लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दुराचार के प्रयास के एक मामले में अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि वह मात्र 20 वर्ष का है जबकि पीड़िता 30 वर्ष की है. ऐसे में उसके द्वारा दुराचार का प्रयास करना संभव नहीं है. हालांकि न्यायालय ने मामले के गुणदोष पर न जाते हुए अभियुक्त की जमानत याचिका मंजूर कर ली.
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अभियुक्त की ओर से झूठा फंसाये जाने की दलील
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने अभियुक्त बृजेश सरोज की जमानत याचिका पर पारित किया. अभियुक्त के खिलाफ प्रतापगढ़ जनपद के आशपुर देवसारा थाने में आईपीसी की धारा 376 व 511 के तहत एफआईआर लिखाई गई. अभियुक्त 23 नवंबर 2020 से ही जेल में बंद है. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि वर्तमान मामले में उसे झूठा फंसाया गया है. मामले का कोई भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं है. कहा गया कि अभियुक्त बीए का छात्र है. यूपी पुलिस की भर्ती परीक्षा को पास कर चुका है. उसके खिलाफ पिछला कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. वहीं, सरकारी वकील ने जमानत देने का विरोध किया. हालांकि न्यायालय ने उसे सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. न्यायालय ने अभियुक्त को निर्देश दिया है कि वह मामले के ट्रायल में पूरी तरह से सहयोग करेगा व सुनवाई को अनावश्यक तौर पर टलवाने का प्रयास नहीं करेगा.