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डिग्री कॉलेजों में प्रधानाचार्य भर्ती प्रक्रिया पर आप ने जताई आपत्ति

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Published : Oct 12, 2021, 8:36 PM IST

उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में प्रधानाचार्य पद पर भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया को लेकर आम आदमी पार्टी ने आपत्ति जताई है. पूरी भर्ती की चयन प्रक्रिया का न्यायालय की निगरानी में पुनरीक्षण करने की मांग की है.

आम आदमी पार्टी.
आम आदमी पार्टी.

लखनऊ: आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में प्रधानाचार्य पद पर भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा कि बीजेपी सरकार में हो रही इस नियुक्ति में धांधली की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य के 290 पद पर चयन हेतु विज्ञापन संख्या 48 निकाला था, जिसे निरस्त कर विज्ञापन संख्या 49, 2019 में निकाला गया.

आप प्रवक्ता का आरोप है कि इसकी भर्ती यूजीसी (University Grants Commission) की 2010 की नियमावली के अनुसार होनी थी, लेकिन उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा भर्ती नियमों की गलत व्याख्या की गई है. प्रधानाचार्य भर्ती का परिणाम आने पर जब अभ्यर्थियों को घपले का पता चला तो उन्होंने व शिक्षक संगठनों ने इसकी शिकायत शिक्षामंत्री दिनेश शर्मा से की. उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया, परिणामस्वरूप कई अभ्यर्थी न्यायालय की शरण में चले गए. वहां, पिछली 7 अक्टूबर की सुनवाई में न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 25 अक्टूबर दी है.

इसे भी पढ़ें-बच्चों की कोवैक्सीन : डीसीजीआई से मंजूरी पर सस्पेंस, स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया ये जवाब


आप शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर डीएनएन एस यादव ने कहा कि उच्चतर शिक्षा आयोग ने भर्ती की अनिवार्य योग्यता की गलत व्याख्या की गई है. यूजीसी की अनुमति के बिना 15 साल के अनुभव और API की अनिवार्य योग्यता शिथिल कर दी गई है, जो विधि विरूद्ध है. मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा कि पूरी चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है. उन्होंने मांग की कि पूरी भर्ती की चयन प्रक्रिया का न्यायालय की निगरानी में पुनरीक्षण होना चाहिए. तब तक अंतिम परिणाम जारी नहीं होना चाहिए.

लखनऊ: आम आदमी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में प्रधानाचार्य पद पर भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा कि बीजेपी सरकार में हो रही इस नियुक्ति में धांधली की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य के 290 पद पर चयन हेतु विज्ञापन संख्या 48 निकाला था, जिसे निरस्त कर विज्ञापन संख्या 49, 2019 में निकाला गया.

आप प्रवक्ता का आरोप है कि इसकी भर्ती यूजीसी (University Grants Commission) की 2010 की नियमावली के अनुसार होनी थी, लेकिन उच्चतर शिक्षा आयोग द्वारा भर्ती नियमों की गलत व्याख्या की गई है. प्रधानाचार्य भर्ती का परिणाम आने पर जब अभ्यर्थियों को घपले का पता चला तो उन्होंने व शिक्षक संगठनों ने इसकी शिकायत शिक्षामंत्री दिनेश शर्मा से की. उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया, परिणामस्वरूप कई अभ्यर्थी न्यायालय की शरण में चले गए. वहां, पिछली 7 अक्टूबर की सुनवाई में न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख 25 अक्टूबर दी है.

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आप शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर डीएनएन एस यादव ने कहा कि उच्चतर शिक्षा आयोग ने भर्ती की अनिवार्य योग्यता की गलत व्याख्या की गई है. यूजीसी की अनुमति के बिना 15 साल के अनुभव और API की अनिवार्य योग्यता शिथिल कर दी गई है, जो विधि विरूद्ध है. मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने कहा कि पूरी चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है. उन्होंने मांग की कि पूरी भर्ती की चयन प्रक्रिया का न्यायालय की निगरानी में पुनरीक्षण होना चाहिए. तब तक अंतिम परिणाम जारी नहीं होना चाहिए.

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