थी ने उस्मान नाम के युवक की गोली मारकर हत्या करने की बात कही जाती है. घटना के समय सैकड़ों लोगों का दुर्गा पूजा पंडाल के पास मौजूद होना बताया जाता है.

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बावजूद इसके घटना का कोई भी स्वतंत्र गवाह नहीं है. प्रत्यक्षदर्शियों के तौर पर मृतक के पिता और भाई को पेश किया गया जिनके बयानों में भारी विरोधाभास हैं. दलील दी गई कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अपीलार्थी ने मृतक को 40 कदम दूर से गोली मारी थी लेकिन मृतक को गोली लगने वाले स्थान पर चारो तरफ काले निशान हैं जो शरीर में सटा कर गोली मारने से ही संभव है. यह भी दलील दी गई कि मृतक के चेहरे पर भी एक फटी हुई चोट है जो कि गन शॉट से आई चोट नहीं है जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे भी गोली लगने की चोट बताया है. दुर्गा पूजा पंडाल पर मृतक की मौजूदगी पर भी सवाल खड़े किए गए.

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