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UP Assembly Election 2022: आप ने OBC और SC पर खेला दांव, जाति समीकरण पर यूपी की सियासत - aam aadmi party

आम आदमी पार्टी (AAP) की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 150 प्रत्याशियों की लिस्ट घोषित कर दिए गए हैं. आम आदमी पार्टी फ्री बिजली, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात जरूर कर रही है. लेकिन टिकट देते समय पार्टी ने जातीय समीकरणों को भी खूब साधा है.

UP Assembly Election 2022
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Published : Jan 17, 2022, 3:56 PM IST

लखनऊः आम आदमी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 150 प्रत्याशियों की लिस्ट घोषित कर दिये हैं. आप फ्री बिजली, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात जरूर कर रही है. लेकिन टिकट देते समय पार्टी ने जातीय समीकरणों को भी खूब साधा है. पार्टी अपनी पहली लिस्ट में ओबीसी और एससी वर्ग को साधती हुई नजर आ रही है. हालांकि इस लिस्ट में ब्राह्मण वर्ग का भी खूब ध्यान रखा गया है.

पहली लिस्ट में 55 उम्मीदवार ओबीसी और 31 अनुसूचित जाति के हैं. ये सब दिखाता है कि पार्टी इस वर्ग पर कितना ध्यान दे रही है.
इसी लिस्ट में 36 ब्राह्मण उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है. इसके अलावा 14 उम्मीदवार माइनॉरिटी मुस्लिम्स हैं. कायस्थ 6 हैं. व्यापारी 7 हैं, पार्टी भले ही जातीय समीकरणों को लेकर कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं बोल रही है.लेकिन लिस्ट साफ बता रही है कि यूपी में आने के बाद विकास के साथ-साथ राजनीति पर बात करना भी बेहद जरूरी है.

पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी सांसद संजय सिंह के मुताबिक उनकी नीतियां जनता को बहुत अच्छी लग रही हैं और इसी का परिणाम था कि 40 लाख वोट हमें जिला पंचायत के चुनाव में मिले. 83 हमारे जिला पंचायत की सीट जीत कर आई. हम जनता के लिए लड़ रहे हैं. हमारी स्वीकारिता पूरे देश में बन रही है. हमारी नीतियों का विस्तार हो रहा है.

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बदलाव की नई राजनीति के लिए राजनीति की गंदगी पर झाडू चलाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, किसानी को राजनीति के केंद्र में मुद्दे के रूप में लाने के लिए आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि विकास की बात चाहे जितनी क्यों न की जाए. लेकिन आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति जातीय समीकरणों पर आधारित रहती हैं. अगर ऐसा न हो तो उत्तर प्रदेश की ज्यादातर राजनीतिक दल खत्म हो जाएंगे.

इसे भी पढ़े- भारत के 10 सबसे अमीर लोगों की संपत्ति 25 साल तक हर बच्चे को शिक्षा के लिए पर्याप्त: अध्ययन

स्वामी प्रसाद मौर्या जानते हैं कि ओबीसी वोट बैंक उनके साथ में है. इसलिए, दूसरे राजनीतिक दल उन्हें हाथों-हाथ लेते हैं. इसी तरह बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी जैसे तमाम दलों की राजनीति की शुरुआत जाति धर्म को लेकर ही हुई है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिना जाति पर बात किए आगे बढ़ना फिलहाल आने वाले कुछ सालों तक तो संभव ही नहीं है.

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लखनऊः आम आदमी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 150 प्रत्याशियों की लिस्ट घोषित कर दिये हैं. आप फ्री बिजली, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बात जरूर कर रही है. लेकिन टिकट देते समय पार्टी ने जातीय समीकरणों को भी खूब साधा है. पार्टी अपनी पहली लिस्ट में ओबीसी और एससी वर्ग को साधती हुई नजर आ रही है. हालांकि इस लिस्ट में ब्राह्मण वर्ग का भी खूब ध्यान रखा गया है.

पहली लिस्ट में 55 उम्मीदवार ओबीसी और 31 अनुसूचित जाति के हैं. ये सब दिखाता है कि पार्टी इस वर्ग पर कितना ध्यान दे रही है.
इसी लिस्ट में 36 ब्राह्मण उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा गया है. इसके अलावा 14 उम्मीदवार माइनॉरिटी मुस्लिम्स हैं. कायस्थ 6 हैं. व्यापारी 7 हैं, पार्टी भले ही जातीय समीकरणों को लेकर कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं बोल रही है.लेकिन लिस्ट साफ बता रही है कि यूपी में आने के बाद विकास के साथ-साथ राजनीति पर बात करना भी बेहद जरूरी है.

पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी सांसद संजय सिंह के मुताबिक उनकी नीतियां जनता को बहुत अच्छी लग रही हैं और इसी का परिणाम था कि 40 लाख वोट हमें जिला पंचायत के चुनाव में मिले. 83 हमारे जिला पंचायत की सीट जीत कर आई. हम जनता के लिए लड़ रहे हैं. हमारी स्वीकारिता पूरे देश में बन रही है. हमारी नीतियों का विस्तार हो रहा है.

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में बदलाव की नई राजनीति के लिए राजनीति की गंदगी पर झाडू चलाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, किसानी को राजनीति के केंद्र में मुद्दे के रूप में लाने के लिए आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि विकास की बात चाहे जितनी क्यों न की जाए. लेकिन आज भी उत्तर प्रदेश की राजनीति जातीय समीकरणों पर आधारित रहती हैं. अगर ऐसा न हो तो उत्तर प्रदेश की ज्यादातर राजनीतिक दल खत्म हो जाएंगे.

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स्वामी प्रसाद मौर्या जानते हैं कि ओबीसी वोट बैंक उनके साथ में है. इसलिए, दूसरे राजनीतिक दल उन्हें हाथों-हाथ लेते हैं. इसी तरह बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी जैसे तमाम दलों की राजनीति की शुरुआत जाति धर्म को लेकर ही हुई है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिना जाति पर बात किए आगे बढ़ना फिलहाल आने वाले कुछ सालों तक तो संभव ही नहीं है.

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