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लखनऊ में निजी अस्पताल पर बच्चे के इलाज में लापरवाही का आरोप, मरने के बाद भेजा ट्रॉमा सेंटर

लखनऊ में निजी अस्पताल पर बच्चे के इलाज में लापरवाही का आरोप (Accusation of negligence on private hospital in Lucknow) लगा है. डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है.

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लखनऊ में निजी अस्पताल Accusation of negligence on private hospital private hospital in Lucknow डिप्टी सीएमओ डॉ एपी सिंह इलाज में लापरवाही का आरोप
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 7:00 AM IST

लखनऊ: बख्शी का तालाब स्थित निजी अस्पताल पर बच्चे के इलाज में लापरवाही का आरोप (Accusation of negligence on private hospital in Lucknow) लगा है. परिजनों का कहना है कि जीवित रहने तक दवा और जांच के नाम पर हजारों रुपये वसूले गए. मौत हो गई तो वेंटिलेटर की जरूरत बता कर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया. यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों ने निजी अस्पताल में इलाज के दौरान की गई लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि इस मामले में मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी से शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेंगे.

इंटौजा के रहने वाले संतराम का बेटा अर्पित (7) को करीब छह दिन पहले तेज बुखार आया था. परिजनों ने पहले नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया. वहां पर हालत सुधारने की बजाए लगातार बिगड़ती जा रही थी. इसके बाद बिचौलियों ने कम खर्च में बेहतर इलाज कराने का झांसा देकर उसे दुबग्गा ​स्थित न्यू तुलसी हॉ​स्पिटल में भर्ती करा दिया. पिता संतराम के मुताबिक वहां पर बच्चा तीन दिन तक भर्ती रहा. इस दौरान जांच के नाम पर हजारों रुपये वसूले गये.

बच्चे की हालत सुधरने की बजाए लगातार बिगड़ती चली गई. इसके बाद रविवार शाम परिजनों ने बच्चे को डिस्चार्ज कराकर बीकेटी के यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती कराया. वहां पर भर्ती होने बाद उसे झटके आने लगे. आरोप है कि सोमवार सुबह डॉक्टरों ने वेंटीलेटर सपोर्ट की जरूरत बताते हुए बच्चे को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया.

एम्बुलेंस के भी वसूले 1200 रुपये: परिजनों ने बताया कि वह मजदूरी कर गुजर-बसर करते हैं. चार दिन में दोनों अस्पतालों ने करीब 50 हजार रुपये वसूल लिए. सोमवार को यशोदा अस्पताल में ही बच्चे के शरीर मे कोई हरकत नहीं थी. इसके बावजूद उसे ऑक्सीजन लगाकर केजीएमयू भेज दिया. इतना ही नहीं जब परिजनों ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए सरकारी एम्बुलेंस बुलाने की मांग की तो अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल की ही एम्बुलेंस से ले जाने का दबाव बनाया. इसके 1200 रुपये अलग से वसूले गए. ट्रॉमा सेंटर में मरीज को उतारने के बाद एम्बुलेंस तुरंत वापस लौट गई. इसके बाद उन्हें शव वाहन अलग से करना पड़ा.

बीकेटी में यशोदा अस्पताल (Yashoda Hospital in BKT) के मैनेजर विकास दीक्षित ने कहा कि बच्चा गंभीर हालत में आया था. इससे पहले वह दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती था. सुबह बच्चे को वेंटीलेटर की जरूरत बताकर केजीएमयू रेफर किया गया था. इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है. तीमारदारों के आरोप बेबुनियाद हैं. डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है. यदि परिजन शिकायत करेंगे तो जांच की जाएगी. जांच में लापरवाही मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
ये भी पढ़ें- वाराणसी में 7 पुलिस कर्मियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, ये है वजह

लखनऊ: बख्शी का तालाब स्थित निजी अस्पताल पर बच्चे के इलाज में लापरवाही का आरोप (Accusation of negligence on private hospital in Lucknow) लगा है. परिजनों का कहना है कि जीवित रहने तक दवा और जांच के नाम पर हजारों रुपये वसूले गए. मौत हो गई तो वेंटिलेटर की जरूरत बता कर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया. यहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों ने निजी अस्पताल में इलाज के दौरान की गई लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि इस मामले में मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी से शिकायत कर कार्रवाई की मांग करेंगे.

इंटौजा के रहने वाले संतराम का बेटा अर्पित (7) को करीब छह दिन पहले तेज बुखार आया था. परिजनों ने पहले नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया. वहां पर हालत सुधारने की बजाए लगातार बिगड़ती जा रही थी. इसके बाद बिचौलियों ने कम खर्च में बेहतर इलाज कराने का झांसा देकर उसे दुबग्गा ​स्थित न्यू तुलसी हॉ​स्पिटल में भर्ती करा दिया. पिता संतराम के मुताबिक वहां पर बच्चा तीन दिन तक भर्ती रहा. इस दौरान जांच के नाम पर हजारों रुपये वसूले गये.

बच्चे की हालत सुधरने की बजाए लगातार बिगड़ती चली गई. इसके बाद रविवार शाम परिजनों ने बच्चे को डिस्चार्ज कराकर बीकेटी के यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती कराया. वहां पर भर्ती होने बाद उसे झटके आने लगे. आरोप है कि सोमवार सुबह डॉक्टरों ने वेंटीलेटर सपोर्ट की जरूरत बताते हुए बच्चे को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया.

एम्बुलेंस के भी वसूले 1200 रुपये: परिजनों ने बताया कि वह मजदूरी कर गुजर-बसर करते हैं. चार दिन में दोनों अस्पतालों ने करीब 50 हजार रुपये वसूल लिए. सोमवार को यशोदा अस्पताल में ही बच्चे के शरीर मे कोई हरकत नहीं थी. इसके बावजूद उसे ऑक्सीजन लगाकर केजीएमयू भेज दिया. इतना ही नहीं जब परिजनों ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए सरकारी एम्बुलेंस बुलाने की मांग की तो अस्पताल प्रशासन ने अस्पताल की ही एम्बुलेंस से ले जाने का दबाव बनाया. इसके 1200 रुपये अलग से वसूले गए. ट्रॉमा सेंटर में मरीज को उतारने के बाद एम्बुलेंस तुरंत वापस लौट गई. इसके बाद उन्हें शव वाहन अलग से करना पड़ा.

बीकेटी में यशोदा अस्पताल (Yashoda Hospital in BKT) के मैनेजर विकास दीक्षित ने कहा कि बच्चा गंभीर हालत में आया था. इससे पहले वह दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती था. सुबह बच्चे को वेंटीलेटर की जरूरत बताकर केजीएमयू रेफर किया गया था. इलाज में कोई लापरवाही नहीं की गई है. तीमारदारों के आरोप बेबुनियाद हैं. डिप्टी सीएमओ डॉ. एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में अभी कोई शिकायत नहीं मिली है. यदि परिजन शिकायत करेंगे तो जांच की जाएगी. जांच में लापरवाही मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
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