लखनऊः डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय (Dr. Shakuntala Mishra Rehabilitation University) का 9वां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाअध्यक्ष राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया. दीक्षांत समारोह में 150 छात्रों को चांसलर मेडल, मुख्यमंत्री मेडल (CM Medal) और कुलपति मेडल ( VC Medal) दिया गया. वहीं, 1506 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई. इसमें 79 पदक छात्राओं को व 40 पदक छात्रों को दिए गए. इनमें 10 दृष्टिबाधित छात्र ने सर्वाधिक पांच गोल्ड मेडल प्राप्त किए हैं. वहीं, समारोह में 29 शोध छात्रों को पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की गई.
रवि शंकर ने सभी संकाय में किया टॉप
समारोह में सभी संकायों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले बीटेक के छात्र रवि शंकर यादव को स्वर्ण पदक, मृदुश्री मित्तल को रजत पदक एवं गौरांग नारंग को कांस्य पदक के रूप में दिया गया. अपने अपने संकाय में टॉप थ्री 21 छात्रों को मुख्यमंत्री मेडल दिया गया. वहीं 126 मेधावियों जिन्होंने अपने अपने पाठ्यक्रम में टॉप किया उन्हें कुलपति पदक दिया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पद्म भूषण आचार्य वशिष्ठ त्रिपाठी मौजूद रहे. कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल ने विवि के सफर और भविष्य की योजनाएं बताई. समारोह में दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री नरेंद्र कश्यप समेत अन्य अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.
दिव्यांगजन छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में हर तरह की सुविधाएं मौजूद
वहीं, प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह (Pro. Rana Krishna Pal Singh) ने अतिथियों का स्वागत करते कहा कि यह विशिष्ट विश्वविद्यालय दिव्यांग विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा की प्राप्ति में आ रहे व्यवधान एवं चुनौतियों के समाधान हेतु निरन्तर प्रयत्नशील है. उच्च शिक्षा में श्रवण बाधित विद्यार्थियों को अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय द्वारा इंटरमीडिएट स्तर का प्री-डिग्री कोर्स फॉर डेफ स्टूडेंट्स संचालित किया जा रहा है. इसका मूल लक्ष्य श्रवणबाधित विद्यार्थियों को सांकेतिक भाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना है. जो किन्हीं कारणों से हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सके हैं. इस पाठ्यक्रम को उत्तीर्ण करने के बाद इन्हें उच्च शिक्षा के विभिन्न शाखाओं में अध्ययन के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हो रहे हैं. इसके साथ ही विश्वविद्यालय में डेफ कॉलेज की भी स्थापना की गई है. इसी श्रृंखला में विश्वविद्यालय परिसर में टॉकिंग बुक स्टूडियों की स्थापना की गई है. इस स्टूडियो में दृष्टिबाधित छात्रों को ध्वनि आधारित अध्ययन सामग्री सुलभ है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय (central library) में विभिन्न विषयों की ब्रेल लिपि में पुस्तकें, पत्र एवं पत्रिकायें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं.
डिजिटल इंडिया के तहत टैबलेट स्मार्टफोन योजना
वहीं, पिछड़ा वर्ग कल्याण (backward class welfare) व दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग नरेंद्र कश्यप ने कहा कि भारत सरकार के डिजिटल इंडिया (Digital India) के उद्देश्यों को पूर्ति हेतु निर्धन एवं दिव्यांग विद्यार्थियों को आनलाइन माध्यम से शिक्षा में आ रहे व्यवधानों के निराकरण करने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश सरकार की यूपी की टैबलेट स्मार्टफोन योजना के तहत वर्तमान सत्र में 23 अप्रैल 2022 को विश्वविद्यालय के सामान्य परिषद के अध्यक्ष माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा कुल 868 विद्यार्थियों को टेबलेट स्मार्टफोन वितरित किया गया. साथ ही इस अवसर पर विश्वविद्यालय में अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के नए भवन का शिलान्यास एवं विशेष विद्यालय के भवनों का लोकार्पण किया गया. उच्च शिक्षा के साथ ही खेल एवं क्रीड़ा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा एवं मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से वर्तमान सत्र में 22 जून 2022 को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त पूर्णतया बाधारहित इनडोर व आउटडोर दोनों ही प्रकार की खेल सुविधाओं से सुसज्जित विशिष्ट स्टेडियम का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर तीन दिवसीय राज्यस्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता एवं दृष्टिबाधित क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें 4 दृष्टिबंधित टीमों के साथ कुल 114 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया.
श्रद्धा के बिना परिश्रम से प्राप्त विद्या जीवन में परम शांति की स्थापना नहीं करती
समारोह के मुख्य अतिथि पद्म भूषण महामहोपाध्याय आचार्य वशिष्ट त्रिपाठी (Padma Bhushan Mahamahopadhyay Acharya Vashisht Tripathi) ने दीक्षांत उद्बोधन में कहा कि छात्रों के लिए आज का यह दिवस अत्यंत महत्वपूर्ण है. छात्रों को प्राप्त होने वाला उपाधि प्रमाणपत्र आपके विशिष्ट परिश्रम को प्रमाणित करता है. परिश्रम से ही विद्या को सिद्ध किया जा सकता है. इसीलिए कहते हैं- 'विद्या परिश्रमाघीना' परिश्रम के साथ-साथ ज्ञान प्राप्ति का एक अन्य महत्वपूर्ण उपादान भी है. जिसे शास्त्रों में श्रद्धा कहा गया है. श्रद्धा के बिना केवल परिश्रम से प्राप्त विद्या जीवन में परम शांति की स्थापना नहीं करती. इसीलिए श्रद्धा समन्वित परिश्रम से अर्जित ज्ञान ही परमानन्द एवं परम शांति का मूलस्रोत है. उन्होंने कहा कि सभी प्रकार की उन्नतियों का मूल शिक्षा ही है. भौतिक उन्नति हो या सामाजिक उन्नति, आर्थिक उन्नति हो या फिर धार्मिक उन्नति, नैतिक उन्नति हो या आध्यात्मिक उन्नति सभी के मूल में शिक्षा और ज्ञान ही हैं. दिव्यांग एवं सकलांग सभी के लिए समान शिक्षा प्रदान करने वाले इस संस्थान में लगभग 3600 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं. जिनमें से लगभग 840 विद्यार्थी दिव्यांग विद्यार्थी के रूप में अध्ययनरत हैं. दिव्यांग विद्यार्थियों को मुख्यधारा में उन्हें गौरव एवं सम्मान के साथ स्थापित करना इस विश्वविद्यालय कि अभूतपूर्व उपलब्धि है.
दीक्षांत समारोह ज्ञानयज्ञ का सारस्वत महोत्सव- कुलपति
इस समारोह की अध्यक्षता कर रही राज्यपाल व विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने कहा कि विश्वविद्यालयों के लिए 'दीक्षांत समारोह ज्ञानयज्ञ का सारस्वत महोत्सव होता है. दीक्षांत समारोह अपने आप में इसलिए विशिष्ट है क्योंकि इस आयोजन के केन्द्र में दिव्यांग हैं. दिव्यांग विद्यार्थी जो हमेशा हाशिए पर रहने के लिए ही अभिशप्त थे, वही आज इस विश्वविद्यालय के केन्द्र में है. ज्ञान विज्ञान की दीक्षा ले रहे हैं. हमारा परम ध्येय है- सबका साथ सबका विकास'. यह विश्वविद्यालय उनके सपनों को साकार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. राज्यपाल ने कहा कि समावेशी शिक्षा के माध्यम से दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण एवं उनको मुख्य धारा में जोड़ने का काम कर रही है. इस विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्ष होने के नाते मेरे लिए इस विलक्षण क्षण का महात्म्य कुछ और अधिक बढ़ जाता है. क्योंकि ज्ञानयज्ञ के पूर्ण होने के उपरान्त सामान्य विद्यार्थियों के साथ ही दिव्यांग विद्यार्थियों को भी उपाधियों से विभूषित एवं पदकों से अलंकृत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास उन्हें बाधारहित, अनुकूल एवं सुगम परिवेश प्रदान करना, शिक्षण-प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के सामान अवसर उपलब्ध कराते हुए उनकी पूरी क्षमतओं से स्वयं को समृद्ध करना है. लेकिन ऐसा करते समय उपकार के बजाए कृतज्ञता का भाव परिलक्षित होना चाहिए. यही सुखद मार्ग है, जिससे होकर 'मेक इन इण्डिया' स्टार्ट अप इण्डिया स्किल इण्डिया' 'डिजिटल इण्डिया' और 'सुगम्य भारत का स्वप्न साकार हो सकेगा.
विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को पदक
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. अमित कुमार राय ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के अंतर्गत शैक्षिक सत्र 2021-22 के अंतिम सेमेस्टर वर्ष की परीक्षा में पास मेधावी विद्यार्थियों को पदक वितरित किए गए. डॉ. राय ने बताया कि तीन कुलाध्यक्ष पदक, मुख्यमंत्री पदक में कला संकाय की अनिल पटेल, अनुराग गौतम व रिचा सिंह. वाणिज्य पदक शिवम अग्रवाल, आकांक्षा श्रीवास्तव व हेमंत कुमार, विशेष शिक्षा संकाय के मोनू सिंह, नीतू रावत व मनोज सिंह, वहीं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय की पूजा चौबे, पीयूष दीक्षित और अर्श अंसारी को मिला. इसी तरह कंप्यूटर साइंस सूचना प्रौद्योगिकी संकाय में जया श्रीवास्तव, आशुतोष दीक्षित व स्मिता श्रीवास्तव. विधि संकाय की प्रज्ञा भटनागर, अंजलि सोनकर व सौरव कुमार यादव को पदक मिला. अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के रवि शंकर यादव मृदुश्री मित्तल गौरव नारंग को मुख्यमंत्री दिया गया.
इसी तरह कुलपति पदक क्रमश: से स्नातक बीए की अनुभूति रावत, तेजल कनौजिया व अभिषेक श्रीवास्तव, स्नातक बीबीए के अनुराग गौतम, अवनीश कुमार भारती व विकास विश्वकर्मा, परास्नातक एमए की अंजली पटेल, रिचा सिंह व वैष्णवी वर्मा. परास्नातक एमए अर्थशास्त्र के उमाकांत, रूबी साहू व निधि शुक्ला, परास्नातक एमए. हिंदी की प्रतिभा सिंह, प्रमोद कुमार व शाबान अली, परास्नातक एवं राजनीतिक विज्ञान के रवि रावत, अवंतिका आर्य व शिवानी पटेल, परास्नातक सामाजिक शास्त्र की राधिका रावत, अंजू कुमारी व त्रिशा साहू. मुलायम सिंह यादव स्वर्ण पदक, आलोक तोमर स्मृति पदक, डॉ शकुंतला मिश्रा स्वर्ण पदक, अमित श्रीवास्तव स्मृति स्वर्ण पदक, रोहित मित्तल स्मृति स्वर्ण पदक, संस्कृत पदक आदि पदक भी दिए गए.